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शाम होते ही अपनी आबरू को बचाने हम चार दीवारों में बंद हो जाते है। शाम होते ही अपनी आबरू को बचाने हम चार दीवारों में बंद हो जाते है।
बल्कि हम खुद लिखेंगे तब जीत सिर्फ हमारी होगी। बल्कि हम खुद लिखेंगे तब जीत सिर्फ हमारी होगी।
उसके ख़याली मनगढ़त दुनिया से बिलकुल अलग है आज के दौर की हकीकत। वो जानती तो है पर मानने से डरती है वो... उसके ख़याली मनगढ़त दुनिया से बिलकुल अलग है आज के दौर की हकीकत। वो जानती तो है पर...
शायद आज़ादी की ओर शायद आज़ादी की ओर
रहीस खानदान से नहीं थी, उसको ब्याह के ले गया महलों का राजकुमार रहीस खानदान से नहीं थी, उसको ब्याह के ले गया महलों का राजकुमार
मेरे लिए उनकी आँखों में चिंता झलक जाती है। मेरे लिए उनकी आँखों में चिंता झलक जाती है।
वैसे पागल बहुओं पर कम ही भरोसा किया जाये तो अच्छा है , यह गुस्से में पहले तो पतियों का वैसे पागल बहुओं पर कम ही भरोसा किया जाये तो अच्छा है , यह गुस्से में पहले तो पति...
आज एक अज़ीज़ मित्र के बारे में बताने जा रही हूॅं। अज़ीज़ इसलिए नहीं लिखा कि बहुत खास है, बस इनके उर्... आज एक अज़ीज़ मित्र के बारे में बताने जा रही हूॅं। अज़ीज़ इसलिए नहीं लिखा कि बहुत...
वो दिनभर बैठ कर अपनी किताब में देखते हुए बगल में बैठी लड़की के क्रियाकलापों को तिरछी नज़र से देख सकत... वो दिनभर बैठ कर अपनी किताब में देखते हुए बगल में बैठी लड़की के क्रियाकलापों को त...
पर क्या उसका डर ख़तम हो जाता है? क्या मेरा डर ख़तम हो जाता है? क्या उसने मुझे मार दिया है? क्या मैं ... पर क्या उसका डर ख़तम हो जाता है? क्या मेरा डर ख़तम हो जाता है? क्या उसने मुझे मा...