अज़ीज़ मित्र
अज़ीज़ मित्र
आज एक अज़ीज़ मित्र के बारे में बताने जा रही हूॅं। अज़ीज़ इसलिए नहीं लिखा कि बहुत खास है, बस इनके उर्दू भाषा के प्रेम को ध्यान में रखते हुए लिखा है।
आये दिन ये इधर उधर से शायरियां पढ़ कर सुनाते रहते है। कभी कभी खुद भी लिख लेते, पर सुनने की सलाह मैं नहीं दूंगी, शायद सुनने वाले के कानों से खून निकल आये, इनकी बातो से! ये बड़े ही विरोधी विचारधारा के मालूम होते है।
खुद को यह फेमिनिस्ट बतलाते है और पुरुष-औरत की समानता की बातें करते ये अक्सर दिख जाते है। महिलाओं से इनकी अच्छी दोस्ती है और इनकी कृष्ण कन्हैय्या वाली छवि मशहूर है। ये जनाब भी खुद को शाहरुख़ खान से काम नहीं आंकते।
जगजाहिर है इनकी रासलीलाओं के किस्से बचपन में शुरू हो गए थे। कहते है, बाल इंसान की खूबसूरती को बढ़ा देते है। इनके सिर के उड़े तो उन्होंने दाढ़ी के बढ़ा लिए पर खूबसूरती को काम नहीं होने दिया।
आजकल छोटी बहन की शादी में बड़े व्यस्त है, नसीहत देते है, कुछ नहीं कर रही तो शादी ही करले। पर सोच रही थी इनके फेमिनिस्ट वाले मुद्दे की ओर ध्यान दे तो इस कृष्ण अवतार की शादी तो बचपन में ही हो जानी चाहिए थी।