बर्थडे पार्टी

बर्थडे पार्टी

3 mins
473


हैप्पी बर्थडे टू यू का गीत नुमा नारा व्यस्त रेस्त्रां के कोने में गूँज उठा।

सिड और गीता जो डिनर के लिए दूसरे कोने की टेबुल पर उपस्थित थे की निगाहें भी शोर वाली जगह की तरफ चली गई।

कोने की टेबल पर एक किशोर लड़की और तीन युवक मौजूद थे और तीनों युवक एक छोटे से केक की क्रीम को अपनी उँगलियों से उस किशोर लड़की के चेहरे पर लगा रहे थे। लड़की खुश थी और इस क्रीम को उसके चेहरे पर लगाने की चेष्टा में वो तीनो युवक उस लड़की के शरीर के विभिन्न हिस्सों को अनायास ही छू रहे थे।

"क्या बेहूदापन है ?” —सिड घृणा के साथ बोला।

"तुम्हे क्या तकलीफ है मिस्टर सिद्धार्थ? उस लड़की के फ्रेंड उसका बर्थडे सेलिब्रेट कर रहे है।" —गीता मुस्कराते हुए बोली।

"तकलीफ है इस भोडे प्रदर्शन से।" —सिड ने संक्षिप्त सा जवाब दिया।

"क्यों शादी से पहले तुमने नहीं सेलिब्रेट किये थे अपनी चहेती के बर्थडे?" —गीता थोड़ा चिढ़कर बोली।

"अब उसे बीच में क्यों ला रही हो?" —सिड उन लड़कों और लड़की की और देखते हुए बोला जो शायद अब डिनर आर्डर कर रहे थे।

"क्यों न लाऊँ बीच में, उस सुंदरी पर खूब पैसा उड़ाया है तुमने।" —गीता उखड़े स्वर में बोली।

"गीता हम इस बात से बहुत आगे बढ़ चुके है, अब हम दोनों के बीच में वो नहीं है।"

"सिड जब तुम किसी और पर फब्तियां कसते हो तो वो मुझे तुम्हारा दिखावा लगता है, जो तुम करते थे वो सब सही था कोई और करे तो भोड़ा प्रदर्शन लगता है।"

"गीता, मै उससे प्रेम करता था, उससे शादी करना चाहता था। लेकिन कभी छुआ नहीं था उसे, ऐसे पब्लिकली ड्रामे नहीं किये थे।"

"वाह सिड वाह कैसी बेशर्मी से अपनी प्रेमलीला का बखान कर रहे हो, अगर ऐसे ही किस्से मेरे भी हो तो क्या होंसला है तुममे उन किस्सों को सुनने का?"

"गीता प्रेम निश्छल, निरपराध होता है अगर मेरी तरह तुमने भी प्रेम किया है तो मुझे सुनने में कभी कोई दिक्कत नहीं होगी।"

"सिड अच्छे घर की हूँ मै, शादी से पहले ये सब करने के संस्कार नहीं है मेरे।"

"अब अच्छे बुरे घर की बात हो गई, अच्छा जो ये लड़के और वो लड़की कर रहे है वो उचित है?"

"उचित अनुचित की बात न करो नहीं तो तुम्हें मिर्च लग जाएगी।"

"नहीं लगेंगी तुम बोलो।"

"तो सुनो मिस्टर सिड, ये प्रदर्शन ना तो पहले सही था और ना आज सही है। तुम कहते हो वो अपने परिवार व लोक लिहाज की वजह से तुमसे शादी को तैयार नहीं हुई, तो ये कैसा प्यार था तुम दोनों का जो साथ-साथ घूमने-फिरने की तो इजाजत देता है लेकिन जब शादी की बात आती है तो दोनों में से एक को लोक लिहाज की परवाह हो जाती है। तुम बहुत ढिंढोरा पीटते हो न की तुमने उसे कभी नहीं छुआ, लेकिन इस बात पे यकीन कौन करेगा? मेरे माता-पिता को अपनी बेटी के लिए वर चाहिए था तुम न होते तो कोई और होता इसमें मेरा क्या वश था।" —गीता चिढ कर बोली।

"बेकार की बात कर रही हो तुम"

"बेकार की बात, तुम कौन होते हो उन लड़को और उस लड़की पर टिप्पणी करने वाले, तुम्हे क्या पता वो कौन है? क्या जरूरी नहीं है कि ये सिर्फ स्कूल फ्रेंड्स की कैजुअल सी पार्टी हो। ये कोई जरूरी है की इन लड़कों में से कोई उस लड़की का प्रेमी हो? जिस तरह तुम लड़की के साथ घूमे हो ऐसे ही ये भी घूम रहे है, अगर ये गलत है तो तुम कौन से सही थे? अगर ये बेहूदापन है तो जो तुमने किया था वो भी किसी और की नजर में बेहूदापन ही रहा होगा। ऐसा ही प्यार है आज कल का; अब घूरो मत डिनर आ गया है। —गीता डिनर लाते वेटर की और देख कर बोली।

सिड ने एक ठंडी आह भरी, गीता ने आज उसकी ऐसी बे भाव धुलाई की थी कि कसक कई दिन तक रहेगी।


Rate this content
Log in

Similar hindi story from Drama