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Avinash Agnihotri

Tragedy Inspirational

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Avinash Agnihotri

Tragedy Inspirational

बर्ताव

बर्ताव

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राजेश के ड्राइवर पिता को जब उसके मालिक के बच्चे भी नाम से ही पुकारते। तो यह बात राजेश को बड़ी बुरी लगती। वो सोचता कि आज भले वो गरीब है। पर एक दिन उसके पास भी यही शानो शौकत होगी। तब उसके पिता के नाम को भी सब अदब से लिया करेंगे। उसके बाल मन का ये विचार बड़ा होते होते दृढ़ संकल्प बन गया। और अपनी अच्छी पढ़ाई और आरक्षण के फायदे के चलते, आज वो भी एक बड़ा अधिकारी बन चुका है। अब उसके पास भी रसूख के साथ वो सब है। जिसकी कभी बचपन में उसने कल्पना की थी। आज उसके साथ उसके पूरे परिवार को भी उसकी इस तरक्की पर नाज है। पर अब वो भी अपने पिता की उम्र के, अपने ड्राइवर व माली आदि नौकरों को उनका नाम लेकर ही पुकारता है। और जरा जरा सी भूलो पर सबके सामने उन्हें फटकारने में अपनी शान समझता है। जो आज उसके नौकरों के बच्चों को भी वैसे ही बुरा लगता है। जैसे कभी उसे लगता था। पर आज शायद राजेश भी अपनी गरीबी के साथ, अपने मानवीय शिष्टाचार, और अच्छे बर्ताव वाली कोमल भावनाओं को भी कहीं पीछे ही छोड़ आया है।



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