बरगद की छाँव
बरगद की छाँव
'माँ! ओ माँ! दादा जी मुझे प्यार नहीं करते न, और दादी माँ तो मुझे कहानियाँ नहीं सुनाती वो दोनों बस भईया को ही प्यार करते हैं न। 'इतना कहकर अन्वी रोने लगी।
वीभा ने जैसे ही अन्वी बातें सुनी उसे आश्चर्य हुआ कि ऐसा अन्वी को क्यों लगा, जबकि वीभा के सास-ससुर सबसे पहले अन्वी की ही जरूरत को पूरा करते थे और बाद में उसके बड़े भाई युवराज की। अन्वी को सभी उसके नटखट पन और प्यारी मुस्कान से बहुत ही प्यार करते थे,
क्योंकि छह भाईयों में एक ही बहन थी, वो थी अन्वी।
वीभा को कुछ समझ नहीं आ रहा था कि क्यों उसे ऐसा लगा। इसलिए वो अपनी सासु माँ कांता जी के पास जाकर उनसे कहा - 'माँ पता नहीं क्यों अन्वी कहती हैं कि आप और पापा जी उसे कम प्यार करते हो और युवराज को ज्यादा प्यार करते हो।' कांता जी ने जब उसकी बात सुनी तो कहा कि-'वीभा के बालों में मैंने जब भी तेल लगाया है तो वो बरगद के पेड़ की जड़ों से बने तेल होते हैं। बस यहीं कारण है जो मैंने अन्वी को बरगद की छाँव में खेलने से मना कर दिया जिससे इसे कोई हानि न हो। इस कारण से ही ये नासमझ अन्वी ऐसा बोल रही है।
सासु माँ की सारी बातें सुनकर वीभा को अन्वी के बातों पर हँसी आ रही थी, पर उस समझाना सबसे पहले जरूरी था जिससे उसकी उसके दादा और दादी के प्रति बदले।
दादी ने अन्वी को उस घटना के बाद कभी भी बरगद के जड़ों के तेल नहीं लगाई और न ही उसे खेलने के लिए मना ही किया।
