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Sushma Parakh

Crime Inspirational Others

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Sushma Parakh

Crime Inspirational Others

बर्दाश्त …

बर्दाश्त …

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एक महिला बैठी थी मेरे सामने, बुजुर्ग अंकल उनको घूर रहे थे, गाना गाने लगे, बहुत तंग किया महिला को, कुछ देर बर्दाश्त किया, फिर उसने गुलाबी ललकार बनकर रात के सन्नाटे को चीरते हुए उसका जवाब दिया और वहाँ जो चुप बैठ कर तमाशा देख रहे थे उनको ललकारा की आज चुप रहोगे, कल इन मासूमों को भी डरना पड़ेगा, उनकी बात ने अंदर तक झकझोर दिया और सबने उस बुजुर्ग को सबक़ सिखाया और वो शर्मिन्दा होकर माफ़ी माँगने लगा, सच है बर्दाश्त करने से बेईमानी बढ़ती है और मुक़ाबला करने से जड़ से ख़त्म हो जाती है !



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