प्रेरणा
प्रेरणा
मेघा मेहनती और समझदार लड़की थी, माँ-बाप की इकलौती सन्तान। सब कुछ बहुत अच्छा था, मेघा के जीवन में। एक साथी भी था मलय सच्चा मित्र!
मेघा के जीवन में आया समय शादी का, बहुत लड़के देखे लेकिन कोई समझ में नहीं आया, क्योंकि मेघा शादी के बाद भी जॉब करना चाहती थी ।और ये रूढ़िवादी परिवार वाले पसंद नहीं करते थे। अंततः रवि और मेघा की शादी हो जाती है। शादी के कुछ ही दिन बाद ही, मेघा का बहुत बड़ा ऐक्सिडेंट हो जाता है और ये हादसा उसके जीवन में ले आता है एक गहरा सन्नाटा ....। क्योंकि शारीरिक चोट से मेघा अपने दोनों पैर गँवा चुकी थी और इधर रवि ने विकलांगिता को नहीं स्वीकारा और बीच मुसीबत की राह में पल्लू झाड़ लिया।
एक ऐसी आज़ादी, जिससे की मेघा पूरी तरह टूट गयी क्योंकि पंख कटने के बाद पक्षी की जो तड़प होती है वही तड़प मेघा महसूस कर रही थी, शरीर की और मन की चोट ने मेघा को अंदर तक तोड़ दिया, घर में क़ैद होकर अपने आप को बिल्कुल टूटा हुआ महसूस कर रही थी, जैसे ही खिड़की के पास आकार देखती उसे अपना अतीत याद आने लगता और सहम जाती अपने साथ बीते हादसे से और ग़लत शादी के फ़ैसले से।
एक दिन शाम को मलय आता है
मलय, मेघा को बोलता है “आज मैं बोलूँगा तुम चुपचाप सुनोगी। ”
मेघा हैरान देखती रहती है। मलय बोलता है “
हाँ तूने पैर खो दिए हादसे में, ठुकरा दिया तेरे पति ने पर तुम तो हौसला हुआ करती थी सब का, क्या बोलती थी की मुसीबत तो निखारने आती है “
क्या हुआ जीवन को आदर्श और मिसाल बनाने वाली लड़की हार के छुप गयी क्यों ?????
मेघा शारीरिक चोट आयी है, मन के हौसले से तो तुम उड़ान भर सकती हो, कितनी क़ाबिलियत को अंदर दबा कर क्यों शर्मसार कर रही हो क़ाबिलियत को उसे अपने मुक़ाम पर पहुँचाओ! हौसलों की उड़ान भर कर क़ाबिलियत को पंख लगाकर साबित करना है की हार जीत केवल हमारे मन पर निश्चित होती है। क्योंकि मन के हारे हार और मन के जीते जीत। तुम्हें तो एक हौसला बनाना है उन सब मासूमों का जिन्हें बीच राह में छोड़ देते है स्वार्थी जीवन साथी, एक सबक़ बनना है जीवन में हताश हुए लोगों के, की जीवन रुकने का नहीं चलते रहने का नाम हैं।
टप टप आँसुओं के साथ मेघा को अपनी गलती का अहसास हुआ की यूँ क़ाबिलियत को दबाकर जीवन के ठोकर से हार कर बैठना कोई समझदारी नही, मुझे साबित करके दिखना है कि भले ठुकरा दे ज़माना हमें लेकिन जब तो हौसला ज़िंदा है तब तक हम ज़िंदा है।
क्योंकि जीवन तो सुख दुःख का संगम है, दुःख में हार कर बैठना नहीं, आगे बढ़कर दिखाना है। क्योंकि शरीर की विकलांगता कहाँ रोक पायी है बुलंद हौसलों को और हाँ विकलांगता मन की आ जाने से जीवन रुक जाता है तो मन को हमेशा बुलंद रखो।
बस और क्या था मेघा वापस मेहनत से उस मुक़ाम पर पहुँच गयी जहाँ पहुँचना उसका एक ख़्वाब हुआ करता था।
दोस्तों मोटिवेशन जो की जीवन को नया मोड़ तो देता है ऊर्जा का संचार भी करता है हमारे मन में।
एक सच्चा साथी जो बदल दे जीवन के आए विराम को। प्रेरणा बन गया जो टूटे हुए इंसान की। सच सच्चा मित्र एक इत्र की भाँति होता है
जो जीवन बगिया को महका देता है। और इस तरह मेघा के जीवन में वापस ख़ुशियाँ और आनंद वापस मिल गया, मलय जैसे सच्चे मित्र के प्रेरणा से।
धन्यवाद
