वास्तविक ज्ञानी
वास्तविक ज्ञानी
सिया एक प्यारी सी तेरह साल की लड़की ,अपनी मम्मा रागिनी से
पूछती है की “मम्मा जीवन में वास्तविक ज्ञानी कौन होता है ??जीवन
के इस पड़ाव में जिज्ञासाएँ भी बहुत ज़्यादा होती है (टीनेज में )फिर
बोलती है “मम्मा !सब अच्छी बातें बोलते है सब अच्छे से सिखाते है
तो फिर दुनिया बुरी कैसे ?जिससे भी बात करो ,वो बहुत ज्ञानवर्धक
बात करता है ..अपने रीता चाची ,महिमा चाची सब ….फिर ये बुराई हैं
किसमें?तो मम्मा बोलती है बेटा यही तो बुरा है की सब ज्ञान बहुत
अच्छे से देते है ,सब दूसरे को जज बहुत अच्छे से करते है ,लेकिन
खुद व्यवहार में कोई नही लाता और हाँ बेटा जो बोलने के साथ वो
बातें अपने व्यवहार में भी शामिल किए हुए है वही वास्तविक ज्ञानी
है बाक़ी तो मात्र दिखावा और छलावा है !
“(सुंदर बातें हर जगह लिखी मिलेंगी,सुनने को मिलेंगी पर जहाँ देखने
को मिल जाए तो समझ लेना ....”जिसका नही होता बखान ..
जो होता यथार्थ के धरातल पर चरितार्थ...”)
