बनवास
बनवास
जज साहब का बेटा श्याम का अपनी पत्नी रूक्मणी से पटरी नहीं बैठ रहा। हमेशा दोनों एक-दूसरे से झगड़ा करते रहते। श्री राम प्रताप सिंह रिटायर जज हैं। वह अपने बेटा-बहू के लड़ाई को देखकर बहुत दुखी एवं परेशान हैं। घर में धन-सम्पन्नता की कोई कमी नहीं है। विरासत द्वारा बहुत सी सम्पत्ति मिली है। जज साहब खुद भी अपनी कमाई से सम्पत्ति अर्जित की है। बच्चों को समझाते पर उनकी बातों का कोई असर नहीं पड़ता। वे खुद फैमिली कोर्ट के जज रह चुके है। वे खुद कितने लड़का-लड़की का घर बसाये। पर, वे अपने बच्चों पर आकर हार मान जाते है। वे राम भक्त है। उन्होंने सब राम जी के भरोसे पर छोड़ दिया है।
एक दिन दोनों बेटा-बहू लड़ते लड़ते उनके पास आ गये। श्याम बोला.... पापा, हमलोग तलाक लेंगे। रूक्मणी भी बोली.....हम भी इनसे तलाक लेंगे।
जज साहब असमंजस से दोनों बेटा-बहू को देख रहे है। उनकी समझ में नहीं आ रहा कि क्या कहे? जज साहब रिटायर जज है। उन्हें अपने बेटा-बहू का घर बचाने का एक तरीका आता है, सोचते है कि दोनों बच्चों पर आजमा कर देखा जाये। जिससे इनका घर बस जाये। जज साहब श्याम एवं रूक्मणी से कहते है ....तुम लोग हिन्दू हो कि मुसलमान?
दोनों कहते हैं..... हिन्दू
जज साहब कहते हैं... दोनों हिन्दू हो
मुसलमान धर्म कर लो । फिर, निकाह कर लो। तब तुम दोनों का तलाक होगा। दोनों बेटा-बहू निरुत्तर होकर एक-दूसरे का मुंह देखने लगे। तब, बेटा-बहू बोले.....
हम लोग डाइवोर्स लेंगे। जज साहब ने
कहां.....तुम लोग हिन्दू हो। हिन्दू में डाइवोर्स नहीं होता है। इसके लिये तुम लोग को क्रिश्चन धर्म अपनाना पड़ेगा। अब तो दोनों बेटा-बहू की बोली बंद हो गई। जज साहब बोले....हाँ, अगर रूक्मणी जंगल में बनवास जाना चाहे तो जा सकती है क्योंकि हिन्दू धर्म में सीता मैया को बनवास मिला था। रूक्मणी का जंगल के नाम से पसीना छूटने लगा। जज साहब की बात सुनकर
श्याम बोला....नहीं, नहीं पापा। रूक्मणी
अकेले जंगल में कैसे रहेगी। जज साहब ने कहां.... तुम दोनों यहीं खुशी खुशी रहो। बेकार के झगड़ों में पड़ने से क्या फायदा?
जज साहब की बुद्धिमानी पूर्ण बात
सुनकर श्याम एवं रूक्मणी एक-दूसरे को देखकर खिलखिलाकर हँस पड़े।
