बंद दुकान, थकेला सामान- गली बॉय
बंद दुकान, थकेला सामान- गली बॉय
मुराद अहमद और शाह रूल की रैप परफॉरमेंस से सारा हाल तालियों की गड़गड़ाहट से गूँज उठा। जैसे ही तालियों का शोर कम हुआ एक भारी आवाज ने सबको शांत होने के लिए कहा।
आवाज से विचलित उद्घोषिका ने गौर से भारी आवाज वाले उस व्यक्ति की और गौर से देखा और बोली,
''सर आप कुछ कहना चाहते है?''
''कहना नहीं पूछना चाहता हूँ कि अभी इन दो ढक्कनों ने जो किया वो क्या था?'' वो भारी आवाज वाला बोला।
''कौन है बे तू, किसे ढक्कन बोला बुढऊ? ये होगा ढक्कन अपन तो तेरा और इसका दोनों का बाप है।'' मुराद गुस्से से लाल-पीला होते हुए बोला।
''अबे गटर की पैदाइश तू जन्मजात ढक्कन है।'' कहते हुए शाह रूल ने मुराद की गिरेबान पकड़ ली।
''गिरेबान छोड़ चिंदीचोर……...'' मुराद गुर्रा कर बोला।
''नहीं छोड़ता क्या कर लेगा?'' शाह रूल भी गुर्रा कर बोला।
''क्या कर लेगा…….ये ले…….'' कहते हुए मुराद ने शाह रूल को एक जोरदार थप्पड़ मारा।
उसके बाद शाह रूल और मुराद के बीच ऐसी मारा-मारी हुई कि दोनों के समर्थक भी आपस में भिड़ गए।
पंद्रह मिनट बाद जब मुराद, शाह रूल और उनके समर्थको के हाथ, पैर और सिर अच्छी तरह फूट गए तो उनकी हालत देख कर उद्घोषिका बोला, ''अबे ढक्कनों आपस में क्यों लड़ते हो? उससे लड़ो जिसने तुम्हे लड़ाया।''
''चुप परकटी तू भी हमें ढक्कन बोल रही है…….'' मुराद और शाह रूल गुस्से से बोले।
''ए बाप कौन है तू, क्यूँ हमेरे सिर फुड़वा रहेला है?'' मुराद कराहते हुए बोला।
''बंदे को भाली भ्र्मदत्त कहते है……...'' वो भारी आवाज वाला बोला।
भाली भ्र्मदत्त? मशहूर इंडियन रैपर?
सारे म्यूजिक हॉल में उपस्थित लोगो की निगाहें भाली की तरफ चली गई।
''अरे आप सर……...आप वहाँ क्यों बैठे है इधर स्टेज पर आइए न…….'' उद्घोषिका भाली को पहचानने का प्रयास करते हुए बोली।
भाली के स्टेज पर पहुँचते ही मुराद और शाह रूल एक सुर में बोले, ''पूछ बाप क्या पूछना है………''
''सवाल वही है, अभी-अभी तुम दो ढक्कनों ने जो किया वो क्या था?''
''फिर गाली दे रहेला है बाप, अपन लोगों ने रैप किया, तेरे को समझ नहीं आता है क्या?'' मुराद और शाह रूल फिर से एक ही सुर में बोले।
''बेटे मुझे तो ये समझ आया कि तुम दोनों म्यूजिक के बहाने एक दूसरे को कोस रहे थे, ये होता है म्यूजिक?'' भाली मुस्करा कर बोला।
''लगता है बाप तेरे कू रैप की समझ ही नहीं है…….'' मुराद चिढ कर बोला।
''बेटा इस रैप को तो मैं नब्बे के दशक में ही समझ गया था और अपने भारतीय संगीत के साथ इसका फ्यूजन कर कुछ अच्छे गाने भी गाये थे, लेकिन मुझे बहुत जल्दी समझ आ गया था कि ये भारत है यहाँ लोगों को मधुर गीत संगीत ही अच्छा लगता है और वैसे अमेरिका, जहाँ से ये रैप आया है वहाँ इसे सिर्फ वर्ग विशेष के लोग ही गाते और सुनते है, जिस कला की सार्वजनिक स्वीकार्यता नहीं है उसे लेकर तुम मधुर गीत-संगीत को पसंद करने वाले इस देश में क्या करना चाहते हो?'' भाली ने पूछा।
''बाप तू जो भी बोला वो अपन के भेजे में नहीं पड़ा, साफ़-साफ़ बोल क्या कहना चाहता है तू?'' मुराद ने सिर खुजाते हुए पूछा।
''तो तू अपनी जबान में ही समझ, इंडिया में रैप म्यूजिक की दुकान नब्बे के साल में ही बंद हो गई थी। इंडिया में रैप म्यूजिक बंद दुकान का थकेला सामान है जो अब बिकने वाला नहीं है; इसके लफड़े में मत पड, अगर म्यूजिक का इतना ही शौक है तो हिंदुस्तानी क्लासिकल म्यूजिक सीख, अच्छे से गाएगा तो लोग सिर-माथे पर बैठा लेंगे और जैसा तूने अभी गाया वैसा ही गाया तो तुझे भंगार समझ कर कचरा पेटी में फेंक देंगे।'' कहकर भाली स्टेज से चला गया।
सारा हॉल, उद्घोषिका, मुराद और शाह रूल उसे जाता देखते रहे। भाली ने जो भी कहा था वो अब भी उनकी समझ से बाहर था।