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Vibha Rani Shrivastava

Drama

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Vibha Rani Shrivastava

Drama

बलि

बलि

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कोई रात ऐसी नहीं गुजरती थी, जिस रात उसे ज्यादा स्याह अनुभव ना होता हो। स्याह अनुभव शायद होता नहीं भी हो। क्योंकि विक्षिप्तावस्था में कैसी अनुभूति।


"एक कट्ठा जमीन मेरे नाम से कर दीजियेगा तो मैं आपकी बेटी को अपने साथ रखने को तैयार हूँ; वरना मैं चला, आप अपनी बेटी को अपने पास रखिये।"


उसके पति की कही बातों पर नीरा के पिता कोई जबाब देते; उसके पहले उसकी भाभी चिल्ला पड़ी - “शादी के इतने सालों के बाद धमकी देने से हम डरने वाले नहीं हैं। आपको नीरा को ले भी जाना होगा और हम जमीन देने वाले भी नहीं, आप ही एक दामाद नहीं घर में। अभी एक और मेरी ननद की शादी करनी बाकी है। कल मेरी भी बेटी सयानी होगी। जमीन नहीं दी जायेगी तो नहीं दी जायेगी।” जमीन नहीं दिए जाने के कारण मायके में ही रहना पड़ा नीरा को।


जब तक नीरा के माँ-बाप जिन्दा रहें, नीरा का पेट भरता रहा। माँ-बाप के मृत्यु के बाद उसे उसी शहर के मन्दिर में आश्रय लेना पड़ा। समृद्ध घर के मालिक के पास सैकड़ो एकड़ जमीन थी।


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