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Neelam Sony

Drama Romance Children

4  

Neelam Sony

Drama Romance Children

बिश्नपुर_खादर_12

बिश्नपुर_खादर_12

4 mins
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घर के सब लोग घबरा कर #शाम_बाबा की तरफ़ दौड़े.... पहले ही एक मुसीबत कम थी क्या, जो बाबा भी बेहोश होकर गिर पड़े.... जल्दी एक भतीजा और एक भाई एक एक पैर मलने लगे.... एक भतीजी ने बाबा का सिर गोद में रखा और उंगलियों से मालिश करने लगी.... छोटे की बहु पानी लेने के लिए रसोई की तरफ़ भागी... उसने पानी का गढ़वा लाकर अपने पति को दिया... 

छोटे भाई ने बाबा के मुंह पर पानी के छींटें मारे... शाम बाबा ने कुनमुनाते हुए आंखें खोली... शाम बाबा सहारा लेकर उसी कुर्सी पर बैठ गए... तभी बाबा की बेटी उनके पीने के लिए पानी ले आई... 

" मैं ना पी रहा..." बाबा ने हल्के से हाथ से लड़की का हाथ पीछे कर दिया... हमेशा दहाड़ने वाली आवाज क्षीण थी....

" पी लीजिए बापू. .." लड़की ने दुबारा हाथ आगे किया...

" गले से नीचे ना उतर पाएगा..." बाबा कुर्सी के बाजू का सहारा लेकर सीधे होते हुए बोले.... हमेशा तना रहने वाला सिर झुका हुआ था....

इस बात की सब को तसल्ली थी कि बाबा सही सलामत थे... लेकिन अंजलि वाला मसला यूं का यूं था....

वो कहते हैं कि मुसीबत कभी अकेली नहीं आती... तभी बाबा का बड़ा बेटा अजय अंदर आया... साथ में पहलवान भी था... पहलवान बाबा का भतीजा था ....

सब घर वालों की प्रश्नसूचक नज़र दोनों भाईयों पर घूम गई..... दोनों की गर्दन झुकी हुई थी....

" क्या ख़बर है...???" अंजलि के बापू राजीव ने पूछा... 

" चाचा, रज़िया की मौसी का लड़का भी घर से गायब है..."

"तो....???"

"साथ में उसका एक दोस्त भी.... अपने गांव का जावेद...."

सबके ऊपर वज्रपात सा हुआ.... अंजलि की मां ने अपना आप पीटना शुरू कर दिया....

"हे राम!!! इससे अच्छा तो मुझे बांझ रहने देते.... कुलटा मेरी कोख को कलंक लगा गई..." कहते हुए उसने अपने पेट पर जोर जोर से मुक्के मारने शुरू कर दिए.... पास बैठी देवरानी ने जोर लगा कर रोकने की कोशिश करी... पर ना जाने कौन सी शक्ति थी कि दोनों हाथों से एक हाथ भी पकड़ में ना आ रहा था.... दूसरे हाथ को भतीजी ने पकड़ा..... 

"मैं कब से कह रही थी कि उसे बाहर ना भेजो.... पर ताऊ की लाडली को वकीलणी बनना था...." वो अब भी चिल्लाए जा रही थी... "लूना ले दी... दूसरे शहर भेज दिया.... अब खानदान की नाक कटवा गई...."

ये सीधे सीधे शाम बाबा पर वार था.... अब शाम बाबा भी मन ही मन खुद को कसूरवार मान रहे थे और कुर्सी पर सिर झुकाए बैठे रहे....

इतने तनाव भरे माहौल से डरकर छोटे बच्चे रोने लगे.... दस बारह साल की बच्चियों में ना जाने कहां से इतनी समझ आ गई कि वो रोते हुए बच्चों को वहां से दूर पीछे वाले कमरों में ले गईं…...

ख़ामोशी फिर छा गई.....

" जावेद कौन....???" बड़े चाचा की आवाज ने ख़ामोशी भंग करी....

" उधर बस्ती से आगे वाली ढाणी में रहता है..." अजय बोला....

" जो बुग्गी चलाता है, उसका लौंडा...???"

"शायद वही... पक्का नहीं पता...."

"ह ₹# म के जने... जिस थाली में खाते हैं, उसी में छेद करते हैं.... हमने ही तो बसाए थे गांव में...."

" आ ग लगा दूंगा ढाणी में...." पहलवान से छोटा कमीज़ की आस्तीन चढ़ाते हुए बोला.... वो भी पहलवान था.... अपने बड़े भाई से भी बड़ा पहलवान.... तीन साल से पूरे इलाके में जिस भी दंगल में उसका पटका घूम जाता तो कोई पहलवान मुकाबले में नहीं उतरता....

घर के सभी पुरुषों के चेहरे गुस्से से लाल हुए जा रहे थे.... सिर्फ एक शख्स ख़ामोश बैठा था....शाम बाबा... उनका चेहरा छाती तक झुका हुआ था..... 

तभी राजीव अंदर से लायसेंसी बंदूक ले आया.... और बाहर की तरफ़ बढ़ा... "रुको चाचा, हम भी चलते हैं साथ में..." भतीजों ने पीछे से आवाज़ दी.... " थोड़ा सामान हम भी ले लें साथ में...." कहते हुए भतीजे अपने अपने कमरों की तरफ़ चल दिए..... राजीव रुककर इंतजार करने लगा...

जब बाहर आए तो सब के हाथों में हथियार थे.... 

तभी शाम बाबा ने चौंककर सिर उठाया... सारा मंजर सोचकर उनकी रूह कांप गई... ना जाने बूढ़ी हड्डियों में कहां से इतनी ताकत आ गई कि सबसे पहले ड्योढ़ी के द्वारा पर पहुंच गए.... 

सब घरवालों के सामने एक शाम बाबा खड़ा था... चौखट के दोनों तरफ हाथ रखे हुए......

क्रमशः 


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