Anita Bhardwaj

Fantasy

4.8  

Anita Bhardwaj

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बिना नाक का दूल्हा

बिना नाक का दूल्हा

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" कितनी बार और कहूं मां! मुझे जल्दबाज़ी में शादी नहीं करनी। जब तक तुम मेरी पसंद का दूल्हा नहीं ढूंढ़ती भूल जाओ मेरी शादी का ज़िक्र।" - नीता ने अपनी मां सरोज जी से कहा।

सरोज जी हर वक़्त इसी चिंता में रहती थी कि पता नहीं बेटी के लिए रिश्ता मिल भी पाएगा की नहीं।

एक तो परिवार और रिश्तेदारों के खिलाफ जाकर इसे मैंने कॉलेज भेजा। वहां जाकर नुक्कड़ नाटक, रैलियां, आंदोलन , भाषण, कविता जाने क्या क्या सीख गई है।

कहां मिलेगा ऐसा लड़का जो ऐसी लड़की से शादी करेगा जो सुबह नाश्ते में चाय परांठे के साथ साथ अखबार में छपी हर खबर पर खूब तर्क करती है।

जो दोपहर का खाना भी बनाएगी तो पूछेगी की सिर्फ पत्नी का ही काम है क्या खाना बनाना?

जो इसकी नौकरी लग गई तो ठीक है, जल्दी जल्दी में काम निपटाया करेगी और दूल्हे से तर्क वितर्क भी कम करेगी।

पर शाम का क्या। अगर किसी ने ऑफिस में, बस में, रास्ते में कुछ कह दिया होगा तो उसकी भी श्यामत लगाएगी और घर पहुंचकर दूल्हे से जवाब मानेगी की क्यूं आदमियों की नस्ल खुद को नियंत्रण में नहीं रख सकती।

अगर दूल्हे के तर्क से संतुष्ट हो गई तो ठीक, नहीं तो दूल्हे की श्यामत भी आएगी और रात के खाने पीने का तो कोई अता पता ही नहीं ।

हे ईश्वर। बिना नाक का दूल्हा कहां से लाऊं अब।

बस सरोज जी हमेशा इन्हीं विचारों में डूबी रहती।

एक दिन सरोज जी की बहन गीता जी एक रिश्ता लेकर आई।

गीता जी -" नीता घर पर तो नहीं है ना।"

सरोज जी -" नहीं। कॉलेज गई है।"

गीता जी ने इधर उधर देखकर चैन की सांस ली और कहा -" हां। फिर ठीक है। जीजी ! ये बताओ बिटिया का रिश्ता करना है कि नहीं। मेरी दोनो बेटियां इससे छोटी हैं और देखो ईश्वर की दया से दोनों ने मुझे नानी बनने का सुख भी दिखा दिया। तुम भी जल्दी हाथ पीले कर दो। रिश्ता लाई हूं बड़ी बेटी के जेठ का।"

सरोज जी -" अरे। जीजी, जेठ अब तक कुंवारा है।"

गीता जी -" अरे । कुंवारा ना है। पहली पत्नी जीन्स टॉप में घूमती थी; सारे मौहल्ले में नाक कटवा के रख दी थी इसलिए तलाक़ दे दिया, शादी के 3 महीने बाद ही। पर लड़का अभी बिल्कुल जवान है, तुम फिक्र ना करो ।"

सरोज जी -" जीजी। नीता के सामने मत कह देना ये जीन्स वाली बात! वरना लड़के को पेटीकोट पहनाने की शर्त ही रख कर बैठ जाएगी बावली। इसका ताबीज़ करवा कर लाऊंगी,पता नहीं कैसा भूत सवार हो गया है। कहती है बिना नाक का दूल्हा चाहिए।"

गीता जी -" हाय राम। बिना नाक का दूल्हा भी बनाया होगा क्या राम जी ने?" ऐसे तो हमारी बिटिया कुंवारी ही रह जाएगी।"

सरोज जी -" देखो जीजी। अब तो सब भगवान के हाथ में है।"

गीता जी -" अब तो भगवान जी के भी हाथ में नहीं है। अगर अब भगवान जी उतारेंगे बिना नाक के आदमी ,

तो कब वो जवान होंगे ,कब शादी होगी। इतने हमारी नीता तो कुंवारी ही बूढ़ी हो जाएगी।"

सरोज जी -" तो इसका क्या इलाज है जीजी! तुम बताओ।"

गीता जी -" हमम हुम्म जीजी। अगर बिना नाक का ना मिले तो नाक कटा हुआ चल जाएगा क्या।"

सरोज जी -" ये तो अब नीता ही बताएगी।"

गीता जी -" चलो ठीक है फिर मैं चलूं। कोई मिलेगा तो बताऊंगी। तुम इतने ताबीज़ तो करवा ही लो।"

गीता जी चली गई इतने में नीता कॉलेज से आ गई।

नीता -" मां! क्या बात आज मौसी बड़ी जल्दी चली गई!"

सरोज जी -" अरे कुछ नहीं। बस एक रिश्ता लाई थी, मैंने मना कर दिया!"

नीता -" वाह ! मां आज कैसे तुमने मना कर दिया!"

सरोज जी -" अरे। ज्यादा बड़ी नाक वाला था । बीवी के जीन्स पहनने पर रोज नाक कटती थी उसकी।"

नीता -" मेरी प्यारी मां। सही किया तुमने बिल्कुल।"

सरोज जी -" पर बिटिया ये बता; ये लोग जो कहते हैं कि बेटी तो ना राजा की घर रही, ना फकीर की। फिर मेरी क्या औकाद। मैंने तो वैसे ही सबसे लड़कर सिलाई बुनाई करके तुझे पाला है। "

नीता -" मां! तुमने मेरे लिए इतने दुख सहे। इसलिए तो मैं चाहती हूं कि शादी करूं तो उससे जो मुझे खुश रख सके, मेरी मां को भी अपनी मां समझ सके।

पर ये दुनिया है ना ! आदमियों की नाक लंबी है और सोच छोटी।

जो खुद अपने मां बाप की सेवा के लिए दूसरों की बेटी पर निर्भर हैं, वो मेरी मां की तपस्या की क्या लाज रखेंगे।"

सरोज की आंखों में आंसू आ गए।

अपने पति की मौत के बाद जब बेटी की पढ़ाई के लिए देवर जेठ से लड़ी तो लोगों ने कहा था - " बेटी की मां होकर इतना इतरा रही है। बेटी ब्याह के चली जाएगी तो आएगी यहां दौड़ती हुई। और बेटी ना ब्याही गई तो नाक कटवाएंगी मां बेटी हमारी। "

आज अपनी बेटी के विचारों को अपनी तपस्या के फल के रूप में देखकर सरोज जी की आंखें भीग गई।

नीता ने मां को गले लगाया और दोनों कमजोर नाक वाले लोगों की कमजोर सोच पर खूब ठहाके लगाकर हंसी।

दोस्तों। ये कहानी दूसरी कहानी की तरह हैप्पी एंडिंग नहीं, ये तो हैप्पी बेगिनिंग है।

एक नई सोच की।

बेटी की शादी में कोई जल्दबाजी ना करें, बेहतर परिवार के साथ साथ बेहतर सोच का धनी ही ढूंढें अपनी लाडो के लिए।


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