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Shikha Singh

Inspirational

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Shikha Singh

Inspirational

बिन फेरे हम तेरे

बिन फेरे हम तेरे

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'सूरज की पहली किरण जिस तरह पूरे संसार को रोशन कर देती है और हर मानव के अंदर जीवन दीप जला देता है, उसी प्रकार हमारी सोच, हमारी इच्छाओं ने भी हमें जीना सिखाया है। जिससे हम सभी जीवन जीने की कला से भली भांति परिचित हो रहे हैं। अब आप सभी अपने आँखों को बंद कीजिए और एक लम्बी साँस अंदर लीजिए, फिर उसे ओइम् के उच्चारण के साथ धीरे-धीरे बाहर छोडिए। ऐसा आप सभी पाँच बार कीजिए। तब आप सभी के मन में अंदरूनी ऊर्जा का संचार होगा। जिससे आप सभी को पूरे दिन अच्छा महसूस होगा। अब हाथ की दोनों हथेलियों को आपस में रगडेंगे और अपने आँखों के पलकों पर रखते हुए, धीरे-धीरे उन्हें खोलेंगे।'


प्रेरणा इतना बोलकर उठी ही थी, कि उसके मोबाइल फोन की घंटी बजी और उसने उठाया तो पता चला, कि हर्ष की मम्मी को अस्पताल में भर्ती किया गया है। इतना सुनते ही वह अपना पर्स ले तुरंत अस्पताल के लिए चल दी, पर कई सवाल अभी भी प्रेरणा के दिमाग में घूम रहे थे, कि क्यों क्या हुआ?


चार दिन पहले ही तो उनकी सबसे छोटी बेटी तान्या की शादी बड़े धूमधाम से करवायी गई और उससे तो मैंने भी बात किया है और तो और हर्ष ने भी उसके घर जाकर उससे मिलकर आया, फिर क्या हुआ? इसी सोच-विचार में खोई हुई।


प्रेरणा ने उनके जीवन की खुशियों को बरकरार रखने के लिए क्या-क्या नहीं किया था, पर फिर भी उन्हें दो बार दिल का दौरा पड़ ही चुका था, पर सब ठीक हो गया। अब क्या हो गया। जिससे आज फिर...


अस्पताल के बाहर प्रेरणा ने देखा कि हर्ष और उसकी माँ बिल्कुल ठीक-ठाक खड़ी है और मुस्कुरा रही है। प्रेरणा ने आॅटोवाले को पैसे दिए और तुरंत हर्ष के पास गयी और उसकी माँ से बोला,


”आंटी! आप को अटैक आया है... मुझे फोन आया था, पर आप तो बिल्कुल ठीक है ईश्वर की दुआ है पर ये झूठ क्यों बोला?”


”क्योंकि आज तुम्हारी और हर्ष की शादी है पिछले बारह सालों से मैं तुम दोनों के जीवन को खुशियों से भरा देखना चाहती थी, पर अपने सौतेलेपन के व्यवहार के कारण मेरी आत्मा ने मुझे कुछ करने ही नहीं दिया, और तुम दोनों ने बस मेरी इच्छा को ही अपना पूरा जीवन बना लिया। मुझे माफ कर दो, और मेरे घर की बेटी बन जाओ।”


हर्ष की माँ ने सारी बातें बोल दीं और तभी हर्ष के सौतेले भाई-बहन भी अपने बच्चों के साथ वहाँ आ गए।


प्रेरणा के त्याग और बलिदान को आज एक नया मुकाम मिल गया था, और वो हर्ष से आँखों ही आँखों में कह रही थी, "बिन फेरे हम तेरे साजन"।


आज का सूरज दोनों के जीवन में एक नयी रोशनी और नयी उमंग लेकर आयी थी।


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