बिछुए

बिछुए

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सौफे पर बैठी पान चबाती सास ने झाड़ू लगाती बहू से पूछा , "क्यों री बहू ! तेरी उँगली में बिछुए नहीं दिख रहे ,  

क्यों उतारे ? अपशकुन कर दिया हमारे घर में ।तुझे मालूम है न जिंदगी में एक ही बार सुहाग के ये मंगल जेवर उतरते हैं । जब उसका पति ऊपर चला जाता है ।"

 " क्या करूँ माँजी , इन्होंने शराब के नशे में काँच का गिलास पैर पर दे मारा । सारी अंगुलियाँ सूज गयी हैं । " 

 " पीक फेंकते हुए , ह म्बे जरा - सा ही लगा , जा बिछुआ ढीला कर पहन के आ ।" 

" न माँजी , घाव पर बिछुआ बहुत चुभता है । "

 


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