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Dinesh Dubey

Horror

4  

Dinesh Dubey

Horror

भयानक बच्ची

भयानक बच्ची

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धीरज गांव से अपनी पत्नी को लेकर कार से शहर जा रहा था, दरअसल गांव की एक मन्नत अधूरी रह गई थी इसलिए वह एक दिन पहले ही आया था, उसकी पत्नी संध्या प्रेगनेंट थी उसका नौआ महीना चल रहा था, इसलिए वह उसे तुरंत शहर ले जा रहा था, पर घर से निकलते हुए बहुत देर हो चुकी थी, दूसरे दिन उसे ड्यूटी भी ज्वाइन करनी थी सिर्फ एक दिन की ही छुट्टी भी ली थी, उसने अपनी छुट्टियां बचा रखी थी डिलीवरी के समय के लिए।"


वैसे तो शहर यहां से ढाई सौ किलोमीटर ही था पर रास्ते में दो दो घाट पड़ते थे जहां गाड़ी मुश्किल से बीस तीस की स्पीड में चलती है, और साथ ही जंगल भी था, पर इन लोगों का हमेशा का आना जाना था तो उन्हें कोई अधिक प्रोब्लम नहीं थी।"

मां ने रात का खान बांध दिया था ताकि वहां जाकर बनाना न पड़े।"


दोनों निकल पड़ते हैं, यह तो मां को जिद्द की वजह से आना पड़ा वरना इस हालत में डॉक्टर ने सफर करने के लिए मना किया था।" 

धीरज बड़े ही धीरज से गाड़ी चला रहा था, वह पूरा प्रयास कर रहा था की बगल में बैठी संध्या को कोई झटका वैगेरः ना लगे।" 

वह करीब अस्सी किलोमीटर का रास्ता तय कर चुके थे, घना अंधेरा छा गया था, इतनी दूर में ही रात के नौ बज चुके थे, रास्ता ही इतना खराब था की वह गाड़ी तीस से ऊपर चला ही नहीं पाया।"

थोड़ी दूर के बाद दूसरा घर शुरू होना था, उनके गांव के रास्ते इतना अधिक गाड़ियों का आवाजाही भी नहीं थी।"


जंगल का मार्ग था आस पास आदिवासी बस्तियां थी जो अंधेरा शुरू होते ही सो जाते थे।"


अभी वह घाट से एक किलोमीटर दूर थे तभी एक छोटी बच्ची बीच सड़क पर दोनों हाथ हिलाते हुए रुकने का इशारा कर रही थी, उसे देख धीरज ना चाहते हुए भी गाड़ी रोकता है।


वह गाड़ी रोकता है, बच्ची उसके करीब आती है, वह विंडो के कांच नीचे करता है।

बच्ची कहती है, " अंकल प्लीज हमारा हेल्प कीजिए मेरी मां बहुत सीरियस है, उसे हॉस्पिटल पहुंचाना बहुत जरूरी हैं।

धीरज संध्या की ओर देखता है तो वह कहती है देख लो कोई मुसीबत में है, और इस समय यहां कोई गाड़ी भी नहीं है।"

धीरज बच्ची को गाड़ी में बिठाता है, और वह जहां इशारा करती है उस ओर गाड़ी ले जाते हुए पूछता है, " कहां पर जाना है, और तुम यहां क्यों आई घर में कोई और नहीं था।"

वह कहती है, " मैं और मेरी मां के अलावा और कोई नहीं रहता है यहां, वो सामने ही घर है, वो बत्ती दिख रही है ना वही है।"

वह घर के सामने गाड़ी रोकते हैं और बच्ची के साथ वह उसके घर में जाता हैं, संध्या गाड़ी में ही बैठती है।"

धीरज देखता है, " एक टूटे से पलंग पर एक औरत लेती हुई कराह रही थी, उसका पूरा शरीर ऐठ रहा था।"


धीरज उसके पास जाकर कहता है, " बहन जी आपको क्या प्रोब्लम है, चलिए मैं आपको हॉस्पिटल ले चलता हूं, घाट के उस पार सरकारी हॉस्पिटल है।"

तभी बच्ची पीछे से अजीब सी आवाज में कहती है, " वहां खून पीने को मिलेगा क्या।"?

धीरज चौक कर पलटता है, तो वह सुंदर बच्ची एक भयानक रूप वाली भूत बच्ची थी, वह फिर कहती है, " वहाँ खून पीने को मिलेगा क्या।"

धीरज घबरा कर कहता है, " तुम तुम कौन हो, कौन हो तुम ??"

लड़की कहती हैं, " ये तो मां बताएगी।"

धीरज हड़बड़ा कर पीछे देखता है, तो वह महिला उठकर बैठ गई थी, और उसका चेहरा बड़ा ही भयानक था, उसके दो दांत बाहर निकले हुए थे, वह धीरज को देख कहती है, " मैं तो बेचारी बीमार औरत हूं, मेरी दवा है, इंसानी ताजा खून, तुम मेरा इलाज करवाने ले जा रहे थे, इतनी तकलीफ करने की जरूरत नहीं है। 

वह बच्ची वहां से बाहर जाती है,  


उसी समय एक बुढ़िया उस ओर आती दिखाई देती है।

वह बच्ची संध्या के पास नॉर्मल रूप में आती है, संध्या उसे देख पूछती हैं," क्या हुआ वह कहां है, तुम्हारी मां को ला रहे हैं।"

वह अजीब आवाज में कहती है, " उसे तो मेरी मां देख लेगी, अब तुम अपना बच्चा मुझे दे दो।"

संध्या चौक उठती है और उसकी आवाज सुन थोड़ा घबराती है, और कहती हैं," क्या बकवास कर रही है, जा बुला कर la अंकल को।"

वह बच्ची अचानक अपना रूप बदल कर भयानक रूप में आ जाती हैं, उसे देख संध्या की चीख निकल पड़ी।

वह बच्ची कहती है, " अपना बच्चा मुझे दे दे, मुझे उसका नरम नरम मांस खाना है, चल निकाल उसे।"

उसी समय वह बुढ़िया वहां पहुंचती है, और एक डंडा उस बच्ची को मारती है तो वह गुस्से से बुढ़िया को देखती है, तो बुढ़िया उसे जोर से डंडे मार कर कहती है, भाग यह से हरामखोर कितनी बार कहां राह चलते लोगो को परेशान मत किया कर।"

अंदर धीरज की ओर वह महिला बढ़ती हुई कहती हैं, " आज मैं और मेरी बच्ची दोनो ही तृप्त हो जायेंगे, ।"

धीरज घबराकर चीखता हुआ बाहर भागता है, तो वह जोर जोर से हंसती है, धीरज जैसे ही बाहर भाग कर आता है, तो सामने ही वह हंसती हुई खड़ी दिखती है, उधर संध्या का चीख चीख कर बुरा हाल होता है, और उसके पेट में दर्द शुरू हो जाता है, बच्ची की मां अपने हाथ बढ़ाती हैं उसके हाथ धीरज को पकड़ने वाले ही होते हैं की बुढ़िया का डंडा जोर से उसके हाथों पर पड़ता है, तो वह हड़बड़ा कर हाथ पीछे लेती है, और गुर्रा कर कहती हैं, " ये बुढ़िया तू फिर हमारे बीच आ गई, जिस दिन मौका मिला उस दिन तुझे भी देख लेंगे।"

बुढ़िया दो डंडे तेज़ी से मारती हुई कहती है "चल भाग यह से जब देखना हो देख लेना मेरे रहते तुम मां बेटी की यहां कोई दाल नहीं गलेगी।"


उसकी बेटी तेज़ी से संध्या की ओर बढ़ती है तो बुढ़िया वही से खड़ी होकर एक तेज फटका डंडे से मारती है तो वह चीखते हुए,  मां के पास आ खड़ी होती है बुढ़िया धीरज से कहती है, " जा रे अपनी पत्नी को देख जड़ी से जा यहां से, ।"

धीरज जल्दी से भागकर गाड़ी के पास जाता है तो संध्या जोर जोर से चीख रही थी।"

धीरज चिल्ला कर बुढ़िया से कहता है, " मां जी लगता है इसे डिलीवरी होने वाली है, यह देख वह भूत मां बेटी उसकी ओर भागती हैं, तो बुढ़िया फिर से बीच में खड़ी हो इन दोनों को डंडे से मारती है, सुरून्हे वापस जाने को कहती है वह दोनों गुर्राती हुई खड़ी रहती है, बुढ़िया गाड़ी के पास आकर कहती है गाड़ी स्टार्ट कर और निकल यहां से मैं भी तेरे साथ चलती हूं, धीरज गाड़ी स्टार्ट करता है, संध्या जोर जोर से चीख रही थी, तभी बुढ़िया जल्दी से कार में पीछे बैठती है, और उन मां बेटी को डंडा दिखाती है वह दोनों मां बेटी अपने शिकार को हाथ से निकलता देख जोर से चीखती हैं।

धीरज तेज़ी से गाड़ी भगाता है, बुढ़िया संध्या की सीट को पूरी तरह से पीछे कर गिरा देती है फिर संध्या को धीरे से पीछे खिसका कर बैक सीट पर ले लेती है, और उसको शांत रहने को कहती है, धीरज गाड़ी घाट पर दौड़ाता है, उसे अभी भी साइड मिरर में वह मां बेटी पीछा करते दिखाई दे रही थी, उसी समय संध्या जोर से चीखती है, और फिर बच्चे के रोने की आवाज आती है।"

बुढ़िया कहती है ", बधाई हो बेटा हुआ है, अगले हफ्ते उसी जगह पर दिन में आकर मेरे लिए एक नई साड़ी और कुछ मिठाई रख देना, भूलना मत, गाड़ी अब घाट के ऊपर थी और वह मां बेटी अब नहीं दिखाई दे रही थी, वह बुढ़िया कहती है, मुझे यही छोड़ दे।"

धीरज कहता है, " आपके अहसानों का बदला कैसे चुकाऊंगा, आज अपने तीन जान बचाई।"

वह कहती हैं, " तुम दोनों भी किसी की भलाई कर देना पर इस तरह अनजान जगह पर वह भी रात में तो बिल्कुल भी किसी अनजान जगह में सहायता करने मत जाना।"

धीरज उन्हें कुछ पैसे देना चाहता है पर वह नहीं लेती है, धीरज कहता है, " वह दोनों कौन है, और वह चुड़ैल कैसे बनी।"

वह कहती है, उसी जगह पर हम तीनों को ही कत्ल कर मेरे ही बेटे ने गाड़ दिया था, उसे किसी और औरत से प्यार हो गाया था तो हमने उस से किसी भी गलत कदम उठाने पर घर से निकाल देने की धमकी दी तो एक दिन बहाने से रात को वहाँ लाकर अपने साथियों के साथ यही मारकर गाड़ दिया था, वह अपनी प्रेमिका के साथ स्वतंत्र जीवन जीना चाहता था, तभी से ये दोनों मां बेटी यहां से आने जाने वाले मर्दों को फसाकर मार देती हैं, हां मुझे जब भी पता चलता है में बचाने की कोशिश करती हूं तो चलो जाओ, इसे भी डॉक्टर के पास ले जाओ, और मेरा चढ़ावा जरूर चढ़ देना, वह गायब होती है।"

धीरज और संध्या यह जान और हैरत में रह जाते हैं की उनके बच्चे की डिलीवरी भूतनी ने कराया, वह गाड़ी लेकर भागते हैं, घाट के पार के हॉस्पिटल में गाड़ी रोक संध्या और बच्चे को लेकर अंदर जाता है, उनके दिमाग में अभी भी वह मां बेटी और बुढ़िया का ही चेहरा घूम रहा था।"



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