अन्न की क़ीमत
अन्न की क़ीमत
एक पुरानी बात है , शोती पुर गाँव में मोहिनी नाम की एक लड़की रहती थी। वह देखने में बहुत सुन्दर थी लेकिन उसकी एक आदत खराब थी कि वह खाना खराब करती थी। वह थाली में ज्यादा खाना लेकर, खाना फेंक देती थी।
कुछ समय बाद उसकी शादी हो गयी। उसकी सास ने उसको तिजोरी की चाभियाँ और बाकि सभी जिम्मेदारियाँ सौंप दी फिर कहा,* "वह अभी तक अच्छे से घर चलाती आयी है। अब तुमको ही सही से घर चलाना है।"
मोहिनी ने अपनी सास की बात को मान लिया। इसके बाद अब से मोहिनी अपने पति से बार-बार कभी चीनी, कभी चावल और कभी दाल मँगवाती थी।
जब उसकी सास को इस बारे में पता चला तो उसने मोहिनी से कहा, "तुम महीने भर का राशन एक बार में क्यों नहीं मँगवाती?"
मोहिनी ने बताया कि वह एक साथ मँगवाती तो है लेकिन वह कम पड़ जाता है। मोहिनी की सास ने इसके बाद यह पता लगाने की लिए कि राशन कहाँ जाता है, रसोई में थोड़ी नजर रखनी शुरू कर दी।
कुछ दिन रसोई में देखने पर उसको पता चला कि मोहिनी ज्यादा खाना बनाती थी, जिससे बहुत सारा खाना फ्रिज में पड़ा रहता था। उसने मोहिनी को खाने की अहमियत के बारे में सिखाने की सोची।
एक दिन उसने मोहिनी को बुलाकर कहा कि हमारे पहले वाली नौकरानी के बच्चे की तबीयत ठीक नहीं है, मुझे वहाँ जाना है क्या तुम भी चलोगी?
मोहिनी भी अपनी सास के साथ जाने के लिए तैयार हो गयी। अपनी नौकरानी की बस्ती में जाकर मोहिनी की सास ने कहा कि*" मैं अभी रास्ता पूछ कर आती हूँ।
इसके बाद मोहिनी वहीं खड़ी रही। मोहिनी ने एक घर के अंदर देखा तो एक छोटा बच्चा भूख के कारण रो रहा था। उसकी माँ ने अपने अनाज के सभी बर्तन देखे लेकिन वो खाली थे। यह देखकर मोहिनी को रोना आ गया। कुछ देर बाद उसकी सास आयी और उसको अपनी नौकरानी के घर लेकर गयी। नौकरानी के घर जाने पर उसका लड़का बीमार लेटा हुआ था।
मोहिनी की सास ने बीमारी का कारण पूछा तो नौकरानी ने बताया कि*" वह एक घर से बचा हुआ भोजन लेकर आयी थी लेकिन उसको नहीं पता था की वह खाना खराब था। जिससे उसके बेटे की तबीयत भी खराब हो जाएगी।
यह कहकर वह रोने लगी।
अपनी नौकरानी की यथासंभव सहायता करके कुछ देर के बाद मोहिनी और उसकी सास अपने घर आ गए। घर आने पर मोहिनी अपनी सास के गले लग कर रोने लगी।
उसकी सास ने रोने का कारण पूछा तो मोहिनी ने अपनी गलतियों पर पश्चाताप करते हुए कहा कि*" मैं खाने को बहुत बर्बाद करती थी और किसी को खाने के लिए दो वक्त की रोटी भी नहीं है¡
मोहिनी ने अपनी सास से कहा कि *"अब से वह खाने को कभी बर्बाद नहीं करेगी।
मोहिनी को अन्न की कीमत महसूस होने पर उसकी सास खुश थी।
अन्न की बर्बादी, माँ अन्नपूर्णा का अपमान होता है। अगर कोई व्यक्ति अन्न को बर्बाद कर रहा है तो उसे किसी भी प्रकार से समझा बुझा कर रुकवाए
