भूतिया जंगल
भूतिया जंगल
मैं आठ घंटों से कार चला रहा था और अब बहुत थक चूका था। रात होने के पहले मुझे इस भूतिया जंगल को पार कर लेना था लेकिन जंगल का रास्ता ख़तम होने को ही नहीं आ रहा था। मुझे जंगल के पार की फैक्ट्री में इंस्पेक्शन के लिए जाना था। ये प्रोजेक्ट अभी पांच दिन पहले ही मिला था। मैं पहले अपने बारे में बता दूँ मैं अनिकेत पाठक मैकेनिकल इंजीनियर। अभी तीन साल ही हुए है जॉब पर ,कंपनी breakdowns में डील करती है और इधर तीन महीने से मैं भी इस योग्य समझ लिया गया हूँ की स्वतंत्र रूप से प्रोजेक्ट डील कर सकूँ तो मैं काफी उत्साह में था। मुझे नौ बजे तक पहुँच जाना चाहिए था जहाँ सहाय सर मेरी प्रतीक्षा कर रहे थे। मशीन की कमी को समझ कर ग्यारह बजे तक हमें वापस भी लौटना था। मेरी नजर सामने गयी तो एक लड़की हाथ हिला रही थी। उसकी सफ़ेद साड़ी का पल्लू हवा में लहरा रहा था मैंने कार रोकी। देखा वो काफी खूबसूरत थी
" सॉरी आप मुझे लिफ्ट दे सकेंगे क्या ?"
" मैडम इस जंगल में आप कहाँ से आ गयी अचानक"
"डराने के लिए माफ़ी चाहती हूँ असल में मेरी कार काफी दूर पर ख़राब हो गयी थी और मैं रास्ता भूल कर जंगल के अंदर मुड़ गयी थी। बड़ी मुश्किल से रास्ता मिला है।"
"बस आप मुझे जंगल पार की फैक्ट्री के पास छोड़ दीजियेगा उसी के पास मुझे जाना है।"
मैंने कार का दरवाज़ा खोल दिया लड़की मेरे पास आकर बैठ गयी मैं ड्राइव करना लगा। कुछ देर हम चुप बैठे रहे फिर मैंने उसका नाम पूछा। उसने बताया की उसका नाम रेशमा है और वो शहर में पढ़ती है। कॉलेज की छुट्टियां है तो घर जा रही है। बातें करते करते फैक्ट्री का गेट दिखाई देने लगा। रेशमा ने कहा मैं उसे यहीं उतर दूँ आगे वो चली जाएगी। लेकिन मेरा उसे यूँ छोड़ देने का मन नहीं कर रहा था तो मैंने कहा मैं उसे छोड़ दूंगा ।पहले उसने मना किया फिर उसने बायीं तरफ के रास्ते पार मोड़ने को कहा। हम थोड़ी देर तक चलते रहे फिर सामने एक घर दिखाई दिया रेशमा मुझे अंदर ले गयी।मुझे कमरे में बैठा कर वो पानी ले आयी।" घर के बाकी लोग कहाँ हैं" मैंने पूछा।
" सो गए हैं" उसने जवाब दिया। मुझे थोड़ा अजीब लगा।
"अच्छा चलता हूँ" मैं उठ खड़ा हुआ।
"फिर कब मिलोगे ?"
"पता नहीं अपना नंबर दो तो फ़ोन करूँगा "
"मैं फ़ोन नहीं रखती कभी इधर आये तो मिलूंगी
मैं बाहर आकर कार में बैठा तो मुझे याद आया की वो तो यहाँ नहीं रहती लेकिन तब तक मैं आगे बढ़ चूका था।
फैक्ट्री में सभी मेरी प्रतीक्षा कर रहे थे मैंने तुरंत इंस्पेक्शन शुरू किया। काफी देर हो गयी थी आखिर बारह बज गए। सहाय जी ने पूछा आप कहाँ रह गए थे ? मैंने उन्हें रेशमा के बारे में बताया। फैक्ट्री के दो मजदूर भी वहां खड़े थे सभी के चेहरे अजीब आतंक से भर गए थे थोड़ी देर को तो किसी के मुंह से आवाज़ ही नहीं निकली। फिर सहाय जी ने कहा की आज हम सभी वहीं रुकते हैं। मैंने कहा भी की रात भर ड्राइव करके निकल लेते हैं लेकिन सब बिलकुल अड़ गए, रात को मुझे पता चला की जिस लड़की को मैंने रात में जंगल में लिफ्ट दी थी वो दो साल पहले ही मर चुकी थी। इसी जंगल में उसकी कार ख़राब हो गयी थी और किसी ने उसका रेप करके हत्या कर दी थी। मुझे विश्वास नहीं हुआ।
"लेकिन मैं उसके घर भी गया था। सहाय जी बजरंग बली की जय बोलने लगे। रात भर हम में से कोई नहीं सोया।
सुबह हम बाहर निकले तो मैंने उसी रास्ते पर गाड़ी रोकी ताकि मैं उन्हें उस लड़की का घर दिखा सकूँ। लेकिन सामने सिर्फ कब्रिस्तान का सन्नाटा मुझे घूर रहा था।
" अनिकेत बाबू आप के भाग्य अच्छे थे की आप बच गए यहाँ साल में इसी रात को किसी न किसी की लाश मिलती है।"
मेरा दिमाग घूम रहा था और मैं वहीं सीट पार बेहोश हो गया।
आँख अस्पताल में खुली एक सप्ताह के बाद जब मैं घर लौटा तो कसम खायी जंगल से तो दस हाथ दूर ही रहूँगा जान बची और लाखों पाए।