kanak lata tiwari

Others

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धोखा

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रमा देवी ने चौंक कर सर उठाया ।बिजली चमकने की आवाज से खिड़कियों के पल्ले जोर जोर से हिल रहे थे ।पेन रख कर वे पहले खिड़की बंद करने चल दी। आज अन्नू नहीं आई थी वरना अभी तो गर्म चाय का प्याला उन के सामने रखा होता ।रमा देवी ने सोचा आज अन्नू नहीं आई तो कितना अकेला लग रहा है ।उन्हें खुद पर हंसी आ गई अकेली तो वे जाने कितने सालों से है आज नया क्या है ।जब पति को खो कर जिंदगी की दौड़ में उतरी तो अकेलेपन के बारे में सोचने का वक़्त ही कहाँ था उनके पास ।इकलौते बेटे की शिक्षा सबसे बड़ी समस्या थी। पति गाँव के स्कूल में मामूली मास्टर ही थे ।उनकी ही जगह पर पढ़ाने लगी थी वे। मुश्किलों से कट रही थी जिंदगी ।गाँव के दकियानूस समाज में अपने बेटे को बड़ा नहीं करना चाहती थी ।उन्होंने तन मन लगा दिया धन कमाने में ।स्कूल के अलावा घरों पर भी बच्चों को पढ़ाने जाने लगी ।खाली समय पर आचार और बड़ियाँ बनाने लगी ।उन्हें बेच कर भी कुछ मदद हो जाती थी । बेटा भी पढ़ने में तेज था ।दसवी की परीक्षा में जिले में प्रथम स्थान आया ।रमा देवी की खुशियों का पार ही नहीं था ।सारे गाँव में मिठाई बांटती फिरी थी ।फिर उन्होंने पास के शहर में उसे भेज दिया ।बारहवी के बाद इंजीनियरिंग पढ़ने लगा उनका बेटा सुमंत।इंजीनियरिंग के बाद मुंबई में उसकी नौकरी लगी ।रमा देवी के मन में कई सपने हिलोरें लेने लगे। अब वो वे अपने बेटे की शादी का सपना देखने लगी थी ।तभी उनके स्कूल में एक नयी शिक्षिका आई।अनुपमा नाम था उसका ।पहली नजर में ही अनुपमा उनके मन को भा गई । बेटे का घर बसने के लिए उन्हें लगा सुन्दर सुशील पढ़ी लिखी अनुपमा हर तरह से अच्छी रहेगी ।

बेटे ने कूरियर से उन्हें मोबाइल फ़ोन भेज दिया ताकि मां आराम से बातें कर सके रमा देवी का मन गदगद हो दूसरे उठा ।अब हर रोज बेटे से बात हो जातो ऑफिस से अगर देर होती तो दूसरे दिन सुबह बेटा उनका हाल जरुर पूछता । अब वे बेटे के आने की राह ताकने लगीं। और एक दिन बेटा आया लेकिन वो अकेला नहीं था साथ में थी एक मॉडर्न लड़की ,उनकी होने वाली बहू ।रमा देवी के मुंह से उच्वास निकला लेकिन आवाज़ नहो।एकलौते बेटे का दिल वे कैसे तोड सकती थी।राशी आधुनिक विचारों से ओतप्रोत लड़की थी जिसके उच्च पद पर आसीन पिता का प्रभाव उसकी हर बात में दिखता था ।आते ही उसने रमा देवी को चेता दिया था कि होने वाले पति की इच्छा पूर्ति के लिए ही वह गाँव आई है अरना उसका ऐसी गन्दी जगह से दूर दूर का भी नाता नहीं है ।

“मम्मी जी आप कैसे रहते हो यहाँ बिना ए सी के ।इट्स सो हॉट हियर “

रमा देवी कुछ जवाब न दे सकीं ।उन्हें ये भी अजीब लग रहा था की अभी शादी नहीं हुई तो उस घर में राशी कैसे रह सकती है ।इसलिए उन्होंने ये प्रस्ताव रखा की राशी अनुपमा के साथ रहे ।लेकिन राशी इसके लिए तैयार नहीं हुई उसे लगा रमा देवी उसकी इन्सल्ट कर रही है । दूसरे दिन ही दोनों शहर के लिए तैयार हो गए ,रमा देवी ने एक बार रोकने की चेष्टा की लेकिन राशी का रूखा व्यहार देख कर चुप हो रही ।

शाम को अनुपमा जब घर में घुसी तो रमा देवी चुपचाप अँधेरे में बैठी थी ।अनुपमा दो कप चाय बनाकर ले आई और उनके पास आ बैठी ।अनुपमा को भी शांत मन की ये वृद्ध महिला बहुत अच्छी लगाती थी ।उनके जीवन संघर्ष से भी परिचित थी वह और ये भी जानती थी की उसे अपने घर की लक्ष्मी बनाने का सपना भी उनके मन में पल रहा है ।

“चाय पी लीजिये “ अनुपमा का स्वर सुनकर रमा देवी चौंक उठी ।चाय का कप धीरे से हाथ में उठा लिया ।स्वागत वे बरबराने लगी

“क्या मैं गलत हूँ ? गाँव की मर्यादा के अनुसार चलने को ही मैंने कहा ।इसमें बुरा क्या था ?”

“ये दो सोचों का टकराव है। न आप गलत हैं न वे ।आधुनिक जीवन शैली में लडके लड़कियों का यूँ मिलाना अथवा साथ में रहना सब स्वाभाविक है ।”अनुपमा ने कहा ।

“पता नहीं “ रमा देवी ने ठंडी साँस ली ।

दिन बितने लगे ।रमा देवी फिर अपनी दिनचर्या में व्यस्त हो गई ।बेटे से रोज फ़ोन पर बात होती थी लेकिन राशी का कोई जिक्र नहीं होता था।

कई महीने बीत गए फिर एक दिन बेटे का फ़ोन आया ।

“माँ अगले हफ्ते मेरी शादी फिक्स हो गई है मै कार भेज दूंगा आप आ जाना ।”

“ क्या कह रहा है तू?तेरी शादी तू तय कर रहा है ,न गाँव में किसी को न्योता न मेरी कोई तैयारी “

“माँ ये सब दकियानूसी पन छोडिये ।गाँव से आप दो तीन लोगों को ला सकती हैं इससे ज्यादा की गुंजाईश नहीं होगी ।राशी के पापा ने फाइव स्टार होटल में सब इन्तेजाम किया है पर प्लेट करीब तीन हज़ार रुपये पड़ेगे ।आपके गाँव के गवारों को न्योत कर अपनी नाक नहीं कटानी मुझे “।

“बेटा मामा के यहाँ तो फ़ोन कर देता ।”

“मामा कौन सा हमारी मुसीबत में साथ खड़े थे मुझे नहीं बुलाना ऐसे इन्सान को “।

रमा देवी चुप रही ।

“ सुन रही हो न माँ ।अपने जो जेवर बनाये थे मेरी शादी के लिए वे लेती आइयेगा ।कपडे मैंने और राशी ने खरीद लिए हैं ।आपके लिए भी एक साड़ी खरीदी है ।क्रीम कलर का ब्लाउज लेते आयियेगा ।”

“ममा सुन रही हो न ?” रमा देवी का मन भर आया ,बेटा उन्हें प्यार से ममा ही कहता था ।

“ ठीक है बेटा आ जाउंगी तू परसों कार भेज दे ।”

रमा देवी अपना सामान ठीक करने लगी ।दुसरे दिन अनुपमा भी स्कूल के बाद आ गई उसने सारा सामान पैक कर दिया ।रमा देवी ने अपने शादी के जेवर बचा रख छोड़े थे ,बेटा जानता था की ये उसकी पत्नी के लिए है इसलिए उसने जेवर लाने की बात कही थी ।

रमा देवी ने सिर्फ गाँव के मुखिया और अनुपमा को बुलाया ,बाकि लोगों के घर जाकर हाथ जोड़ कर माफ़ी मांगी। लोग समझते थे उनकी मज़बूरी इसलिए किसी ने बुरा नहीं माना ।

नियत दिन पर गाड़ी आ गई ।मुखिया जी के साथ अनुपमा और रमा देवी बैठ कर शहर की ओर चल दी।ड्राईवर पता जानता था सीधे उन्हें बेटे के फ्लैट पर ले आया ।बेटा उनकी प्रतीक्षा कर रहा था ।उसने मुखिया जी अनुपमा सबका स्वागत किया ।घर पर एक नौकरानी थी जिसने उन्हें बैठाया और प्लेटो में नाश्ता और कोल्ड ड्रिंक ले आई ।

“माँ आप आराम कर लो ,फिर तैयार होकर मैरिज हॉल पर आ जाना ।आपकी साड़ी बिस्तर पर ही रखी है “

रमा देवी कमरे में गई तो पलंग पर रखी खूबसूरत साड़ी देख कर उनका मन खिल उठा ।वाकई में बड़ी सुन्दर साड़ी लाई थी राशी उनके लिए ।

साड़ी पहन कर वे तैयार हो गई तथा ड्राईवर की प्रतीक्षा करने लगी ।मुखिया जी और अनुपमा भी तैयार थे ।नियत समय पर कार आ गई।शादी के होटल पर पहुँच कर रमा देवी भौचक्की हो गई ।इतना बैभव और इंतनी चमक ,उन्हें अपना कद बहुत छोटा महसूस होने लगा ।राशी के पिता उनके स्वागत में आगे बढ़ आए थे ।

उन्हें मंडप में बैठा दिया राशी लाल लहंगे में बड़ी सुमंदर लग रही थी और उनका बेटा भी।रमा देवी का मन अभिमान से भर उठा ।आज उनका बेटा इतनी ऊँची जगह पहुँच गया ।इतनी महँगी जगह से शादी कर रहा है ।शादी संपन्न हुई ।वर वधु ने आकर सबके पैर छुए ।रमा देवी आशिर्वाद देते हुए भावविव्हल हो गई।

शादी के बाद उन्हें बेटे के फ्लैट पर पहुँचाया गया। रात को बेटा वहाँ नहीं आया । दूसरे दिन उनके समधी आये ।उन्होंने बताया की बेटा बहू तो हनीमून के लिए विदेश चले गए हैं ।वे जितने दिन चाहे रहे वे लोग दस दिन में लौटेंगे ।रमा देवी भौचक्की हो गई कहा तो वे बहू को साथ लेकर कुलदेवी के दर्शन के लिए जाना चाहती थी उन्होंने कहा की वे आज ही गाँव लौट जाना चाहेंगी ।लौटने के बाद भी बहुत दिन उनका मन अशांत रहा ।आखिर क्या सोचा होगा मुखिया जी ने ।अनुपमा के व्यहार में तो कोई अंतर नहीं था बल्कि अब व्वो उनके प्रति ज्यादा सदय हो गई थी ।रोज शाम को नियम से उनके पास अति चाय बना कर पीती और रात के लिए सब्जी रोटी बना कर रख जाती ,उनके लाख मना करने पर भी सुनती नहीं ।

रमा देवी के दिन युहीं बीतने लगे ।विदेश से लौटने के बाद बेटे का फ़ोन आया ,उन्होंने कुलदेवी के दर्शन की बात छेडी लेकिन वो टाल गया ।फिर उनकी भी इच्छा मर सी गई । धीरे धीरे दिन गुजरने लगे ।बीटा दो बच्चों का पिता बना वे दादी बनी लेकिन न उसने बुलाया न ही वे खुद से जाने की बात कह पाई ।फ़ोन बीच बीच में आते रहे ।फिर कुछ दिनों से उनकी तबियत ख़राब सी रहने लगी । गाँव के डॉक्टर को दिखाया लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ ।एक दिन घर पर लेती थी अचानक दरवाज़ा खड़का ,खोला तो बेटा सामने खड़ा था ख़ुशी से ऑंखें भर आई ।पता चला ऐसे ही माँ की खोज खबर लेने चला आया था ।और अब माँ को लेकर जायेगा ।

रमा देवी ने भी ज्यादा न नुकुर नहीं की और सामान बांध लिया ।बेटे ने कहा की वे जल्दी नहीं आयेंगी तो जयादा दिन की तैयारी कर लें ।

रमा देवी शहर में बेटे के घर आ गई ।बहू का रवैया ठीक ही था ।पोते पोती के बीच खुश ही थी वे। एक दिन का मोबाइल गिर कर टूट गया ।बेटे ने कहा वो नया मोबाइल ले आयेगा लेकिन बहु ने कहा की सिर्फ मामा जी और मुखिया तथा अनुपमा के फ़ोन आते हैं तो वो ही बात करा देगी ।उन्हें भी लगा ठीक ही है।

इधर काफी दिन से उन्हें कोई फ़ोन नहीं आया था ।उन्होंने बहू से कई बार पूछा लेकिन उसने नकारात्मक उत्तर ही दिया ।एक दिन वे बेटे से कहने लगीं की चलो घर देख आयें कितने दिन से टला बंद है ।बेटे ने बताया की वो बीच में दो बार जाकर देख आया है ।उन्हें याद आया की चावी तो एक बार मांगी थी बेटे ने ।फिर एक दिन बहू उनके पास दो तिन फॉर्म ले आई उसने बताया की उनका मेडिकल इन्सुरेन्स करा रही है पता नहीं कब जरुरत पड़ जाये ।उन्होंने भी जहाँ कहा गया वहां दस्तखत कर दिए ।

इस बात को भी काफी दिन बीत गए ।फिर बेटे ने बताया की उसने एक बड़ा घर ले लिया है अब सब वहीँ जायेंगे।रमा देवी ने कहा एक बार वो गाँव वाले घर जाना चाहती है।बेटा बिना कुछ कहे चला गया।रात को जब वे बिस्तर पर बैठी सोच रही थी तभी उनकी पोती बड़े भेद भरे अंदाज़ में उनके पास आई।

“दादी एक बात कहें ?”

“कहो बेटा।”

“दादी पापा मम्मी से बोल रहे थे की माँ अपने घर जाना चाहती हैं ।लेकिन घर तो हमने बेच दिया ।”रमा देवी के दिमाग पर सन्नाटा सा छा गया ।वो धडाम से जमीन पर गिर पड़ी।






 


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