भटकाव
भटकाव
घर में सबका लाड़ला था रोहन लेकिन ज्यादा लाड प्यार से बच्चे बिगड़ जाते हैं यह बात अक्षरस: सत्य है।
स्कूल जाते वक्त रोहन बस में बैठता और फिर उतरते समय गाड़ी के पीछे छुप जाता और क्लास में तो जाता ही नहीं सारा दिन बाहर बैठा रहता और जब स्कूल जाने का समय रहता तो वापस बसनमें चढ़कर घर आ जाता
बहुत दिन तक यही सिलसिला चलता रहा।
1 दिन घर पर नोटिस आया की रोहन के माता-पिता स्कूल में आए कुछ जरूरी बात करनी है।
माता-पिता तो घबरा ही गई क्या हो गया रोहन तो रोज स्कूल जाता है।
क्या हुआ बेटा ! तुम्हारे प्रिंसिपल सर ने क्यों बुलाया पापा ने सिर पर हाथ फेरते हुए कहा।
सुनकर तो रोहन के जैसे हाथ पैर ही भूल गए अब वह क्या करें कुछ समझ में नहीं आ रहा था।
अचानक वह जोर जोर से रोने लगा और अपने पिता से उसने क्षमा मांगी कि पिताजी में भटक गया था और कई दिन से मैं स्कूल के समय में बाहर खेलता रहता हूं आप मुझे क्षमा कर दीजिए।
पिताजी बोले कोई बात नहीं बेटा सुबह का भूला अगर शाम को घर आ जाए तो उसको भूला नहीं कहते।
अच्छा रहा तुमने खुद बताया मुझे इस बात की खुशी है अगर यह बात मुझे स्कूल में पता चलती तो मुझे कितना दुख होता कि तुमने हमारे लाड प्यार का कितना गलत फायदा उठाया है।
रोहन दिल से शर्मिंदा होते हुए क्षमा मांग कर पापा के गले लग जाता है पापा आज से ऐसी गलती कभी नहीं होगी।