भगत
भगत
रामु और शामू पिछले दिनों काफी परेशान रहे। एक तो कोरोना का डर उस पर लॉकडौन ने कमर तोड़ डाली। अब बाजार कुछ खुलने शुरू हुए तो रामु और शामू दोनो ने मिलकर दुकान लगानी शुरू की जिससे कि ग्राहक को ज्यादा से ज्यादा समान एक ही जगह मिल सके। और खाली वक़्त में गप्पे लगते हुए एक दूसरे का ख्याल भी रख सकें।
आज सुबह से ही हल्की बुंदाबांदी हो रही थी शायद इसीलिए रामु आज दुकान पर थोड़ा लेट पहुंचा था। शायद बारिश के कारण ही ग्राहक भी आज दुकान से दूर थे।
रामु जैसे ही दुकान में दाखिल हुआ तो शामू यह कहते है उठ खड़ा हुआ कि आज कोई माल नहीं बिका और संभावना भी नहीं इसीलिए अब वो घर जाएगा।
शामू अभी माल की बात कर ही रहा था कि उस पर पहाड़ टूट पड़ा। एक बुरी सी दिखने वाली महिला शामू पर टूट पड़ी। शायद वो कैब ड्राइवर की पिटाई से प्रेरित थी। लोगो की भीड़ तमाशा देखती रही और शामू पिटता रहा।
महिला अवश्य ही कैब ड्राइवर वाली महिला से प्रेरित रही होगी परंतु रामु और शामू दोनो कैब ड्राइवर से प्रेरित नहीं थे। लिहाज़ा बाजी पलट गई। वही भीड़ जो शामू की पिटता देख कर तमाशा देख रही थी अब महिला को बचाने के लिए लपकी। जब तक महिला को बचाती उसकी 35 हड्डियां टूट चुकी थी।
रामु और शामू ने एक अंगड़ाई ली आगे की तरफ बढ़ चले ठीक वैसे जैसे कभी भगत सिंह फांसी के फंदे की तरफ बढ़ा होगा।