भाई बहनों की हौसले की उड़ान
भाई बहनों की हौसले की उड़ान
जब मन में हो कुछ कर गुजरने का जज्बा तो कुछ भी नामुमकिन नहीं है । परिस्थितियों वाले कोई भी हो कितना ही गरीब हो ऊंचाइयां छूने वाले छू ही जाते हैं।
जैसा इन दो भाई बहनों ने कर दिखाया है। यह एक सच्ची घटना पर आधारित कहानी है ।
राजू पेपर बांटने के लिए आया था।
रोज सुबह उसके पापा पेपर बांटने जाया करते थे। सुबह में 4:00 बजे उठकर हाॅकर का काम करते थे पेपर बांटने के बाद दिन में सब्जी का ठेला चलाया करते थे ।
और इस तरह से पैसा कमा कर अपने परिवार का पेट पाल रहे थे। परिवार को पाल रहे थे। अपने दोनों जुड़वा बच्चों को एक लड़की और एक लड़का और पत्नी मां बाप सबके साथ में बहुत अच्छी तरह से शांति से रहते थे।
घर में काफी अच्छा वातावरण था।
आज उनकी तबीयत खराब थी तो राजू ने बोला पापा आज मैं पेपर बांट कर आता हूं।
वह एक महत्वाकांक्षी लड़का था जो पढ़ने में बहुत होशियार था ।
और उसकी इच्छा कुछ अच्छा करने की थी मगर उसको समझ नहीं आ रहा था।
जब वो पेपर बांटने के लिए गया तो उसने एक पेपर उठाकर पढ़ा उसमें सुर्खियों में एक जोरदार न्यूज़ थी कि एक मटके बनाने वाले के लड़के ने सीए में टॉप करा है।
और उसका फोटो भी था।
वह पेपर देख करके उसकी आंखों में चमक आ गई ।
उसके मन में भी यह ख्याल आया कि जब मटके बनाने वाले का लड़का सीए कर सकता है तो सब्जी बेचने वाले का लड़का और लड़की क्यों नहीं।
बस उसी दिन से उसने अपनी कमर कस ली और दोनों भाई बहनों ने बहुत पढ़ाई करी।
बहुत मेहनत करी सब काम के साथ मां-बाप का हाथ बढ़ाते हुए अपनी मंजिल को हासिल करा।
जब सीए फाइनल का रिजल्ट आया दोनों भाई बहन की फोटो और साथ में उनके मां-बाप की फोटो भी छपी ।
पेपर के सुर्खियों में सब्जी का ठेला चलाने वाले इंसान के दोनों जुड़वा बच्चों ने सीए फाइनल एग्जाम में टॉप किया है।
यह देख कर के दोनों बहुत ही खुश हुए और उनके मां-बाप तो खुशी से रोने ही लगे, कि हम तो सोच ही नहीं सकते थे कि हमारे बच्चे इतने काबिल निकलेंगे।
यह इन लोगों की मेहनत और लगन का ही नतीजा है।
जब उस लड़के से पूछा गया तो उसने अपनी स्टोरी बताई कि किस तरह से उसको अपनी लाइन अपनी मंजिल का पता लगा ।
अपनी महत्वाकांक्षा को पूरा करने का अपनी मंजिल को ढूंढने का सारा श्रेय उस पेपर की सुर्खियों को जाता है जिसमें जब मैं छोटा था तब एक सीए के टॉपर की फोटो और न्यूज़ थी।
उसी न्यूज़ ने आज मेरे को यहां तक पहुंचा दिया। मेरे लिए तो अदृश्य गुरु वही है।
और मैं अपने मां बाप का और अपनी बहन का भी शुक्रिया अदा करता हूं कि बहन ने भी मेरे साथ में बहुत मेहनत करी और उसने मेरे लक्ष्य को पूरा करने में साथ दिया उसका और मेरा एक ही लक्ष्य हो गया।
और आज जो मैं चाहता था पेपर की सुर्खियों में हम दोनों का नाम नाम और फोटो है ।
और हमको शोहरत हासिल हुई ।
आगे भी हम अच्छे काम करेंगे और अपनी शोहरत को बनाए रखेंगे। अपनी उड़ान को बंद नहीं करेंगे ना मां बाप को भूलेंगे।