बहु को देखकर प्रभाकर सन्न रह गया,ये और कोई नहीं सुनैना थी! बहु को देखकर प्रभाकर सन्न रह गया,ये और कोई नहीं सुनैना थी!
जावेद अख्तर साहब का एक संस्मरण। जावेद अख्तर साहब का एक संस्मरण।
उसे पैसा, दौलत और आज़ादी ही तो चाहिए थी न उसे पैसा, दौलत और आज़ादी ही तो चाहिए थी न