भाग -4(अमावस की रात )
भाग -4(अमावस की रात )
अब तक आप सभी ने पढ़ा की कुसुम ने अपनी दिव्य शक्तियों से राजकुमार शोर्य प्रताप सिंह को ठीक कर देती हैं। अब आगे की कहानी ..।
राजकुमार, कुसुम को देख कर उस पर मोहित हो गया होता हैं उसकी नजर हट ही नहीं रही होती कुसुम के उपर से। पहली नजर मैं ही राजकुमार को कुसुम से प्यार हो जाता हैं। जब कुसुम भी राजकुमार को देखती हैं तो उसे भी राजकुमार से पहली नजर मैं ही प्यार हो जाता हैं।
तभी कुसुम की कुछ सहेलियां बोलती हैं कुसुम अब चलो यहां से शाम होने वाली हैं और हमें घर जाना होगा। कुसुम, वहां से अपनी सहेलियों के साथ जाते हुए भी राजकुमार को प्यार भरी नजरों से देखती हुई जा रही होती हैं।
राजकुमार , भी कुसुम को ही देख रहा होता हैं फिर अपने राज महल वापस लौट आता हैं। सोहनगढ़ का एकलौता राजकुमार होने की वजह से महाराज भानु सिंह और महारानी कलावती अपने राजकुमार को बहुत प्यार करते थे और उसकी सारी इच्छा को पूरी करते थे।
कुसुम , एक शाही पुजारी की बेटी होती हैं। जो की राज महल के शाही पुजारी होते हैं उनके पास भी दिव्य शक्ति हैं जिनसे वो किसी की भी कुंडली देख कर उसका भविष्य बता सकते हैं।लेकिन कई साल पहले की बात हैं की जब शाही पुजारी और उसकी पत्नी अपने गुरु के मठ से वापस लौटकर आ रहे थे।
तब उनको एक साधु मिलते हैं जो की बहुत ही भूखे होते हैं और उनको प्यास भी लगी होती हैं। जब शाही पुजारी उनके पास से गुजरते हैं तो वो साधु महाराज बोलते हैं। मैं जानता हूं तुम दोनों की शादी को बहुत समय हो गया हैं। लेकिन फिर भी तुम दोनों के कोई संतान नहीं हैं।
ये सुनते ही शाही पुजारी और उसकी पत्नी एक दूसरे के मुंह की ओर देखते हुए । साधु महाराज को हाथ जोड़कर बोलते हैं आप सही बोल रहे हैं महाराज। फिर वो दोनों ही बड़े आदर सत्कार के साथ उनको अपने घर आने के लिए बोलते हैं।
जब साधु महाराज उनके सेवा और सम्मान से खुश हो जाते हैं तो वो उनको वहां से जाने से पहले एक कमल का फूल और दूसरा नाग फुल देके जाते हैं और बोलते हैं। मुझे अब अपने भगवान के पास जाना होगा मैने अपनी उमर भर की तपस्या से जो भी प्राप्त किया हैं।
वो सब इन दो फूलों के रूप मैं तुम दोनों को देके जाता हूं। लेकिन एक बाद याद रखना तुम दोनों के भाग्य मैं संतान सुख नही हैं। लेकिन इन फूलों की मदद से तुम दोनों को इसका सुख प्राप्त होगा। लेकिन कमल के फूल के अंदर एक बीज है उसे खा कर तुम एक दिव्य कन्या प्राप्त करोगी । नाग फुल के अंदर भी एक बीज हैं जिसे खा कर तुम एक आलोक और विष कन्या प्राप्त करोगी।
ये तुम दोनों पर निर्भर करता हैं की तुम दोनों क्या चुनते हो।ये बोल कर वहां से चले जाते हैं। अब कुछ महीने ऐसे हो गुजर जाते हैं फिर 9 महीने पूरे होने के बाद शाही पुजारी की पत्नी एक सुंदर सी कन्या को जन्म देती हैं जिसके चेहरे पर बहुत तेज रोशनी निकल रही होती हैं।
शाही पुजारी और उसकी पत्नी बहुत खुश थे और आस पास के सभी लोग भी उस प्यारी सी बच्ची को देख कर खुश हो रहे थे । लेकिन उसके कुछ महीने के होते ही एक दिन शाही पुजारी की पत्नी लालची होकर नागफुल के बीज को भी खा लेती हैं। फिर दूसरी बच्ची को भी जन्म दे देती हैं।
शाही पुजारी दूसरी बच्ची को देख कर इतना खुश नही होते क्योंकि उसकी कुंडली के हिसाब से आगे चल कर वो खतरा बन सकती थी। सभी लोगो के लिए और खुद अपने माता पिता के लिए भी क्योंकि उसकी राशि के अनुसार इसका जन्म राक्षस गण मैं हुआ था।
आगे की कहानी मैं हम जानेंगे, कुसुम और राजकुमार के बीच मैं आकर्षी कब और कैसे आई । क्यों इच्छाधारी नाग ने काटा था राजकुमार को और आकर्षी के श्राप के बारे मैं
क्रमशः


