भाग -3( अमावस की रात)
भाग -3( अमावस की रात)
अब तक आप सभी ने पढ़ा होगा की कैसे पिशाचनी धोखे से शाही पुजारी को मार देती हैं। लेकिन फिर भी उसे सच का पता नही चलता और वो गांव मैं परवेश करके किसी को भी नुकसान नही पहुंचा सकती थी। क्योंकि गांव के उपर शाही पुजारी द्वारा कवच चढ़ा कर गया होता हैं ।
अब आगे की कहानी,पिशचनी अब गुस्से से चीखते चिलाते हुए काली पहाड़ी वापस चली जाती हैं। काली पहाड़ी के उपर एक बहुत बड़ा राज महल बना हुआ होता हैं। आस पास की जगह खंडर और सुनसान होती हैं। पिशाचनी, राजमहल के तहखाने मैं बने गुफा के अंदर चली जाती हैं।
गुफा के अंदर हर तरफ कंकाल पड़े हुए होते हैं देखने से ऐसा लग रहा होता हैं। जैसे की ये सभी कंकाल इंसानों के ही हैं। हर तरफ अंधेरा ही अंधेरा होता हैं। लेकिन उस अंधेरे मैं बहुत सी आत्माएं चीख चिला रही होती हैं। ये सभी आत्माएं इंसानों की होती हैं। अब तक पिशाचनी ने कई सारी जानें ली थी जो की सभी कुंवारे लड़के थे।
पिशाचनी, गुफा के अंदर एक बड़ी सी मूर्ति के आगे जाके के चीखते हुए बोलती हैं। आखिर कब तक और मुझे ऐसे ही तड़पना होगा । कब मुझे इस श्राप से मुक्ति मिलेगी वो कहां छुपा बैठा हैं। आखिर कब पिछले कई वर्षो से मुझे ये श्राप भोगना पड़ रहा हैं और तुम अभी तक चुप हो।
अब मुझसे और बर्दास्त नही होता अब तो शाही पुजारी भी मर गया और उसने मरने से पहले श्राप दे दिया हैं। अब एक और श्राप भोगना होगा आखिर क्यों मेरे साथ ही क्यों। किसी को नहीं छोडूंगी कोई नही बचेगा मैं सब को मार दूंगी । तभी उस मूर्ति मैं से जोर जोर से हंसने की आती हैं।
क्या शाही पुजारी भी मर गया , ये तो बहुत अच्छा हुआ । पिशाचनी, तुम ये सब क्या बोल रही हो कुसुम । ये मूर्ति पिशाचनी की बहन कुसुम की होती हैं जिसे पिशाचनी ने अपनी काली शक्तियों से एक मूर्ति बना कर रखा हुआ था। कुसुम एक दिव्य कन्या थी और उसे एक राजकुमार से प्यार हो गया था।
लेकिन कुसुम को ये नही पता था की उसकी बहन आकर्षी भी उसी राजकुमार को प्यार करती हैं। जब ये बात आकर्षी को पता चली तो उसे बहुत गुस्सा आ गया । वो बचपन से कुसुम से जलती थी और नफरत करती थी। क्योंकि कुसुम एक दिव्य कन्या थी जिसकी वजह से उसे सब बहुत प्यार करते थे और उसका सामान भी करते थे।
एक दिन राजकुमार तालाब के पास बैठा हुआ था तभी वहां एक नाग आकर राजकुमार को काट लेता हैं। कुसुम , तालाब से थोड़ी दूरी पर आम के बगीचे मैं बैठी हुई थी अपनी सहेलियों के साथ। जब सैनिकों की जोर जोर से चिलाने की आवाज आती हैं तो कुसुम भी राजकुमार के पास पहुंच जाती हैं।
कुसुम को जब पता चलता हैं की राजकुमार को एक नाग ने काट लिया हैं। तो वो जल्दी से भागकर राजकुमार के पास जाती हैं और उसका हाथ पकड़ कर देखती हैं तो उसे समझ आता हैं की राजकुमार को एक इच्छाधारी नाग ने काटा हैं।तो वो जल्दी से अपने हाथ को उस जगह पर रख देती हैं।
फिर अपनी शक्तियों से उस जहर को राजकुमार के शरीर से निकल कर अपनी एक उंगली मैं भर लेती हैं। जिसकी वजह से उसकी वो उंगली नीली पड़ जाती हैं। फिर कुसुम अपनी उंगली मैं एक जोर से छेद कर देती हैं। थोड़ी देर मैं उस उंगली का सारा खून और जहर बाहर निकल जाता हैं।
अब तक राजकुमार को भी होश आ गया होता हैं। राजकुमार अपने पास कुसुम को बैठा देख कर थोड़ा हैरान हो जाता हैं लेकिन उसे एक नजर मैं ही कुसुम पसंद आ गई थी। जब राजकुमार को पता चलता हैं की कुसुम ने ही राजकुमार को उस इच्छाधारी नाग के जहर से बचाया हैं तो वो कुसुम को धन्यवाद करता हैं।
आगे की कहानी मैं हम जानेंगे क्या हैं पिशाचनी का राज और कुसुम और राजकुमार की आगे की कहानी। किसने और क्यों दिया था आकर्षी को श्राप

