विष कन्या
विष कन्या
रचना और कुणाल जो कि पति पत्नी थे..... शादी के कई वर्षों के बाद भी उनकी कोई संतान नहीं थी....रचना एक दिन सुबह सुबह मन्दिर से लोट रही थी,,,,उसे पीपल के पेड़ के नीचे एक बुढ़िया बैठी दिखाई देती है... वो उस बुढ़िया के पास जाकर उसे कुछ मिठाई और पैसे दे कर वापस लोट रही होती है ,,,,तभी वो बुढ़िया जो की एक तांत्रिक होती है... जिसका नाम चंडिका होता है...
वो रचना को बोलती है .... तुम बहुत दुखी हो ,,,, तुमरे कोई संतान नहीं है...ये सुनकर रचना बहुत आचार्य जनक से उसे पुछती है,,, तुमको कैसे मालूम माई की मेरे कोई भी संतान नही है....चंडिका मै एक पुजारिन हूँ मां चंडी की ,,, तो मुझे सब मालूम है बेटी ....
वो रचना को एक नीले रंग का फल का बीज निकाल कर देती है ,,,उसे कहती है की तुम इसे खा लेना ...9 महीने के बाद तुम एक रूपवान और सबका मनमोह ले ऐसी कन्या को जन्म देगी .... हां लेकिन वो कोई साधारण कन्या नही होगी,,,, वो एक विष कन्या होगी....
जिसके पास रूप बदलने की ओर सम्मोहित करने शक्ति होगी... रचना कया ,,,विषकन्या.... ये बोल कर चुप हो जाती है,,,, क्यू की इतने बरसों से बच्चे के लिए तरस ने की वजह से उसका मोह बढ़ गया था....वो चंडिका से नीले रंग का बीज ले लेती है...
अब घर जाने लगती है तो ,,, चंडिका उसे बोलती है तुम इसे रात मैं खाना खाने के बाद सोते वक्त खा लेना ....तुम 9 शनिवार तक हर सुबह नाग देवता के मंदिर जाके उनको दूध और चंदन का धूप जलाना होगा...9वे दिन तुम को माता मनसा देवी की विधि के साथ पूजा करनी होगी और उनको चंदन की धूप ,फूल और दूध चढ़कर खुद ही ग्रहण करना होगा किसी और को नही दे सकती...उनके सामने ये काले धागे मैं 9 गाठ बांधकर रख देना...
अब तुम जाओ ये धागा उसके जन्म के 6वे दिन लेके आना और मां मनसा देवी की पूजा हर दिन करना....जब तक 9वे शनिवार पुरे नही हो जाते ,,, ब्रह्मचर्य पालन करना... रचना घर आ जाती है... रात के समय खाना खा कर वो नीले रंग का बीज अपने पति को दिखाती हुई ,,,, ये बताती है कि ये बीज उसे एक पुजारिन ने दिया है....
लेकिन पूरा सच नही बताती ,, ये बोलती है की देवी मां के आर्शीवाद से उनको एक प्यारी सी कन्या होगी...फिर वो बीज खा कर सो जाती है...8 शनिवार को हर सुबह सुबह वो नागदेव के मंदिर जाके पूजा करती... अब आखिर वो दिन आ ही गया,,, ये सोच कर रचना रात में सो नही पा रही थी.... सुबह उठ कर नहा धो के अच्छे से नीले रंग के कपड़े पहनकर ...विधि के साथ पूजा शुरू कर देती है....
सबसे पहले तो ,,,मां मनसा देवी को फूल चढ़ती है,,फिर चंदन का धूप जलाकर मां, को कुमकुम का तिलक लगाती है,,उसके बाद दूध मां के सामने रख देती है... उनके सामने कला धागा रख देती है ,,, उस पर 9 गांठ बांध कर....अब मां का महा मंतर उच्चारण करने लगती है 10008 बार...
***** ॐ श्रीं क्लीं ऐं मनसादेव्यै स्वाह ******
पूजा पूरी करने के बाद ,,, दूध खुद पी लेती है... धीरे धीरे 9 महीने पूरे हो जाते है... स्कल पक्ष्य के पूर्णिमा के सुबह ही रचना एक रूपवान और मनमोहक कन्या को जन्म देती है...रचना और कुणाल बहुत खुश थे,,, उनके रिश्तेदार सभी उनको बधाई देते है...
अब रचना की सास जो की गांव में रहती थी...उनके घर आ गई और उनके साथ रहकर ,,, अपने पोती की देख भाल करने लगी...कुछ दिन के बाद ,, आज 6ठवा दिन था ,,, सब लोग बहुत ही धूम धाम से उसके छठी की त्यारियो मैं लगे हुए थे...
उसकी दादी चांदी के चमच से ,,, अपनी पोती को शहद चटाती है.... सब लोग आपस मै व्यस्त हो जाते है..रचना रसोई घर से पानी लेने जाती है...उसे वहां काली बिल्ली शहद के बर्तन के पास मरी हुई दिखाई देती है...
रचना , बिना समय खराब किए जल्दी से अपने नौकर मोहन को बुलाती है ,,,, उसे बिल्ली को बाहर कही दूर फेकने के लिए कहती है... खुद डरते _ डरते जल्दी से ,,, काला धागा लेके ,,चंडिका के पास चले जाती है....
आगे की कहानी ,,, रचना काला धागा लेके चंडिका के पास क्यू जाती है और विष कन्या का राज उसके पिता और दादी को पता चल जायेगा या नहीं...विष कन्या के बारे मैं आगे की कहानी ,,, (विष कन्या ) भाग-2 मैं जानते है .....