sargam Bhatt

Romance Classics Children

3.4  

sargam Bhatt

Romance Classics Children

बेटी की खुशी

बेटी की खुशी

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कोई खुशियां आप मना रहे हो, और उसमें कोई और खुशी शामिल हो जाए तो ! खुशियां देखते ही बनती है।

ऐसे ही मेरी एक छोटी सी खुशी, छोटी सी कहानी के रूप में।

मेरी मैरिज एनिवर्सरी थी, और उसी दिन मेरी प्रेगनेंसी रिपोर्ट पॉजिटिव आई थी।

हम दोनों के लिए, यह तो सोने पर सुहागा था।

वैसे तो मैं साथ ही रहती थी, लेकिन ! जब प्रेगनेंसी रिपोर्ट पॉजिटिव आई तो, यह मुझे ससुराल छोड़ गए थे, जिससे मेरी देखभाल अच्छे से हो।

सब लोग भी मुझे बहुत प्यार करते थे, और मेरी अच्छी से देखभाल होती थी, यह भी हर महीने, एक हफ्ते के लिए आया करते थे। सब कुछ अच्छे से चल रहा था, हम दोनों ने मिलकर, बहुत सी तैयारियां की थी।

आने वाले बच्चे के लिए, हजारों सपने सजाए थे। धीरे-धीरे वह दिन भी आ गया, जब बच्चा थोड़े ही देर में, गोद में आने वाला था।

सभी लोग हॉस्पिटल गए, पतिदेव भी आए थे, सब लोग बेसब्री से, डिलीवरी का इंतजार कर रहे थे।

कुछ ही देर बाद ! जब नर्स ने आकर सभी लोगों से कहा, बधाई हो लक्ष्मी आई है, सभी के चेहरे की रौनक उड़ गई।

मुझे होश आया तब मैंने नर्स से पूछा, क्या हुआ है ?

नर्स ने कहा, बधाई हो बहना " बेटी हुई है।

लेकिन !

तुम्हारे घर वालों के चेहरे पर, कोई खुशी नहीं है। उसका यह कहना मुझे कितना सुकून दे गया, कि मैं यह भूल गई परिवार वाले खुश नहीं है। मैं बेटी चाहती थी और मुझे बेटी हुई।

कोई खुश हो या ना हो।

2 दिन बाद मुझे हॉस्पिटल से, डिस्चार्ज कर दिया गया।

मैं अपनी नन्ही सी जान को लेकर घर आ गई।कोई खुश नहीं था, पर मैं अपनी नन्हीं जान के साथ इतना खुश थी, कि वह खुशी में शब्दों में नहीं बयां कर सकती।

किस तरह से पल-पल रिश्ते बदलते हैं, इतनी घटिया सोच वैसे तो आजकल कोई नहीं रखता, उन लोगों के लिए बेटी बेटी में फर्क है आज भी, पर मैं गर्व से कह सकती हूं मैं एक बेटी की मां हूं।

मुझे बेटी बेटा से कोई फर्क नहीं।


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