Suraj Kumar Sahu

Inspirational Others

5  

Suraj Kumar Sahu

Inspirational Others

बेईमानी का पैसा

बेईमानी का पैसा

5 mins
667


रामधनी लाला जी अपने क्षेत्र के सबसे बड़े व्यापारी थे। किसानों के यहाँ से अनाज खरीदना फिर उसे शहर में ले जाकर बेचना, जो दो पैसे बचते उसी से अपने घर का खर्च चलाते थे। भगवान की दया से आज उनके यहाँ अनाज ढोने के लिए बड़ा ट्रक, खेती के लिए ट्रेक्टर और गाँव भर में सबसे अधिक जमीन थी। यह सब उनके ईमानदारी का फल था, जो परिवार खुशी खुशी खा पी रहा था। व्यापार में उन्हें आज तक घाटा नहीं लगा। और न ही वो किसी किसान को चूना लगाये। सही कीमत पर अनाज पहले ही खरीद कर रख लेते, फिर जब मूल्य बढ़ता तो शहर ले जाकर बेच देते। 

उनके साथ कुछ छोटे मोटे व्यापारी भी काम करते, जो उनके ही ट्रक से अपने अनाज को शहर तक ले जाते। जो भी भाड़ा होता वह चुकता कर देते। इससे रामधनी सेठ को कोई ऐतराज भी नही होता। फिर लोगों की मदद करना उनके स्वभाव में था। 

एक रात उन्होंने सपना देखा कि कहीं से उनको पैसों से भरा बैग मिला। जिसमें इतने पैसे थे कि उनकी दो पीढ़ी बिना कमाये खा सकती थी। उतना पैसा देखकर लालाजी जैसे हाथ लगाये। पैसा दुत्कार दिया, उसने कहा-

"लाला यह ठीक नहीं हैं। तुम बिना सोचे समझे मुझे हाथ लगा रहे हो। कम से कम यह तो जान लेते कि मैं आया कहाँ से हूँ। मेहनत का हूँ या बेईमानी का। तुम्हारे लिए शुभ हूंगा या अशुभ। कही ऐसा न हो कि तू मुझे अपने पास रखकर जिंदगी भर पछताये।"

लाला जी ने कहा-" पैसा तो पैसा होता, मेहनत का हो या बेईमानी का, इससे क्या फर्क पड़ता हैं। तू कैसा पैसा हैं मुझे इससे क्या लेना देना।"

पैसे ने समझाया-

"तू आ गया न लपेटे में। सेठ तू तो ईमानदार व्यक्ति हैं फिर बेईमानी का पैसा क्यों अपने पास रखना चाहता हैं। मैं कहता हूँ, अभी भी तू मेरे को हाथ मत लगा। मैं चुपचाप यहाँ से गायब हो जाऊंगा।"

सेठ नहीं माना। उसने कहा-

"मैं तुझे कैसे छोड़ दूँ। घर आई लक्ष्मी को कौन भला भागता हैं। देख तुझे पाकर मैं और मेरे बच्चे आराम से जिंदगी बिता लेंगे।"

पैसे ने कहा-

"इसका उल्टा भी तो हो सकता हैं। शायद तू अच्छी तरह से समझा नही सेठ। देख दुनिया में कितनी अशांति हैं। लोग सिर्फ मेरे पीछे पागल हैं। मुझे पा तो लेते हैं किंतु कभी खुद उपयोग नहीं कर पाते। ऊपर से उनके शौक बदल जाते हैं। इसलिए तू जैसा है वैसा ठीक हैं। किसी के बहकावे में मत आना सेठ। तेरे परीक्षा की घड़ी भी नजदीक आ रही हैं।"

सेठ भी कहाँ चुप रहने वाला था। इतना सारा पैसा देखकर वह खुशी से उछल रहा था। उसने कहा-

"मैं किसी परीक्षा में फेल नहीं हो सकता। तुझे पाकर तो मैं और अमीर हो जाऊंगा। इसलिए तू अपनी बकवास बंद रख। "

पैसे ने कहा-

"यह तेरा भ्रम है लाला। हाँ तू अमीर हो सकता हैं किंतु कितने दिन के लिए। मैं एक बेईमानी से कमाया पैसा हूँ। देख तुझे अभी से चेता रहा हूँ। ऐसे पैसों से तू दूर रहना। वरना तू कहीं का नहीं रहेगा।"

लाला जी पैसे की बात नहीं माने, उसे उठाकर अपने अलमारी में रख लिए। और खुशी से उछल पड़े। तब तक उनका सपना टूट गया। उनकी नींद खुल चुकी थी। देखा तो वो अपने बिस्तर पर पड़े हुए हैं। पैसा का कुछ अता-पता ही नहीं चल रहा था। कैसा अजीब सपना था सोचकर रह गए। 

किंतु रात का सपना दूसरे दिन शाम को चार बजे सच हो गया जब उनके ट्रक वाहन चालक पैसे से भरा एक बैंग उनको देने पहुँचा। पूछने पर पता चला कि उनके साथ के एक व्यापारी को सेठ से ज्यादा लाभ हुआ। जब ट्रक पर कोई नहीं था तब वह व्यापारी पैसा ट्रक पर रख कही घूमने चला गया। फिर उस ट्रक पर उसका चालाक पहुँचा, जो अपने दिमाग का सही इस्तेमाल किया। पैसे से भरे बैग को उसने गायब ही कर दिया। वह छोटा व्यापारी अपने पैसे को न पाकर बहुत दुखी हुआ। वह वाहन चालक से पूछा भी कि उसका पैसा कहाँ गया? किंतु कुछ नहीं जानने का उसने बहाना बनाया। और सारा पैसा गायब करके अपने सेठ के पास पहुंचा। 

लालाजी को तुंरत रात वाली स्वपन्न की बात याद आ गई। यह बेईमानी का कमाया पैसा हैं सेठ को नहीं लेना चाहिए। मगर इतनी रकम देखकर उनकी भी नियत बदल गई। ईनाम स्वरूप कुछ पैसा देकर वाहन चालक को जाने दिये और खुद उसे गिनने लगे। 

उसी रात उनको फिर सपना आया। अलमारी में रखा पैसा उनसे कह रहा था कि-

" सेठ यह तूने ठीक नहीं किया। एक मेहनती व्यक्ति का पैसा बेईमानी तरीके से अपने पास रख लिया। जिसका परिणाम भंयकर होगा।" 

पैसे ने सेठ का समय दिया कि कल ईमानदारी से जिसका पैसा हैं वापस कर दे। वरना परिणाम भुगतने के लिए तैयार रहे। आज फिर सेठ न कोई बात नहीं मानी। वह तो पैसा पाकर मग्न थे। बस अपने शौक पूरे करने लगे। वो अब हर समय बेईमानी की ही बात सोचते। जिससे आस पड़ोस में उनको वह सम्मान मिलना बंद हो गया। 

लाला जी को इससे फर्क ही कब पड़ा। अब वो बेईमानी के ही पैसे कमाने लगे। लेकिन कहते हैं न कि वह बेईमानी से कमाया पैसा कब तक पूजता। वक्त एक दिन जरूर बदलता हैं। एक दिन उनके सामने उनकी गोदाम में आग लग गई। पूरा अनाज जलकर राख हो गया। वो सिर पर पत्थर पटक पटक रो रहे थे। अब तो उनके पास बचा ही क्या था। पूरे छ: माह की कमाई रखी हुई थी। सोचकर वो पागल हुए जा रहे थे। बहुत से किसानों को पैसा देना था। बेईमानी का पैसा तो वो जुआ और शराब में उड़ा दिये। उनकी तबीयत भी खराब हो गई। तब व्यापार भी उनका कमजोर पड़ गया। पैसे की इतनी जरूरत पड़ी की जेब टटोलकर देखा तो दस रूपये ही पड़े थे। 

तब उनकी मदद वही छोटा व्यापारी करने आया, जिसके पैसे को उनका वाहन चालक ने उडा दिया। उसने सेठ की दवा कराई। तब सेठ को बहुत पछतावा हुआ। उसने कसम खा ली कि अब बेईमानी का पैसा नहीं कमायेंगे। 

और उन्होंने अपना व्यापार पुनः ईमानदारी से उतना ही बड़ा बना लिये। 


Rate this content
Log in

Similar hindi story from Inspirational