vijay laxmi Bhatt Sharma

Inspirational

5.0  

vijay laxmi Bhatt Sharma

Inspirational

बदलती दुनिया

बदलती दुनिया

3 mins
696


नीलम आज बहुत दिनों बाद मायके आ रही थी और बहुत उत्साहित थी, ट्रेन से उतरते ही मानो उसे पंख लग गए थे सोचने लगी दो बड़े भाई भाभियां और भतीजे भतीजी कितना मजा आयेगा सालों बाद राखी पर खुद आ रही थी।

अमूमन तो वो डाक से ही राखी भेज देती थी और फोन पर ही कुशल क्षेम पूछ लेती थी परन्तु इस बार पतिदेव ने कहा कई सालों से भाइयों से नहीं मिली हो मिल आओ सो बड़े भैया को फोन कर कह दिया।

बड़ी उत्साहित सी जा रही थी कि अचानक किसी ने पीछे से आवाज दी- छुटकी और पीछे बड़े भैया खड़े थे। प्रणाम बड़े भैया कह खुश मंगल पूछ उनके साथ घर रवाना हो गई सब कैसे हैं पूछ रही थी बड़े भैया कह रहे थे खुद ही चल कर देख लेना की घर भी आ गया, ये क्या घर दो हिस्सों में बंटा हुआ था किस तरफ जाऊं सोच ही रही थी की बड़े भैया मेरा समान ले एक तरफ के घर में घुसते हुए बोलने लगे थक गई होगी।

मुंह हाथ धो ले तेरी भाभी खाना लगा देगी, मैं यंत्रवत अंदर गई भाभी ने स्वागत किया। भतीजे भतीजी खूब मिले पर छोटे भैया नहीं दिखे ना ही भाभी और बच्चे, भाभी छोटे भैया कहां हैं।

तू जल्दी से मुंह हाथ धो खाना लग गया है, कुछ समझ नहीं आ रहा था। खाना खा भाभी से बात की तो भाभी ने बताया की मां के मरने के बाद कुछ दिन तक सब ठीकठाक रहा परंतु कुछ दिन बाद ही छोटी भाभी बात बात पर हिसाब की बात करने लगीं, हिस्से की बात करने लगीं, तुम्हारे भैया ने छोटे को बहुत समझाया कि मां बाबूजी ने बड़े जतन से इस घर को बनाया है इसके हिस्से करना ठीक नहीं पर पत्नी के आगे उसकी एक नहीं चली और घर दीवार में बदल गया।

आपने मुझे बताया भी नहीं भाभी, कैसे बताती छुटकी इतनी दूर तुम भी परेशान होती कह भाभी साड़ी के पल्लू से आंसू पोंछने लगी, तू दो चार दिन के लिए आईं है परेशान मत हो अभी थोड़ी देर में छोटे से भी मिल आना, बड़ी भाभी ने तो मुझे गोद में खिलाया है उनका मुझे पता है वो तो मां से भी बढ़कर हैं पर छोटी भाभी, भैया आवाज दी विमला ने छोटे भैया।

अरे विमो तू कब आई ना कोई संदेश, ना फोन ही खैर आ अंदर आ। समान कहां है वो बड़े भैया के वहां अच्छा तो खूब बुराई सुनकर आ है हमारी। नहीं भैया उन्होंने ही तो आप से मिलने को भेजा है। भैया आपको याद है जब बड़ी भाभी आईं थीं इस घर में मां ने कहा था ये तुम्हारी मां समान हैं अगर कुछ कह भी दें तो बुरा मत मानना इसमें तुम्हारा ही कुछ अच्छा होगा। ये इस घर को इन रिश्तों को पोटली में बांधकर रखेगी मेरा विश्वास ह।

फिर आज ये पोटली खुल कैसे गई, छोटे भैया की आंख में आंसू थे। मैं फिर बोल पड़ी इतने साल बाद मैं राखी में इसलिए नहीं आई की दो हिस्सों में बंटकर जाऊं, बस कर विम्मो गलती हो गई बड़ी भाभी से माफी मांगनी पड़ेगी। अपनी मां समान भाभी का अपमान कैसे हो गया मुझसे। छोटे भैया नंगे पांव दौड़ रहे थे। छोटी भाभी झल्ला रही थी पर अब तो पोटली की डोरी मजबूत हो गई थी। उसे कोई खोल नहीं सकता था और दूसरे दिन दोनों भाइयों को एक साथ राखी बांध मैं रिश्तों की डोर संभाले यादों के साथ अपने घर लौट रही थी।


Rate this content
Log in

Similar hindi story from Inspirational