बदला
बदला
फ़ोन की घंटी लगातार बज रही थी l सुरभि ने फ़ोन उठाया तो दूसरी तरफ से माँ की जोर जोर से रोने की आवाज़ आ रही थी l "क्या हुआ है माँ क्यों रो रही हो "सुरभि ने ठंडे स्वर में पूछा l "बेटा तुम्हारे पापा ने आत्महत्या कर ली सुबह अपने पिस्टल से गोली मार ली "माँ ने कहा l "ठीक ही तो किया अपनी करनी का फल तो मिलना ही था "सुरभि बोली l "आ जाओ बेटा जो हुआ उसे भूल जाओ बाप था तुम्हारा वो बहुत प्यार करता था तुमसे "माँ बोली l"नहीं माँ मैं नहीं आउंगी फूँक दो तुम्ही उनको "कहकर फ़ोन रख दिया सुरभि ने l सुरभि की रूलाई रुक नहीं रही थी दोनों हाथों से मुंह को छुपाकर वो जोर जोर से रोने लगी l
"नीरज कहाँ चले गए तुम देखो तुम्हारी मौत का बदला भगवान ने ले लिया है"रोते रोते सुरभि बोली
सुरभि अपने माता पिता की इकलौती संतान थी l उसके पिता बहुत बड़े उद्योगपति थे और पैसों की कोई कमी नहीं थी l सुरभि को उन्होंने बहुत लाड़प्यार से पाला था l स्कूल की शिक्षा पूरी करके सुरभि ने कॉलेज में दाखिला लिया था l उसके क्लास में ही नीरज पढ़ता था जो बहुत ही तेज़ था पढ़ने में l सुरभि की उससे दोस्ती हो गई l वो बहुत ही साधारण परिवार से था और दलित जाति से था l दोनों ने साथ साथ पढ़ाई पूरी करी l नीरज प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी में लग गया और आईएएस में चुन लिया गया l नीरज ने सुरभि से शादी का प्रस्ताव रखा तो सुरभि ने यह बात अपने पिता से बताई l जैसे भूचाल आ गया घर में यह जानकर की उनकी बेटी एक दलित से शादी करना चाहती है l सुरभि के पिता ने साफ इंकार कर दिया की ना तो नीरज उनकी तरह ऊँची जात का है और ना ही उसके पास पैसा है l उन्होंने अपनी बेटी को इतने शानो शौकत से पाला है वो बिलकुल भी सुरभि की शादी उससे नहीें होने देंगे l सुरभि नीरज से बहुत प्यार करती थी l उसने बगावत कर दी और नीरज से कोर्ट मैरिज कर ली और पिता से हमेशा के लिए सम्बन्ध तोड़ लिए l दोनों हंसी ख़ुशी से जीवन काट रहे थे और एक नये मेहमान के आने की तैयारी कर रहे थे l
उस दिन सुरभि को हॉस्पिटल जाना था अपना चेकअप कराने के लिए और नीरज को वही पर मिलना था उसको l वो पहुँच गयी थी समय पर और नीरज के साथ डॉक्टर के पास जा रही थी l तभी अचानक चार पांच बंदूकधारी ने उन दोनों को घेर लिया l इससे पहले की सुरभि कुछ समझ पाती उन्होंने सुरभि को धक्का दे दिया और नीरज के ऊपर गोलियां बरसानी शुरू कर दी l सब कुछ पलक झपकते हो गया सुरभि दौड़कर नीरज के पास पहुंची मगर उसके प्राण निकल चुके थे l सुरभि बेहोश हो गयी l पागल सी हो गयी थी वो माता पिता में से कोई भी नहीं आया था उसे तसल्ली देने l
पुलिस ने जांच पड़ताल शुरू कर दी l और एक बेहद सनसनीखेज रहस्योद्घाटन किया l सुरभि दंग रह गयी सुनकर की नीरज को मारने में उसके अपने पिता का ही हाथ है l उसके पिता अपनी बेइज्जती बर्दाश नहीं कर पाए थे और नीरज को मारकर अपना बदला पूरा कर लिया था l
नफरत हो गयी थी उसे अपने पिता से जिसने अपनी ही बेटी का घर उजाड़ दिया था l सात साल तक मुकदमा चला था और पिता को दोषी करार कर दिया गया था हालांकि वो बेल पर बाहर थे l समाज में कही मुहं दिखाने लायक नहीं रह गए थे l और एक दिन अपने ही पिस्टल से सिर में गोली मार कर आत्महत्या कर ली l
सुरभि का रोना सुनकर उसके ससुर आये और पूरी बात सुनकर बोले बेटा उनको अपनी करनी का फल मिल गया है अब तुम जाकर अपनी माँ को सम्हालो जो होना था हो गया यही भगवान की मर्जी थी l
