Amogh Agrawal

Inspirational

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Amogh Agrawal

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बच्चे की दी सीख का असर

बच्चे की दी सीख का असर

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जैसा कि मैंने अपनी स्वरचित लघुकथा में बताया था कि कैसे मैंने स्वयं को ठगा सा महसूस किया। यह कहानी उसके बाद की है। बच्चे की बात को सुनकर मैं कुछ देर तक स्वयं को ठगा सा महसूस कर रहा था। उस नन्हे से बालक ने कैसे मुझे एक सबक सिखाया। अगले ही मैंने तय किया कि मैं अपनी किराने की दुकान होने के कारण कोई लापरवाही नहीं करूँगा। दुकान पर आने वाले ग्राहकों से दूर होकर बात करूँगा। मास्क पहनूँगा। और सेनेटाइजर का उपयोग करूँगा। ग्राहकों को बताऊंगा कि यह सब आपके लिए जरूरी है। दुकान के बाहर एक एक मीटर के अंतर से चार गोले बनाये। यदि किसी के साथ उसके मित्र है तो पास में खाली जगह पर उनके लिए बैठने की उत्तम व्यवस्था की। ताकि शांति और दूरी का पालन हो सके। मासिक और साप्ताहिक ग्राहकों को घर में ही सामान भेजते थे। उनका दुकान पर आना वर्जित कर दिया। कर्मचारियों को भी घर से मास्क सिल्वा कर दिए। बीड़ी, गुटखा, तंबाकू आदि बेचने बंद कर दिए। उस दिन से ईश्वर की कृपा से मेरा एक भी परिचित और ग्राहक कोरोना से संक्रिमित नहीं हुआ। 


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