मतदान
मतदान
पिछले कुछ सालों से गांव में बारिश न होने के कारण सब जगह सूखा पड़ गया। ऐसे में गरीब दाने-दाने को तरस गए। भूख-प्यास से लोग दम तोड़ने लगे। तेजी से बढ़ती हुई मृत्यु की संख्या से गाँव की आबादी थोड़े में सिमट गयी। गाँव भी पहाड़ी के उस ओर था जहाँ अन्य गाँव या शहर के लोगों का आना-जाना न के बराबर ही था।
एक दिन अचानक न जाने कहाँ से पढ़े-लिखें लोगों का काफ़िला वहाँ आ पहुँचा। जो अपने साथ बहुत सारे खाने की थैलियाँ और पानी की बोतलें लाये थे। सारे गाँव में खुशी की लहर दौड़ गई। कुछ दिनों तक यह कार्यक्रम चलता रहा।
एक दिन अचानक मंत्री जी
भाषण देने आ पहुँचे। बड़े भावुक मन से भाषण देते हुए बोले कि "यह आप सभी यह तर्पण पाकर ख़ुश हो गए होंगे। श्राद्ध चल रहे है। मैंने सोचा क्यों न इस गांव को गोद लेकर मैं अपने कर्तव्य का निर्वाह करूँ। इसलिए आज से इस गाँव की समस्या मेरी समस्या है। प्रत्येक व्यक्ति की समस्या मेरी समस्या है।
मतदान भी सबसे बड़े दान में से एक है। आप भी दान करिये। आने वाली तीन तारीख को फलाना बटन दवाकर मुझे विजय बनाईये। चुनाव आपका, फैसला आपका।"
तभी भीड़ से महिला उठी। खाने की थैलियाँ मंत्री के हाथ देकर बोली कि "मैं उसको नेता चुनुँगी जो मुझे खरीदें नहीं।"