वेलकम कोरोना
वेलकम कोरोना
आज सुबह लगभग सात बजे की बात है। एक छोटा सा लड़का चौराहे पर सफेद रंग से कुछ लिख रहा था। जैसे उसका लिखना खत्म हुआ वहाँ भीड़ लग गई और कुछ लोग उस लड़के को डाँटने लगे। डाँट के कारण वह लड़का वहाँ से भाग गया साथ में सफेद रंग भी ले गया। मैंने भी उसका पीछा किया और देखा वही कार्य उसने दूसरे चौराहे पर भी किया। मैं उसके पास गया और पूछा कि "क्या मैं तुम्हारी मदद करूँ और तुम यह वेलकम कोरोना क्यों लिख रहे हो?" वह गुस्से से मुझे घूरता देखता है और फिर कहने लगा कि लोगों को समझ नहीं आ रहा है, इतने समय से नेता, अभिनेता, पुलिस सब परेशान है, सब हाथ जोड़कर निवेदन करते हैं। और अपने गाँव के लोग सबकी मेहनत पर पानी फेरते हैं। न मास्क लगाते हैं और न ही बीड़ी, गुटखा, पान मसाला, सोशल डिस्टेंस आदि के बारे में कुछ जानकारी रखते हैं। इसलिए मैंने सोचा कि जब सब चाहते हैं कि कोरोना मेरे गाँव आ जाये तो क्यों न अच्छे से स्वागत कर लूँ।" इतना कहकर वह वहाँ से भी चला गया और मैं उस पिद्दी भर के लड़के की बात सुनकर वहीं का वहीं अपनी गलतियाँ देखते रह गया।