बाढ़ का मुआवजा
बाढ़ का मुआवजा
रामपुर नाम का एक गाँव था। वहाँ इस साल बारिश ना होने के कारण सूखा पड़ा था। सरकार ने किसानों के लिए मुआवाजा एलान किया। सब किसान ठाकुर साहब की हवेली के कम्पाउंड में मुआवाजा का इंतज़ार कर रहे थे।
भोला और हरिया दोनों भी लाइन में खड़े थे। भोला बोला- "चाचा सुना हैं कि सरकार हर किसान को 20,000 मुआवजा दिया है और हमको सिर्फ 10,000 ही मिल रहे हैं। ठाकुर साहब जिला अधिकारी के साथ मिलकर बाकी पैसा हड़प कर जाते है क्या ?"
हरिया बोला- "अरे हमारे ठाकुर साहब शहर से पढ़कर आये है, इसलिये 10000 भी मिल जाता है, इनके बाप दादा के जमाने मे तो ये भी नसीब नहीं था। चुपचाप जो मिल रहा है ले लो।"
भोला ओर हरिया का आखिरकार नंबर आया, दोनों ने अंगूठा लगाया, अपना आधार दिखया। दोनों को एक लिफाफे में पैसा मिल गया।
रास्ते मे भोला ने फिर हरिया से पूछा- "चाचा ये ठाकुर साहब तो खानदानी अमीर है इतना बड़ा महल, विधयाक भी रह चुके हैं, ये हम गरीब का पैसा क्यों लेते हैं। इनको पैसे की क्या जरूरत।"
हरिया मुसकरा बोला- "बड़े आदमी है तभी तो पैसा चाहिए।"
भोला को कुछ समझ ना आया पर उसने सर हिला दिया। खैर, मौसम बदला, 5-6 महीने के बाद गाँव मे फिर भयंकर बाढ़ आयी। लोगों का काफी नुकसान हुआ। भोला को हरिया ठाकुर साहब की हवेली पर फिर मिले। आज हवेली पर सबकी दावत थी।
ठाकुर साहब के आदमी सब लोगों को खाना दे रहे थे ओर वो चुपचाप आँगन में थोड़े गंभीर होकर टहल रहे थे। तभी मुंशी भागता हुआ आया ओर उनको फ़ोन दिया। फोन कटने के बाद वो एकदम हरकत में आयें ओर मुंशी और अपने आदमी को डाँटते हुए बोले- "क्या तुम सिर्फ रोटी ओर दाल खिला रहे हो। आज हलवा भी बनाओ।"
भोला बोला- "चाचा आप सही कहे थे, बड़े आदमी को तो पैसा चाहिए ही होता है, 5 दिनों से ठाकुर साहब सुबह शाम हर गाँव वाले को खाना खिला रहे है। अब बाढ़ में गाँव वालों की बहुत मदद की है।"
हरिया ने हामी भर दी ओर बोले- "चल अब तेरा खाना हो गया हो घर चलते हैं, कल फिर आना है।"
भोला बोला- कल क्यों ? हरिया मुस्कराया और कुछ ना बोला।
दो दिन बाद सुबह सुबह भोला भागते-भागते हरिया के पास आया ओर बोला- "चाचा अभी कलवा हवेली के पास से आया है, बोल रहा था की बाढ़ का सरकार ने मुआवाजा ऐलान किया है, हर किसान को 5000-5000 मिलेंगे। चलो चलते हैं हम भी हवेली पर, इस बार विदेश से ठाकुर साहब के लड़का भी आया है वो ही सबको लिफाफा देगा।"
दोनों उठे और फिर हवेली की तरफ चल पड़े।