जे के गुप्ता हाज़िर हो

जे के गुप्ता हाज़िर हो

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आज सुबह सुबह पार्क में घूमते घूमते एक सीनियर सिटिज़न से मुलाक़ात हुई जो सोशल मीडिया पर बहुत एक्टिव रहते है। कभी कभी बहुत गुस्सा भी हो जाते है। उनका नाम जय के अंकल है। उनसे बातचीत का कुछ अंश।


अंकल अपने बारे मे कुछ बताये।

देखिये मैं MNC में उच्च पद पर था और 2004 में रिटायर हो गया। मैं कई जगह पोस्टेड था और अपनी नौकरी बड़ी ढंग से की, बच्चों को अच्छा पढ़ाया लिखाया। अब वो अपनी नौकरी कर रहे है और मैं वाइफ के साथ अपने फ्लैट में रह रहा हूँ ।


आप अपने बच्चों के साथ क्यों नहीं रहते ?

मेरी शादी 25 साल की उम्र में हो गयी और जैसा मैंने बताया मेरी पोस्टिंग कई सिटीज में रही। मैं और मेरी पत्नी शुरू से ही इंडीपेन्डेन्ट रहे। हमारे माता पिता गाँव में ही रहे। साल में एक दो बार उनके पास मिल आते थे। अपने ढंग से जीवन जीया और सारे फैसले खुद ही किए। कोई गाइडेंस नहीं थी फिर भी सब कुछ किया ।

अब जब बच्चे बड़े हो गए तो अब उनका वक़्त आया है अपनी तरह जीने का, अपने फैसले खुद लेने का। मैं जब उनके साथ रहता हूँ वो बहुत प्रेशर में रहते है। 3-4 कमरे के फ्लैट में दिन भर रहना बहुत मुश्किल होता है। हमारा जागने सोने खाने पीने का नियम बहुत अलग है। कभी कभी कुछ चीज़ों में गुस्सा भी आता है। इसलिये अकेला रहने में ही मज़ा आता है। उनसे भी मधुरता रहती है और अपना हिसाब किताब भी ठीक रहता है


तो आपका कहना है सब को अकेला रहना चाहिए ?

ऐसा नहीं है सब का स्वभाव, परिस्थियाँ और व्यवहार अलग होता है। कुछ लोगों को साथ रहकर ही अच्छा लगता है। कई बार साथ रहना भी जरूरी हो जाता है। इसलिए सबका अलग मत ही ठीक है ।


आप सोशल मीडिया, फेसबुक, वाट्सअप मे काफी एक्टिव रहते है।

अब खाली समय में कई बार वाट्सअप, फेसबुक का बहुत सहारा होता है और अपनी बात कहने का मौका भी मिल जाता है । इंसान कितना भी ओल्ड हो जाये उसके अंदर का बच्चा मरता नहीं। इसी शरारती स्वभाव में मैं कभी कभी मज़ाक भी कर लेता हूँ, अंजान लोगों से बात कर लेता हूँ, जो मन मे है खुलकर कह लेता हूँ ।


तो ऐसा क्या होता है की आप कभी कभी गुस्सा हो जाते है और अचानक एग्जिट कर जाते है।

देखिये जैसे जैसे बढ़ती उम्र होती है थोड़ा चिड़चिड़ापन और गुस्सा आना शुरू हो जाता है। जब में नौकरी में था तो मेरा स्टाफ तो मेरा गुस्सा सह लेता था। पर अब किसी ओर पर गुस्सा करना मुश्किल है ।वाइफ पर करे तो खाना नहीं मिलेगा ।

कभी कभी आसपास का माहौल देखकर, राजनेताओं की बातें सुनकर बड़ा क्रोध आता है। अब सोशल मीडिया पर अपना गुस्सा निकालना बहुत आसान तरीका है। कभी कभी बहुत गुस्सा आ जाता है कुछ अनाप शनाप बातें भी हो जाती है पर बाद में मुझे बहुत पछतावा होता है। इसलिये ग्रुप से एग्जिट हो जाता हूँ।


आप यंग लोगों को कुछ कहना चाहेंगे।

नहीं ज्यादा कुछ नहीं , मुझे ये लगता है ये अकेलापन ये ही जीवन का सत्य है। हम सबको कभी ना कभी ये स्वीकार करना है कि इंसान जब अपने अंदर से शांति और समझौता कर ले तभी वह चैन से रह सकता है। रिश्ते और दोस्ती का भी बहुत महत्व है। हमे अपने अहम को त्याग करके साफ दिल से इनको निभाना है और कभी कभी थोड़ा झुकना भी है ।


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