Morning walk
Morning walk
हमारी यह कहानी दोस्ती की भावना को स्पर्श करती है। आइए देखते हैं कि कैसे दो दोस्त, जो हर रोज़ सुबह वॉक पर जाते थे, एक सुबह मिलते हैं।
सुबह 6 बजे का समय।
वृद्ध महिला: अरे, इतनी सुबह आप कहाँ उठ गए, अभी सोते रहिए, बाकी सबकी नींद भी खराब हो जाएगी।
वर्मा जी: हमें वॉक पर जाना है आज, हमारा शर्मा साहब के साथ महत्वपूर्ण चर्चा है।
वृद्ध महिला: 7 बजे जाइए, इतनी बड़ी चर्चा होने वाली है क्या?
वर्मा जी: कल हमने एक बहुत अच्छा आर्टिकल पढ़ा था, तुम नहीं जानोगी, सो जाओ, बाद में मैं बताऊँगा।
वृद्ध महिला: अच्छा, जैसे ही त्यागी की दुकान खुले, हमें दूध ला देना।
वर्मा जी: हमारी वॉक का पता नहीं कितनी देर चलेगी, बाद में लाते आएंगे। अच्छा, अब हम जा रहे हैं, और हम मोबाइल घर पर ही छोड़ कर जा रहे हैं।
Scene 2:
वर्मा जी: पता नहीं कहाँ रह गए होंगे शर्मा जी, अब तक आ जाते होंगे, थोड़ी देर यही ठहर जाते हैं।
2-3 मिनट इंतजार के बाद।
वर्मा जी: कहीं मुझे देखकर आगे किसी पार्क में नहीं गए होंगे... चलो, वहीं जाते हैं।
वॉक करते हुए एक वरिष्ठ नागरिक से मिलते हैं।
वरिष्ठ नागरिक: सुप्रभात वर्मा साहब, कहाँ जा रहे हैं इतनी जल्दी?
वर्मा जी: सुप्रभात, आज मुझे शर्मा साहब से कुछ बात करनी है, क्या आपने उन्हें देखा?
वरिष्ठ नागरिक: नहीं, अभी तक नहीं देखा।
कुछ देर बाद, एक सोसाइटी के व्यक्ति उनसे मिलता है।
व्यक्ति: सुप्रभात अंकल,
वर्मा जी: सुप्रभात।
व्यक्ति: मैं दीपक हूँ, मैं सोसाइटी के इलेक्शन में प्रेज़िडेंट पद के लिए उम्मीदवार हूँ, कृपया देख लीजिएगा।
वर्मा जी: ठीक है, क्या आपने शर्मा जी को देखा?
व्यक्ति: नहीं, अंकल, आप उनसे मिलेंगे तो उनसे यह कहना कि वो मुझे वोट दें।
वर्मा जी: हां, जरूर कह दूँगा।
वर्मा जी पार्क के पास पहुँचते हैं और चारों ओर देखते हैं, पर शर्मा जी को नहीं मिलते।
तभी उन्हें वहाँ एक परिचित व्यक्ति मिलता है।
व्यक्ति: नमस्ते अंकल,
वर्मा जी: नमस्ते, क्या आपने शर्मा जी को देखा?
व्यक्ति: नहीं, अंकल,
वर्मा जी: ठीक है भैया
व्यक्ति: शाम को मिलना है वो आरती में, शर्मा जी को भी साथ लाना।
वर्मा जी: हां, जरूर।
थोड़ी देर और इंतजार करने के बाद, थोड़ी निराशा के साथ वर्मा जी अपने आप से कहते हैं: पता नहीं आज शर्मा जी कहाँ चले गए, शायद रात को देर से उठे हों, क्या मैं उनके घर जाकर एक बार... नहीं, सभी की नींद खराब हो जाएगी... या फिर उनकी तबियत खराब हो गई होगी...
चलो, अब घर की ओर बढ़ते हैं, अभी तो त्यागी की दुकान भी खुली नहीं है, दूध लेने के बाद मैं आता हूँ, घर जाकर श्रीमती को बताऊँगा कि तो मेरा मजाक उड़ जाएगा।
और वो घर की ओर बढ़ते हैं।
तभी पीछे से आवाज आती है...
शर्मा जी: कहाँ जा रहे हो वर्मा जी, आज वॉक नहीं करेंगे।
एक बड़ी मुस्कान वर्मा जी के होंठों पर आती है, वे अपने दोस्त का स्वागत करते हैं और दोनों वॉक करने के लिए निकल पड़ते हैं।
और यह कहानी सिर्फ वर्मा जी और शर्मा जी की ही नहीं है, बल्कि बहुत से लोगों की भी है, जिन्हें उस पल की खोज होती है जब वे अपने दोस्तों से मिलते हैं और कुछ क्षणों के लिए उनके मन में कितनी खुशियाँ उदय होती हैं।