गाँव में आग

गाँव में आग

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सूखापुर नामक का एक गाँव था। वहाँ लोग बहुत मिलजुल कर रहते थे। एक दिन वहाँ एक बाबा आए, उन्होंने भाविष्यवाणी की गाँव मे रविवार को भयंकर आग लग सकती है। सब लोग सचेत रहे, वह उससे लड़ने की तैयारी शुरू कर दे। सब लोगों को सहयोग देना है और अगर लोगों ने एक दूसरे से सहयोग नही किया तो ये आग कभी नही भुझेगी ।

पंच ओर प्रधान मिले, सबने निर्णय लिया कि हर घर से चार चार बाल्टी पानी पुराने और लगभग सूखे तालाब में डाल दिया जाए, जिससे आग की स्थिति में पानी काम आ सके। ऐसा ही हुआ कुछ लोगो को छोड़कर सब ने 4 बाल्टी पानी डाल दी। रविवार आया और बाबा की भविष्यवाणी के अनुसार आग भी लगी। पर आग काफी कम जगह लगी ओर उसको वक़्त रहते बुझा भी लिया गया।

बड़े बूढों ने बाबा का धन्यवाद किया पर कुछ जवान लोगो ने मज़ाक उड़ाया की बाबा कह रहे थे कि आग कभी बुझेगी नही,ये तो ज़रा सी आग थी। कुछ नासमझ लोग ऐसे भी थे जो ये चर्चा में लग गए कि उनके यहाँ आग कम लगी थी ओर पानी भी कम लगा था। तो कुछ लोग कह रह थे कि उन्होंने ज्यादा पानी दिया। कुछ कहने लगे फला ने तब कम डाला था अब और डाल दे। समझदारों ने सलाह दी कि इसी तरह पानी जमा किया जाये तो गांव के काम ही आयेगा। पर कुछ एक यह भी कह रहे थे उन्हे बचा हुआ पानी वापिस चाहिए ।

जब ये चर्चा बहुत ज्यादा होने लगी तो पंच फिर बैठे और एक कमिटी का गठन हुआ कि किसका कितना पानी इस्तमाल हुआ इसका लेखा जोखा लिया जाए। किसको और डालना है किसे निकलना है। सब लोगो से पूछताछ होने लगी। धीरे धीरे समय बिता पर उस कमिटी के बहुत प्रयास के बाद भी आज तक वो अपनी रिपोर्ट फाइनल नही कर पाई। लोग आज भी पानी को लेकर लड़ जाते हैं, प्रधान के चुनाव में पानी को लेकर राजनीति होती है। कई बार तो हाथा पाई भी हो गई । पर मामला ज्यों का त्यों ही रहा ।

गांव के बड़े बूढ़े कहते है बाबा की भविष्यवाणी सही ही निकली जो आग उस रविवार को लगी थी अब तक थमी नही है ।


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