Rajesh Chandrani Madanlal Jain

Inspirational

3  

Rajesh Chandrani Madanlal Jain

Inspirational

बालिका मेधा 1.08

बालिका मेधा 1.08

5 mins
216



मम्मी ने कहा - 

मेधा जैसा तुमने बताया उसके अनुसार मिलिंद अब तक जा चुका होगा। अब हमें सिर्फ पूर्वी को लेकर ही सोचना है। वैसे तुमने इस दिशा में भी बड़ा काम कर दिया है कि अपनी फ्रेंडशिप तोड़ने की धमकी से, पूर्वी को मिलिंद से मिलने पार्क में जाने से रोक लिया अन्यथा उस दिन ज्यादा बुरा काम हो जाता। फिर भी मेरे मन में एक बात का संदेह अभी भी है। तुम्हें उस शाम मिलिंद, पूर्वी के घर के सामने दिखा था। हो सकता है कि उस समय वह पूर्वी के घर तक पहुँचने का दुस्साहस कर गया हो। 

मैंने चिंता करते हुए पूछा - क्या, वह ऐसी हिम्मत कर सकता है?

मम्मी ने कहा - जिस तरह से उसने यह सब किया है, उससे मुझे संभावना तो ऐसी भी लगती है। 

मैंने पूछा - मम्मा, क्या मुझे पूर्वी से फोन पर बात करके पूछना चाहिए?

मम्मी ने कहा - 

पूर्वी ने दो दिन से तुमसे कोई संपर्क नहीं किया है। इससे मुझे लग रहा है कि मिलिंद ने ऐसा दुस्साहस कर लिया है। जिससे पूर्वी के घर में पूर्वी की खिंचाई हुई हो या स्वयं वह ही शर्मिंदा हुई हो। साथ ही पूर्वी तुमसे मिलने का बहाना लेकर गई और मिलिंद से मॉल में मिली है। ऐसे में मुझे अभी तुम्हारा उससे मिलना या अभी संपर्क करना उचित नहीं लग रहा है। तुम्हारा कोई दोष नहीं होते हुए भी उसके घर में लोग तुमसे भी शिकायत रख रहे हो सकते हैं। 

मैंने पूछा - मम्मी फिर तो कुछ उपाय नहीं दिखता है। मैं सोच रही हूँ कोई लड़का ऐसे किसी के घर तक आ जाने की हिम्मत कैसे कर सकता है?

मम्मी ने कहा - 

दुःख करने की जरूरत नहीं है, मेधा। तुमने बहुत बुरी संभावना की एक सीमा तक रोकथाम पहले ही कर ली है। रहा प्रश्न इस किशोरवय में किसी लड़के की ऐसी हिम्मत का, वह सामान्यतः (Generally) तो नहीं होती है मगर आजकल कुछ कारणों से ऐसा भी देखने सुनने में आता है। 

मेरी जिज्ञासा बढ़ रही थी। मैंने पूछा - मम्मी, आपके मन में चल रही बातें एवं संदेह क्या आप मुझसे कहना उचित समझती हैं?

मम्मा ने कहा - क्यों नहीं मेधा! ये बातें मैं, तुम्हारे कुछ और बड़े होने पर बताती मगर चूँकि अपने आसपास ही यह घटना हुई है। अतः मैं अभी ही बता देना अनुचित नहीं मानती हूँ। 

मुझे लग रहा था कि मम्मी से अभी मेरे सामने ट्यूशन का एक नया अध्याय आरंभ होने वाला है। मैं बेड पर वज्रासन (एक तरह की योगा मुद्रा - A kind of yoga pose) में बैठ गई थी। मैंने उत्सुकता में अपनी दृष्टि मम्मी पर जमा दी थी। मम्मी मेरी जिज्ञासा देखकर मुस्कुराई थीं। उन्होंने अनुराग से मेरे सिर पर हाथ फिराया था। फिर कहना आरंभ किया - 

मेधा, इतनी कम उम्र का कोई लड़का यूँ तो किसी लड़की के घर पर धमकने की धृष्टता (Audacity) नहीं करता है मगर यदि वह ड्रग्स लेता है तो ऐसा कर सकता है। 

यह शब्द ‘ड्रग्स’ मैं स्कूल में सहपाठियों (Classmates) के मुँह से सुना करती थी। इस कारण ‘ड्रग्स’ के बारे में सुनी हुई जानकारी मुझे थी। मम्मा के मुँह से यह सुनकर मुझे आशा हुई कि ड्रग्स को लेकर सही जानकारी मुझे अब सुनने मिलने वाली है। मैंने पूछा - 

मम्मी ड्रग्स क्या होते हैं? यह शब्द स्कूल में विद्यार्थियों में प्रायः चर्चा में आता है। 

मम्मी ने बताया - 

शराब, तम्बाकू के व्यसन (Addiction) हम अपने आसपास साधारणतया देखते रहते हैं। ये नशाकारी पदार्थ होते हैं। ड्रग्स भी ऐसे नशाकारी पदार्थ ही होते हैं जो, इनसे अधिक घातक और हानिकारक (Deadly and harmful) होते हैं। ड्रग्स लेने वालों का नशे की हालत में अपने दिमाग पर से नियंत्रण हट जाता है। नशे की अधिकता में या तो ये धुत्त बेसुध पड़ जाते हैं अथवा इस हालत में अधिक दुस्साहसी और हठी (Audacious and stubborn) हो जाते हैं। ऐसी स्थिति में मस्तिष्क पर नियंत्रण न रहने से ये ड्रग एडिक्ट लोग, वह काम भी कर बैठते हैं जो सामान्य हालत में करने से डरते हैं। अगर मिलिंद ड्रग एडिक्ट है तो ड्रग्स के प्रभाव में वह पूर्वी के घर तक भी पहुँच सकता है। 

चूँकि पूर्वी ने ऐसा कुछ बताया नहीं था अतः मम्मी की बातों से मेरा ध्यान अभी पूर्वी पर से हट गया था। अभी मम्मी से मैं ड्रग्स को लेकर अपनी जानकारी और बढ़ाना चाहती थी। मैंने पूछ लिया - 

मम्मी, अगर ड्रग्स हमारे साहस में वृद्धि कर सकते हैं तो यह हानिकर कैसे होते हैं?

मम्मी ने बताया - 

आंशिक रूप से तुम सही सोच रही, मेधा! कुछ दवाओं में ड्रग्स भी होते हैं लेकिन इनकी मात्रा अत्यंत अल्प होती है। ऐसी दवाएं डॉक्टर्स के द्वारा प्रिस्क्रिप्शन में विशेषकर अवसाद के रोगियों को दी जाने के लिए लिखी जातीं हैं। डॉक्टर्स प्रिसक्राइब्ड दवाओं में, इनकी मात्रा हानिकर कम, स्वास्थ्य के विचार से लाभकारी अधिक होती है। हम ड्रग्स के बुरे प्रभाव की चर्चा मिलिंद को लेकर कर रहे हैं। ड्रग्स अत्यंत हानिकारक उस रूप और मात्रा में होते है जिसमें हमारे किडनी, इन्स्टेंटाइन एवं मस्तिष्क आदि अंग को क्षति पहुँचती है। साथ ही ड्रग्स के नशे की हालत में हमारे द्वारा किए जा सकने वाले कर्तव्य एवं सार्थक कार्य भी होने नहीं पाते हैं। 

अब मैंने मम्मी से पूछा - 

मम्मी यदि कोई ड्रग एडिक्ट हो गया है तो उसका उपचार क्यों अनिवार्य होता और कैसे किया जाता है? 

मम्मी ने बताया कि - 

उपचार अंगों की खराबियों से बचाने के लिए आवश्यक है। यह एक और दृष्टि से आवश्यक होता है। ड्रग एडिक्ट व्यक्ति का नशे की हालत में रहने से उसके जीवन का बेशकीमती समय भी नष्ट होता है। ड्रग एडिक्शन से निकाले जाने के उपचार हेतु, रोगी को पुनर्वासन केंद्र (Rehabilitation center) में कई कई महीनों के लिए रखा जाना होता है। जो अधिक समय भी ले सकता है। इस तरह से कोई व्यक्ति पहले ड्रग्स पर फिर उपचार पर लाखों रुपये खर्च करने को विवश होता है। जीवन का जो समय, इस बीच व्यर्थ चले जाता है उसकी तो भरपाई किसी तरह से होती ही नहीं है। एडिक्टेड व्यक्ति की सामाजिक प्रतिष्ठा भी बुरी तरह प्रभावित होती है। इस प्रकार से, एडिक्टेड व्यक्ति अन्य के साथ ही खुद के लिए भी खतरा उत्पन्न करता है। 

(क्रमशः) 


Rate this content
Log in

Similar hindi story from Inspirational