Rajesh Chandrani Madanlal Jain

Inspirational

3  

Rajesh Chandrani Madanlal Jain

Inspirational

बालिका मेधा 1.06

बालिका मेधा 1.06

5 mins
147



मम्मी ने बताया - 

मैंने मिलिंद से कहा, मेरा मैच इस तरह से खेलने में तुम्हारे लिए एक सबक है। तुम जानना चाहोगे, कौन सा? मिलिंद तब बड़ा लज्जित सा हुआ दिखाई पड़ रहा था। उसके हाँ कहने पर मैंने उससे कहा कि यह वह निष्कर्ष होता है जो हम किसी के बारे में निकालने में चूक करते हैं। जब तक कोई कह कर या कर के कुछ नहीं बतलाता है या अपने विनम्र व्यवहार से, हमसे छोटा होकर व्यवहार करता है तो हम उसे अपने से हीन या बुद्धू मान लेते हैं। जबकि वह वास्तव में ऐसा नहीं होता है। पहले गेम से तुमने समझा होगा कि तुम, मुझसे अच्छा खेलते हो। बाद के तीन गेम में तुम्हें समझ आया होगा कि टीटी में फ़िलहाल अभी तुम्हारा, मुझसे कोई मुक़ाबला नहीं है। मेरी बात पर वह अपने मित्र के सामने झेंप रहा था। अंतिम बात मैंने उससे कही थी कि मिलिंद अब तुम 14-15 साल के हो रहे हो, तुम्हें किसी की अनकही से भी उसके मन में की मनाही समझने की कोशिश करनी चाहिए। यह कहने के बाद मैं उसके सिर पर स्नेह से थपथपाते हुए वापस आ गई थी। 

मुझे अपनी मम्मी के इस जिम्मेदारी पूर्ण आचरण से गर्व हो रहा था। मेरा अपने पर नियंत्रण नहीं रह गया था। मैंने मम्मी के मुख को अपनी हथेलियों के बीच लेते हुए कई बार किस कर लिया था। मम्मी खुश हुईं तो मैंने कहा - 

मम्मा, मुझे लगता है कि वह लड़का, अब कम से कम मेरा पिछले दिनों जैसा पीछा एवं मुझ पर छींटाकशी नहीं करेगा। 

मैंने जानबूझकर उसका नाम, अपनी जुबान से लेने की जगह उसके लिए लड़का शब्द प्रयुक्त किया था। इसका कारण यह था कि मुझ पर, उसने अपना इम्प्रैशन एक छिछोरे से लड़के (Foppish) का बनाया था। 

मम्मी ने कहा - यह तो होना चाहिए। मगर इससे अच्छा यह होगा कि वह तुम्हारे अतिरिक्त भी किसी और लड़की को फॉलो करने की जगह, खुद ऐसा बनने की कोशिश करे जिससे कोई लड़की स्वतः उस से प्रेम अनुभव कर पाए। 

अब मैंने कहा - आपने उसे अच्छा सबक तो सिखाया ही है। मगर एक घटना को ऐसी अच्छी तरह मोड़ देने की कला से मुझे यह सिखाया है कि हमें अच्छे लक्षित (Well targeted) विचारों को अपने हृदय में स्थान देकर, अपने कर्म एवं आचरण करने चाहिए। यद्यपि मम्मी ही किसी भी बच्चे को सबसे अधिक प्रिय होती है मगर अभी मुझे लग रहा है दुनिया की सबसे अच्छी माँ, मेरी मम्मा है। 

मम्मी ने मुझे छेड़ते हुए कहा - मेधा नहीं तुम गलत हो, एक्चुअली वर्ल्ड्स बेस्ट मदर इस माय मम्मा (वास्तव में दुनिया की सबसे अच्छी माँ मेरी माँ है - Actually World's Best Mother Is My Mama)। 

मैंने कहा - वैरी क्लेवर (बड़ी चालाक) मम्मा! अब मैं नानी को कम तो नहीं कह सकती हूँ ना! 

फिर मम्मा और मैं दोनों हँसने लगे थे। तब पापा भी मेरे कमरे में आ गए थे। उन्होंने पूछा - क्या मजे चल रहे मेरी मेधा और उसकी मम्मी में?

मम्मी ने उत्तर दिया था - आजकल मेधा और मैं फ्रेंड हैं। हम अपनी निजी बातें आपस में कह कर, मजे वाली बातों का मजा लिया करते हैं। 

पापा ने कहा - तुम दोनों ने घर के इस निरीह प्राणी को अकेला छोड़ दिया है। हमें भी फ्रेंडशिप में शामिल कर लो। 

मैंने कहा - जब आपको फ्रेंड होने की फुरसत होगी तब हम आपको भी फ्रेंड बना लेंगे। 

इस बात पर पहले पापा हँस दिए थे। उनका साथ फिर मम्मी और मैंने भी दिया था। 

मेरी मम्मी सब कुछ जानती हैं मेरा यह भ्रम जल्दी टूट गया था। उस लड़के को लेकर अपनी मम्मी की अपेक्षा, मैंने गलत होते देखा था। उस लड़के ने मेरा पीछा तो छोड़ा था मगर मम्मी की अपेक्षा अनुसार उसने किसी लड़की का पीछा करना नहीं छोड़ा था। 

हुआ यह था कि मम्मी ने टीटी खेलने के समय उस लड़के को जो समझाया था उससे, मम्मी ही नहीं मैं भी सोच रही थी कि उस पर कुछ अच्छा प्रभाव पड़ा होगा, मगर ऐसा हो नहीं पाया था। शायद उस लड़के ने यह तो समझ लिया था कि मैं उसके प्रभाव में नहीं आने वाली अतः उसने मेरा पीछा करना तो छोड़ दिया था। वह मेरे आसपास फिर मुझे नहीं दिखाई दिया था। 

इस घटना के 10 दिन बाद मैं उस बात से चौंक गई थी जो मेरी फ्रेंड पूर्वी ने बताई थी। पूर्वी ने मुझे बताया - 

मेधा, तुम्हें याद है न एक दिन दो लड़के हमारे पीछे आ रहे थे?

मैंने सोचते हुए कहा - हाँ, जिनसे हमें पीछा छुड़ाना कठिन हो रहा था, वही?

पूर्वी ने कहा - हाँ, हाँ वही, उनमें से एक का नाम मिलिंद है। उस लड़के से मुझे प्यार हो गया है। 

मुझे यह सुनकर आश्चर्य हुआ। मैंने अपने साथ की हुई उस लड़के की बात को गोल करते हुए कहा - 

पूर्वी, हम जानते हैं कि यह 12-13 साल की उम्र हमारे पढ़ने की है, प्यार में पड़ने की नहीं है। फिर कैसे तू उस लड़के के चक्कर में फँस गई? 

पूर्वी ने बताया - 

हुआ यह कि उस दिन के बाद मैं जब भी किसी काम से बाहर निकलती तो उनमें से एक लड़के मिलिंद को लगातार अपने आसपास या पीछे देखती थी। इससे मुझे उसे लेकर जिज्ञासा होने लगी तो मैं, बिना किसी काम के भी बाहर घूमने लगी। उस लड़के ने जैसे मुझ पर कोई कैमरा सेट किया हो, जिसमें मुझे देखकर वह तुरंत ही आस पास आ जाता था। मैं फिर हर बार उसे ना चाहते हुए भी मुड़ मुड़ कर देखने लगी थी। इससे उसका साहस बढ़ गया था। कुछ दिन यह क्रम चलता रहा था। दो दिन पहले उसने अकेले में अवसर पाकर, मुझे आई लव यू कह दिया। यह सुनकर मुझे अपने भीतर कुछ कुछ होता लगने लगा था। मैं शर्मा रही थी तो पता है मेधा उसने क्या किया?

मैंने चिंता में पड़ पूछा - क्या किया उसने? 


(क्रमशः) 


Rate this content
Log in

Similar hindi story from Inspirational