Anita Sharma

Tragedy Action Inspirational

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Anita Sharma

Tragedy Action Inspirational

बाल मजदूर कानून

बाल मजदूर कानून

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बाल दिवस प्रोग्राम की तैयारी करवाते अजय को भूख लगने लगी थी। उसने घड़ी देखी शाम के चार बज गए थे वो खाना खाने घर नहीं जा सकता था क्योंकि प्रोग्राम कल ही था जिसमें शहर की जानीमानी हस्तियां आने वाली थी। प्रोग्राम में कोई कमी रहने का मतलब था उसकी नौकरी पर आफत आ जाना इसलिए उसने सड़क पर लगी रेढीं से कुछ खाने का फैसला लिया और काम कर रहे मजदूरों को थोड़ी देर की छुट्टी देकर वो रेढीं के पास आ गया। 

रेढीं क्या ये एक छोटा सा रेस्टोरेंट जैसा ही था। यहां साउथ के अन्ना ने आकर इडली डोसा को सड़क किनारे ही बनाना शुरू कर दिया था। स्वाद अच्छा होने और सभी को पसंद आने से उनकी छोटी सी रेढी छोटे से रेस्टोरेंट में तबदील हो गई थी जहां हमेशा अच्छी खासी भीड़ इकट्ठा रहती थी। 

"अन्ना एक डोसा टेबल पर भिजवाना" कहता हुआ अजय कोने की टेबल पकड़ वहीं बैठ गया और अपने फोन में व्यस्त हो गया। थोड़ी देर में ही एक दस बारह साल का लड़का डोसे की प्लेट लिए आया पर जैसे ही उसने प्लेट टेबल पर रखनी चाही प्लेट उसके हाथ से छूट गई। प्लेट कटोरी टन टन टन टन की आवाज के साथ दूर जा गिरे और उनमें भरा गरम-गरम सांभर उछल कर उस लड़के के पैर और अजय के कपड़ों पर गिर गया। अजय अपने कपड़ों को गंदा हुआ देखकर चिल्लाने लगा .....


"ये क्या तरीका है ? मेरे सारे कपड़े खराब कर दिये"!

बर्तनों के गिरने की आवाज और अजय के चिल्लाने से वहां काम कर रहे लड़कों के साथ डोसा बनाने वाले अन्ना भी आ गये जो घबराते हुए बोले ...."क्या हुआ सर जी" 

"क्या क्या हुआ कैसे लड़कों को लगा रखा है आपने इन्हें काम करना तक नहीं आता। देखो मेरे सारे कपड़े खराब कर दिए। जरा-जरा से बच्चों को काम पर लगा लेते हो। क्या आप जानते नहीं की बाल मजदूरी करवाना कानूनन अपराध है?"

अजय ने गुस्से से कहा तो अन्ना सकपकाते हुए अजय से माफी मांगते हुए उस लड़के को डांटने लगे.....

"क्यों रे कैसे काम करते हो चलो साब से माफी मांगो और ये सब साफ करके मेरे पास आओ।" 

फिर अजय की तरफ देखते हुए बोले....जानता हूं सर की बच्चों से काम नहीं करवाना चाहिए पर मैं तो इसे काम पर रखकर इसकी मदद कर रहा हूं। कानून बनाने वाले तो कानून बना देते है बिना ये देखे कि किसकी क्या मजबूरी होती होगी जब वो अपने बच्चों से काम करवाते होंगे। 

इस लड़के का नाम चंदन है। बाप बचपन में ही मर गया था। मां ने दूसरों के घरों के बर्तन धोकर इसे पाला इसे स्कूल भी भेजा पर अब इसकी मां की तबीयत बहुत खराब है। मैंने तो दो तीन बार बिना काम करवाएं इसकी मदद भी की पर हर बार यूं मदद करना मेरे लिए भी संभव नहीं है और इस स्वाभिमानी लड़के को पसंद भी नहीं बिना के पैसे लेना बस इसीलिए इसे मुझे काम पर रखना पड़ा क्योंकि मैं एक बीमार मां और इतने छोटे बच्चे को कानून के नाम पर भूखों मरते नहीं छोड़ सकता था।


अन्ना की बात सुनकर अजय ने पहली बार चंदन को गौर से देखा जो डर से कांपते हुए जमीन पर गिरा खाना समेट रहा था। गरम सांभर गिरने से उसका पैर लाल हो गया था फिर भी उसके चेहरे पर दर्द की शिकन नहीं नौकरी जाने की चिंता की लकीरें थी। अजय ने नरम पड़ते हुए उस लड़के को उसके नाम से बुलाया....

" चंदन इधर आओ"

अजय की आवाज सुनकर चंदन सर झुका कर उसके सामने खड़ा हो गया। अजय ने इस बार उसे गौर से देखा। गेहुंआ रंग छोटे-छोटे बालों में तेल डाल कर साइड से निकली मांग पर चेहरे पर मासूमियत की जगह बड़ों जैसी चिंता की लकीरें। उसकी हालत देखकर अजय सोचने पर मजबूर हो गया कि हम हर साल बाल दिवस मनाते है सरकार बच्चों के लिए न जाने कितने नियम कानून बनाती है पर यथार्थ में वो सब सभी बच्चों के काम कहां आ पाते है। सही ही तो बोल रहे है अन्ना कानून ने बाल मजदूरी बंद तो करवा दी पर चंदन जैसे बच्चों का क्या होगा? उन्हें काम नहीं मिला तो उनकी भूख का क्या होगा?

"साब जी मुझे माफ कर दो वो प्लेट मुझसे गलती से गिर गई आगे से ख्याल रखूंगा बहुत संभल कर काम करूंगा आप प्लीज मेरे काम करने की पुलिस में शिकायत नहीं करना वरना मेरी मां का इलाज रुक जायेगा।" 

चंदन की आवाज ने अजय को ख्यालों से बाहर निकाला तो उसने देखा कि चंदन हाथ जोड़े उसके सामने खड़ा था आंखों से आंसू लुढ़क कर उसकी ठुड्ढी तक आ गए थे जिन्हें पोंछते हुए अजय बोला....


"नहीं करूंगा बेटा बिल्कुल नहीं करूंगा पर तुम्हें मुझसे एक प्रॉमिस करना होगा कल बालदिवस के मौके पर यहीं पास वाले स्कूल में एक प्रोग्राम है जिसमें कुछ जानी मानी हस्तियां और एंजियों वाले आयेंगे तो कल तुम वहां आ जाना मैं तुम्हें उनसे मिलवाऊंगा। तुम्हारे जैसे और बच्चों का तो पता नहीं पर मुझे पूरा विश्वास हैं कि तुम्हारी पढ़ाई का इंतजाम जरूर हो जायेगा और मैं तुम्हारी मां को भी सरकारी अस्पताल में दिखा दूंगा वहां अच्छा और फ्री में इलाज होता है। और मैं जितना भी हो सकेगा तेरी मदद करूंगा। अब बस तुम अपनी पढ़ाई पर ध्यान देना।" 

अजय की बात सुनकर चन्दन के चेहरे पर मासूम सी चमक आ गई वो खुशी से उछलते हुए बोला .....

"सच्ची अंकल मैं स्कूल जा पाऊंगा"

"हां बेटा बिल्कुल जा पाओगे मैं पूरी कोशिश करूंगा बस तुम कल आ जाना।" 

अजय ने बिल्कुल बच्चों की तरह चहक कर मुस्कराते हुए कहा फिर अन्ना की तरफ मुंह करके बोला.....

"सॉरी अन्ना मैं गुस्से कुछ ज्यादा ही बोल गया पर आपकी बातों ने मुझे हकीकत से रुबरु करा दिया। सही कहा आपने कि आप उसकी मदद कर रहे थे फिर भी छोटे बच्चों से काम करवाना सही नहीं है। हमें उसकी मदद करनी चाहिए पर सही तरीके से"!

"सही बात है सर जी अब मैं छोटे बच्चों से काम नहीं करवाऊंगा पर जितना भी हो सकेगा उनकी मदद करने की कोशिश करूंगा।" 

अजय मुस्करा कर चंदन के बाल सहलाते हुए ये सोचते हुए बाहर निकल गया कि ..."कल जब सभी लोग आएंगे तो उनसे जरूरत मंद बच्चों के बारे में कुछ करने के लिए जरूर बात करूंगा। नहीं कुछ हुआ तो अपने स्तर से जरूर एक छोटी सी शुरुआत करेगा। जिससे वो कम से कम एक बच्चे के चेहरे पर तो मुस्कान ला सकेगा। 



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