Deepshikha Nathawat

Abstract Drama Romance

4  

Deepshikha Nathawat

Abstract Drama Romance

अस्तित्व

अस्तित्व

18 mins
408


खुशी एक अलबेली सी लड़की पर उसका रहने के तौर तरीके बिल्कुल लड़कों की जैसे। लड़कों कि तरह बोलना उनकी तरह कपड़े पहनना और हाँ लड़कियों में उसका आकर्षण उसे सबसे अलग बनाता। खुशी के परिवार में उसकी माँ पापा एक बड़ा भाई चंदन और एक बड़ी बहन धारा और सबसे छोटी खुशी। खुशी बचपन से बहुत चंचल थी पर इसका ये अलबेलापन उसके माँ पापा के लिए चिंता का विषय था.. क्योंकि अब वो बड़ी हो गयी थी । वह ग्रेजुएशन कर चुकी थी।

खुशी कि जिंदगी का सबसे प्यारा रिश्ता अगर था तो वो उसकी बचपन की दोस्त साक्षी जिससे वो बचपन से बहुत प्यार करती थी दोनों ने तय किया था कि पूरी जिंदगी दोनों साथ रहेंगे। घरवालों ने इनके बने रिश्ते पर इतना ध्यान नहीं दिया था। एक दिन साक्षी रोती हुई खुशी के पास आई और कहा मेरे माँ पापा ने मेरी शादी तय कर दी है मुझसे बिना पूछे। मुझे अगले रविवार गाँव ले जा रहे हैं सगाई करने। खुशी बहुत परेशान हो गयी वो गुस्से से सीधे साक्षी के घर पहुंच गयी और चिल्लाने लगे गयी साक्षी के पापा बाहर आये वो खुशी के गुस्से कि वजह नहीं समझ पा रहे थे साक्षी खुशी को बार बार रोक रही थी। खुशी बोली अंकल मैं साक्षी कि शादी किसी से नहीं होने दूंगी। साक्षी मेरी है सिर्फ मेरी । साक्षी के पिता खुशी का ये रुप देखकर हैरान थे उन्हें समझ नही आ रहा था कि खुशी के इस व्यवहार पर कैसे बर्ताव करे। खुशी ये सब बोलकर घर चली गयी । साक्षी के पिता ने उसे अपने पास बुलाया और खुशी के इस बर्ताव के बारे में पूछा। अभी साक्षी को कुछ भी छुपाना ठीक नहीं लग रहा था। साक्षी ने कहा पापा मैं और खुशी बचपन से एक दूसरे से बहुत प्यार करते हैं पर आज मेरी शादी कि बात सुनकर जैसे उसने व्यवहार किया उससे पता लगा कि वो मुझसे भी कही ज्यादा प्यार करती है। हम एक दूसरे के बिना नहीं रह सकते। तभी एक जोरदार तमाचा साक्षी के गाल पर पड़ा जो उसके पिता ने लगाया था साक्षी के आंसू नहीं रुक रहे थे। बचपन से लेकर अब तक आज पहली बार पापा ने हाथ उठाया था। साक्षी के पिता ने साक्षी को खुशी के घर जाने के लिए मना कर दिया था। उधर साक्षी के पिता ने खुशी के पिता को सब मामले से अवगत करवा दिया था। खुशी के पिता ये सब बर्दाश्त नहीं कर पाये और उन्हें दिल का दौरा पड़ गया खुशी इन सब बातों से अंजान थी। तभी खुशी कि माँ ने खुशी का दरवाजा खटखटाया खुशी ने दरवाजा खोला, माँ रोते हुए खुशी तेरे पापा को दिल का दौरा पड़ा है। परिवार में किसी को पता नहीं कि किस वजह से ये सब हुआ। चंदन ने कार में पापा को बैठाया और खुशी, धारा भी उनके साथ कार में बैठ गयी। खुशी रस्ते में साक्षी को फोन लगा रही थी पर साक्षी ने फोन नहीं उठाया। खुशी के पिता को ICU में एडमिट करवाया गया। कुछ देर बाद डाॅक्टर ने कहा कि अब वो खतरे से बाहर है पर अगली बार ऐसा हुआ तो हम इन्हें नहीं बचा पाएगे। सब यही सोच रहे थे कि आखिर ऐसा क्या हुआ कि उन्हें दिल का दौरा पड़ गया। तभी एक नर्स वहाँ आई और कहा कि आप में से खुशी कौन है पैसेंट उन्हें बुला रहे हैं और उन्होंने ये भी कहा है कि और सब घर जा सकते हैं । खुशी कि माँ को कुछ कुछ समझ आ रहा था कि इसके पीछे जरूर खुशी ही है। खुशी पापा के पास जाकर उनके गले लगकर रोने लग जाती है। पापा ने कहा मेरी गुड़िया तुने ऐसा क्यों किया? ये सब हमारा समाज नहीं समझता और बच्चा तू तो मेरी रानी बेटी है बचपन से लेकर आज तक मैंने तेरी हर इच्छा पूरी की है पर ये तेरी ख्वाहिश सही नहीं है। अगर मुझे जिंदा देखना चाहती है तो ये जिद्द छोड़ दे और वो फूट फूट कर रोने लग जाते हैं। खुशी अपने पापा को इस हालत में नहीं देख पा रही थी। उसने कहा कि पापा आपसे बढ़कर कोई खुशी नहीं मेरे लिए उधर खुशी कि माँ ने साक्षी को फोन करके सारी बात पता कर ली थी उसे खुशी पर बहुत गुस्सा आ रहा था पर वो अंदर ही अंदर अपने आप को भी दोष दे रही थी कि काश उसने खुशी को पहले क्यों नहीं रोका । कुछ दिनों बाद खुशी के पिता अस्पताल से घर लौट आए थे। सब पहले कि तरह सामान्य हो गया था। खुशी साक्षी को भुलाने कि कोशिश कर रही थी। एक दिन खुशी के पिता के दोस्त घर आए उनके एक गर्ल्स स्कूल थी जिसमें एक PTI अध्यापिका कि जरूरत थी वो चाहते थे कि खुशी वो पद संभाल ले। खुशी के पिता ने खुशी से पूछा खुशी ने बिना कुछ समझे हां कर दी। अगले दिन खुशी ने स्कूल जाॅइन कर ली वो धीरे धीरे साक्षी का प्यार भुलाने लगी थी सभी अध्यापिकाओं के साथ खुशी का व्यवहार बहुत अच्छा था सभी उसे बहुत पसंद करने लगे थे यहाँ तक लड़कियां भी खुशी को बहुत पसंद करती थी। सभी अध्यापिकाओं में से रितु मैडम खुशी को बहुत पसंद करती थी, वो खुशी के साथ बिल्कुल साक्षी कि तरह व्यवहार करती थी खुशी साक्षी को अब रितु मैडम में ढूंढने लगी थी जब भी समय मिलता दोनों अकेले में समय बिताती खुशी रितु मैडम से पूरी तरह आकर्षित हो चूकी थी। उसी स्कूल में एक अनु मैडम थी जो कम समय में विधवा हो गयी थी उन्होंने खुशी को बहुत समझाया कि ये ठीक नहीं है आगे आपको बहुत समस्या आएगी पर खुशी पर तो प्यार का बुखार चढ़ गया था। खुशी ने अनुसार मैडम से बात बंद कर दी । कुछ महीने बाद रितु मैडम स्कूल में आना बंद कर दिया था खुशी को समझ नहीं आया क्या हुआ अचानक से रितु मैडम ने खुशी का फोन भी उठाना बंद कर दिया। खुशी ने स्कूल में सबसे पता किया तो पता चला कि रितु मैडम कि शादी तम हो गयी है तो उन्होंने स्कूल छोड़ दिया है। रितु मैडम ने सबको शादी में बुलाया था खुशी को छोड़कर। खुशी को यह सब जानकर बहुत दुख हुआ वो स्टाफ रूम में आकर रोने लग गयी तभी वहाँ अनु मैडम आयी उन्होंने खुशी को चुप कराया । अनु मैडम ने कहा मैं इसी वजह से डर रही थी तुम मेरी छोटी बहन जैसी हो मैं तुम्हारा बुरा कभी नहीं चाहूंगी। तुम संभालो अपने आप को। खुशी कि बहन धारा कि भी शादी तय हो गयी थी। अनु ने एक दिन खुशी को अपने घर बुलाया और उसे समझाया कि आप लड़कियों कि तरह रहा करो सजा सवरा करो बाल बढ़ाओ और कपड़े भी लड़कियों कि तरह पहनो लड़कों से बात किया करो। धारा कि शादी का दिन आ गया आज पहली बार खुशी ने साड़ी पहनी, गुलाबी रंग कि साड़ी में वो किसी परी से कम नहीं लग रही थी। अनु भी शादी में आमंत्रित थी, वो एक टक खुशी को निहारे जा रही थी वो खुशी के पास आई और अपनी आंख का थोड़ा काजल निकाल कर खुशी के कान के पीछे लगाते हुए बोली किसी की नजर ना लग जाए आज तुम्हें! खुशी हंसती हुई क्या अनु मैम मुझसे तो ये सम्भल ही नहीं रही आप सब लोग कैसे पहनते हो। तभी बाहर बैंड बाजे कि आवाजें आने लगी बारात आ चुकी थी। सब बारात का स्वागत करने लगे। खुशी धारा को मंडप तक ले आई दुल्हा (सागर)भी मंडप में बैठा दुल्हन(धारा)का इंतजार कर रहा है। शादी कि रस्में शुरू हो गयी तभी खुशी के पीछे से आकर किसी ने उसकी आंखें बंद कर पूछा पहचानो कौन? खुशी पहचान गयी थी ये और कोई नहीं साक्षी थी जो अपने पूरे परिवार के साथ आई थी, साक्षी लाल रंग कि साड़ी पहनकर आई थी उसकी मांग में सिंदूर लगा हुआ सुंदर गहने पहने हुए बहुत प्यारी लग रही थी खुशी ने सब भुलाकर साक्षी को गले से लगा लिया और खुशी के सवाल शुरू हो गए कैसे रखता है वो तुझे? तुम खुश तो होना? वो परेशान तो नहीं करता है ना? साक्षी ने खुशी के होंठों पर हाथ रखकर उसे चुप कराया और अपने पति साहिल से मिलवाया। लंबा चौड़ा रंग गौरा और उसके होंठों पर एक हल्की सी मुस्कान साहिल किसी हीरो से कम नहीं लग रहा था। उसने खुशी कि तरफ हाथ मिलाने के लिए हाथ आगे बढ़ाया पर खुशी ने उसे मुस्कुराते हुए नमस्ते किया। खुशी साक्षी को एंकर में ले गयी और पूछा तू साहिल के साथ खुश तो है ना साक्षी। साक्षी ने कहा सोचा नहीं था कि तुम्हारी तरह किसी को इतना प्यार कर पांऊगी पर साहिल ने मेरा दिल जीत लिया इनमें में चाहूँ तो भी कोई कमी नहीं निकाल सकती मुझे यकीन ही नहीं होता कि कोई इतना भी अच्छा कैसे हो सकता है। खुशी के आंसू रूक ही नहीं रहे थे साक्षी ने पूछा क्या हुआ खुशी? तुम तो ठीक हो ना?क्या हुआ बोलो? खुशी ने कहा ये खुशी के आंसू है मैं बहुत खुश हूँ कि तुम्हें साहिल मिला जो तुम्हारा इतना ख्याल रखता है। मैंने बहुत कोशिश कि तुम्हें भुलाने कि पर नहीं भुला पाई। साक्षी ने कहा तू भी जल्दी शादी कर लेना भगवान करे तुझे भी साहिल जैसा पति मिल जाए। खुशी बोली अनु मैम कम थी जो तू भी शुरू हो गयी । तभी खुशी को उसकी कजिन बुलाने आई वो बोली खुशी जीजाजी के जूते नहीं छिपाने है क्या फेरे तो खत्म होने वाले है खुशी ने साक्षी को कहा चल सागर जीजु के जूते छिपाते है वह दोनों वहा गयी जहाँ जूते खोले थे लेकिन वहाँ जूते नहीं थे तभी खुशी कि कजिन ने अंगुली का इशारा करके कहा जूते वो भैया के पास है । खुशी कि नजर उस पर पड़ी । उसने देखा जूते उसके गोदी में रखे थे और वो मोबाइल में गेम खेल रहा था। खुशी को पता था कि वो मांगने पर जूते नहीं देगा खुशी और साक्षी ने एक प्लान बनाया। प्लान के तहत खुशी उसके पास आकर चक्कर खाकर गिरने का नाटक करेगी और साक्षी जूते लेकर भाग जाएगी फिर खुशी भी उसके पीछे आ जाएगी। खुशी उसके करीब गयी और गिरने का नाटक किया और तभी वो लड़का उठा और खुशी को अपनी बांहों में थाम लिया तभी साक्षी जूते उठाकर भाग गयी। खुशी उसकी बांहों में एकदम मूर्ति बन गयी थी पहली बार किसी लड़के ने उसे छुआ था वो कुछ समझ ही नहीं पा रही थी अचानक से साक्षी कि आवाज आयी भाग खुशी भाग। खुशी अचानक से संम्भली और जैसे ही भागने लगी उस लड़के ने खुशी का हाथ पकड़ लिया खुशी ने कहा ये क्या बदतमीजी है । लड़के ने कहा मैं विराट और क्या इजाजत हो तो मैं दुनिया कि सबसे खूबसूरत लड़की का नाम जान सकता हूँ। खुशी बिना नाम बताये हाथ छुड़ा कर मंडप कि तरफ भागी। प्लान सफल हुआ। सब रस्में हो चूकी थी धारा अब किसी कि पत्नी बन चूकी थी। जूते छिपायी के खुशी ने 101 रूपये ही मांगे पर सागर ने खुशी को 21000 रुपये दिये। बातों बातों में पता चला विराट सागर का छोटा भाई है। अगले दिन धारा कि विदाई का समय आ गया। सभी कि आंखें नम थी खुशी का तो रो रोकर बुरा हाल हो रहा था साक्षी सब उसे चुप करवा रहे थे तभी पीछे से एक आवाज आई क्यों इतना रो रहे हो जब भी भाभी कि याद आये आप आजाना वैसे भी पास में ही तो है तीन घंटे का रास्ता है वो कोई और नहीं विराट था। खुशी चुप हो गयी। जब धारा कि विदाई हो रही थी तो विराट ने चुपके से एक कागज में अपने मोबाइल नंबर लिखकर खुशी को पकड़ा दिया। खुशी कुछ समझ ही नहीं पाई। धारा कि विदाई हो चूकी थी। खुशी बहुत उदास सी अपने कमरे में बैठी थी। उसे विराट कि बातें उसकी ठिठोलिया याद आ रही थी। उसने घड़ी की तरफ देखा रात के 2 बज रहे थे। उसके दिमाग में चल रहा था कि इस समय विराट से बात करना ठीक होगा??खुशी ये सोचकर रह गयी कि बहुत देर हो गयी कल बात करेगें और वैसे भी अगले दिन वो भाई के साथ धारा को पगफेरे के लिए लेने जाने वाली थी । अगले दिन खुशी भाई के साथ खुब सारे गिफ्टस और मिठाईयाँ लेकर पहुंच गए। दोनों का बहुत स्वागत हुआ। कुछ देर में धारा लाल साड़ी में तैयार होकर आ गई। वो बहुत सुन्दर लग रही थी। खुशी चारों तरफ देख रही थी पर उसे विराट नजर नहीं आ रहा था खुशी ने धारा से पूछा सब कहाँ गए कोई नजर ही नहीं आ रहा। धारा ने कहाँ सब तो यही बैठे है तू किसे ढूंढ रही है? खुशी सकपका गयी क्योंकि विराट को छोड़कर सभी थे वहाँ। खुशी ने धारा के कान में धीरे से कहा आपका शरारती देवर नजर नहीं आ रहा। धारा ने बातों बातों में बताया कि वो अपनी इंजीनियरिंग पूरी करने सिंगापुर गया है अब तो अगले साल ही आएगा। अभी सुबह 4 बजे कि फ्लाइट से गए हैं। खुशी ने सोचा रात को बात कर लेती तो अच्छा होता। धारा खुशी और भाई के साथ घर आ गयी उन्होंने भी बहुत सारे गिफ्टस और मिठाईयाँ भेजी थी । गिफ्टस पर सबके नाम लिखे थे। खुशी के नाम के चार गिफ्टस थे वो लेकर खुशी अपने कमरे में आ गयी । खुशी ने गिफ्टस बेड पर रख दिये और अपने फोन से विराट के नंबर डायल किये। एक रिंग में विराट ने फोन उठा लिया। विराट थोड़े उदास लहजे में बोला क्यों इतनी देर कर दी फोन करने में?खुशी ने कहा कल बहुत देर हो गयी थी रात में और जब आपके घर दी को लेने गए तो पता चला आप सिंगापुर चले गए। आपने बताया ही नहीं कि आप सिंगापुर जा रहे हो। विराट ने कहा तुम्हारे लिए एक गिफ्ट छोड़कर आया था तुम्हें मिला? हाँ मिले तो है पर अभी मैंने नहीं देखे। मैंने एक लड़की कि तस्वीर भेजी है जिसे मैं पहली नजर में प्यार करने लग गया था । खुशी खिझते हुए कहती है मुझे नहीं देखना कुछ और मैं तुम्हारी लवर को देखकर क्या करूंगी। विराट ने खुशी को गिफ्ट खोलने के लिए राजी कर लिया। खुशी ने जैसे ही गिफ्ट खोला उसमें एक आईना था जिसे देखकर खुशी शरमा गयी लेकिन उसे अभी भी पूरी तरह यकीन नहीं था कि वो विराट से प्यार करती है या नहीं। खुशी ने कहा मुझे थोड़ा वक्त चाहिए। विराट ने कहा मैं तुम्हारा इंतजार करूँगा। खुशी ने फोन कट किया और सोचते सोचते सो गयी। सुबह सागर धारा को लेने आ गया। धारा के जाते ही खुशी फिर उदास रहने लगी स्कूल में भी चुप चुप रहती। अनु मैम ने एक

रोक कर खुशी को पूछ लिया क्या बात है आप इतनी उदास क्यों हो । खुशी अनु के गले लगकर रोने लगी और शादी के बाद कि सारी बातें अनु मैम को बता दी। अनु मैम ने खुशी कहा ये तो बहुत अच्छा प्रस्ताव है अगर विराट अच्छा लड़का है तो दिक्कत क्या है? खुशी ने कहा मुझे नहीं पता मैं उसे पंसद भी करती हूँ या नहीं । मैं क्या करूं कुछ समझ नहीं आ रहा। अनु मैम ने कहा थोड़ा समय दो इस रिश्ते को अपने आप समझ आ जाएगा पर हंसते हुए रहा करो यूँ आपको उदास देखकर घर में सब उदास होते होगे। कभी दूसरों के लिए भी हंसना चाहिए। धारा कि शादी को 5 महीने हो गए तभी एक दिन खुशी को धारा का फोन आया। धारा ने बताया कि वो मासी बनने वाली है । उसने पूछा खुशी क्या तुम 3-4 महीने के लिए मेरे पास आ सकती हो रहने मैने माँ पापा से पूछ लिया है खुशी ने बिना सोचे समझे हां कह दी.. उसे भी नए मेहमान का इंतजार जो था। कुछ दिनों में खुशी धारा के वहाँ आ गयी रहने । धारा कि प्रेगनेंसी में थोड़ी दिक्कत थी तो डॅाक्टर ने सुझाव दिया कि पहला बच्चा मायके कि जगह ससुराल में ही होतो अच्छा होगा धारा सफर नहीं कर सकती है। माँ पापा ने धारा कि सेहत को ध्यान में रखकर सहमति दे दी। धारा का सांतवा महीना चल रहा था। तभी एक दिन अचानक खुशी का पैर फिसला और वो गिर गयी उसे सागर अस्पताल ले गया पता चला खुशी के फ्रेक्चर हुआ है पांव में प्लास्टर बांध दिया डाॅक्टर ने और 15 दिन का रेस्ट बता दिया। घर आते ही खुशी तो रोये जा रही थी । धारा ने समझाया कि इसमें तेरी कोई गलती नही है सब ठीक है 15 दिन आराम करेगी तो सब ठीक हो जाएगा। अगले दिन रात के 8 बजे होगें खुशी धारा के पास सो रही थी अचानक उसे प्यास लगी वो पानी पीने उठी पास में देखा तो जग में पानी नहीं था खुशी ने धारा को जगाना ठीक नहीं समझा वो खुद ही पानी लेने के लिए उठी धीरे धीरे लगड़ा कर धीरे धीरे किचन कि तरफ जाने लगी तभी उसका पैर लड़खड़ाया और वो जैसे ही नीचे गिरने लगी तभी किसी कि बाहों ने उसे संभाल लिया खुशी घबरा गयी कि ऐसे किसने उसे संभाला तभी उसकी नजर उस शख्स पर गयी वो और कोई नहीं विराट था । विराट को देखकर खुशी बहुत खुश हुई खुशी ने कहा तुम यहाँ कैसे? बिना कुछ खबर किये । विराट ने कहा कल भैया को काॅल किया था तो पता चला तुम्हारे साथ ये सब हो गया मैं खुद को रोक नहीं पाया। और काॅलेज कि 12 दिन कि छुट्टी थी तो मैं पहली फ्लाइट से आ गया। अगले दिन विराट को देखकर सब खुश थे सागर ने घर के काम के लिए कामवाली बाई रख ली जिससे उसकी माँ धारा और खुशी को कोई दिक्कत ना हो । विराट ने खुशी का बहुत ख्याल रखा । खुशी विराट को अब पंसद करने लगी थी । विराट कि छुट्टी कब खत्म हुई पता ही नहीं चला । अगली रात विराट कि फ्लाइट थी और आज खुशी का जन्मदिन भी । आज कि पूरी रात विराट खुशी के साथ बिताना चाहता था। रात के 11:45 बजे थे विराट ने खुशी को मैसेज किया और कमरे से बाहर आने को कहा जैसे ही खुशी कमरे से बाहर आई विराट ने खुशी कि आंख पर पट्टी बांधी और उसको गोद में उठा लिया और टेरिस पर ले गया। खुशी समझ नहीं पा रही थी उसने कहा विराट क्या है ये मुझे यहाँ क्यों लाए हो और ये पट्टी खोलो । विराट ने खुशी को कहा थोड़ा सब्र रखों और जैसे ही 1२ बजे विराट ने खुशी कि पट्टी हटी दी खुशी ने जैसे ही सामने देखा आसमान में happy birthday khushi लिखा था खुशी को कुछ समझ ही नहीं आया कि ये सब कब किया विराट ने और उसे कैसे पता चला कि आज मेरा जन्मदिन है विराट अभी खुशी के किसी सवाल का जवाब नहीं देना चाहता था उसने खुशी को एक गिफ्ट दिया और चेंज करके आने को कहा खुशी विराट को जाते जाते दुखी नही करना चाहती थी तो वो चेंज करके आ गयी उसमें एक बहुत प्यारा गाउन था जिसमें वो बहुत खुबसूरत लग रही थी। फिर विराट ने टेरिस के एक और कोने कि लाइट चालू कि खुशी ने देखा वहाँ एक टेबल पर केक और डिनर लगा हुआ था दोनों ने केक कट किया और डिनर किया खुशी ने कहा विराट ये मेरा सबसे बेस्ट बर्थडे है । विराट ने जवाब दिया थैंक्स एक बात पूछूँ खुशी क्या तुम मुझे मिस करोगी? खुशी ने बात को काटते हुए कहा चलो बहुत रात हो गयी हैं सो जाओ अब कल जाना भी है ना तुम्हे। विराट ने कहा बस 2 महिने और फिर मैं हमेशा के लिए आ जाऊंगा तुम्हारे पास। अगले दिन विराट खुशी के साथ घूमा उसे फिल्म दिखायी लंच कराया शोपिंग करवायी और अब उसकी फ्लाइट का समय हो गया था तो सबसे विदा लेकर विराट घर से रवाना हो गया । अब रोज विराट और खुशी फोन पर बात करते । खुशी ने अभी तक अपने प्यार का इजहार नहीं किया था विराट तो कई बार अपने प्यार का इजहार कर चूका था। एक दिन धारा को लेबर पेन शुरू हो गये और अस्पताल जाते ही धारा ने एक प्यारी सी बेटी को जन्म दिया खुशी ने ये खुशखबरी विराट को देने के लिए उसे कई बार फोन किया पर उसने कोई जवाब नहीं दिया। नोर्मल डिलवरी होने के कारण धारा को अगले दिन छुट्टी मिल गयी । दूसरे दिन जब धारा और खुशी सागर के साथ उस नन्ही परी को लेकर पहुंचे तो पूरा घर सजा हुआ था और दरवाजे पर विराट खड़ा था । धारा और सागर विराट का ये सरप्राइज देखकर बहुत खुश हुए। पर खुशी गुस्से में अपने कमरे में चली गयी उसके पीछे विराट भी । विराट ने कहा क्या हुआ तुम्हें मुझे यहाँ देखकर खुशी नहीं हुई? खुशी ने खिझते हुए कहा तुमने मुझे क्यों नहीं बताया कि तुम आने वाले हो? मेरा फोन भी नहीं उठाया। तभी विराट ने खुशी के मुंह पर हाथ रख दिया और कहा हमेशा तुम बोलती हो आज मै बोलुंगा तुम सुनो कुछ देर में नीचे पार्टी शुरू हो जाएगी, खुशी मैं तुमसे बहुत प्यार करता हूँ तुम्हारे साथ अपनी पूरी जिंदगी बिताना चाहता हूँ। मुझे नहीं पता तुम्हारे दिल में क्या चल रहा है पर आज मुझे मेरे सारे सवालों के जवाब चाहिए। विराट उसे एक बोक्स और एक गिफ्ट देता है वो कहता है तुम्हें बोलकर नहीं कहना है तो ये साड़ी और गहने अगर आज पार्टी में पहनकर आई तो मैं समझूंगा तुम भी वो ही चाहती हो जो मैं चाहता हूं पर अगर तुम ये नहीं पहनकर आई तो मैं मान लूंगा कि तुम्हारे दिल में मेरे लिए कोई फिलिंग्स नहीं है और मैं कुछ दिनों बाद हमेशा के लिए सिंगापुर चला जाऊंगा वही नौकरी करूँगा। ये कहकर विराट वहाँ से चला गया। खुशी अभी भी कश्मकश में थी । उसने अनु मैम को फोन किया और सब बताया अनु मैम ने समझाया कि खुशी ये बहुत ही अच्छा रिश्ता है विराट जैसा चाहने वाला तुम्हें कहीं नहीं मिलेगा। उसे कबुल करो और अपने प्यार का इजहार करने में अब देरी मत करो। खुशी ने मुस्कुराते हुए फोन रखा और विराट कि लाई हुई साड़ी और गहने पहन लिये वो बला कि खूबसूरत लग रही थी। विराट ने सब घरवालों को सब बता दिया था खुशी जैसे ही उस साड़ी और गहनों में नीचे आई सब उसे देखते ही रह गए विराट की तो खुशी का ठिकाना ही नहीं रहा उसने घुटने पर बैठकर सबके सामने खुशी को शादी के लिए परप्रोज किया और खुशी ने शरमाते हुए हां कर दी 10 दिन बाद धारा कि बेटी का नामकरण और खुशी कि शादी दोनों तय हो गयी । सभी बहुत खुश थे । धारा कि बेटी का नाम विराट और खुशी ने सारा रखा जो सबको बहुत पसंद आया। विराट और खुशी की शादी हो गयी। खुशी विराट के साथ बहुत खुश थी और कुछ महीनों बाद उसे पता चला वो माँ बनने वाली है । खुशी ने अनु मैम को एक मैसेज किया। मैम मैं आपकी जिंदगी भर आभारी रहूंगी आपने मुझे अपने अस्तित्व कि पहचान करवाई। आज मुझे मेरा अस्तित्व मिल गया है थैक्यु मैम।


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