Deepshikha Nathawat

Abstract Drama Romance

4  

Deepshikha Nathawat

Abstract Drama Romance

अंजान रिश्ते

अंजान रिश्ते

14 mins
303


पाखी पढ़ने में बहुत होशियार थी। वो जिंदगी में एक सफल वर्किंग वूमेन बनना चाहती थी पर उसके घर में सब पुराने ख्यालों वाले जो आज भी लड़कियों का पढ़ना सही नहीं मानते थे।और बारहवीं होते ही पाखी कि शादी की बातें शुरू हो गयी लेकिन पाखी इस शादी के लिए तैयार नहीं थी उसे और पढ़ना था वह कुछ बनना चाहती थी वो शादी नहीं करना चाहती थी कालेज करके नौकरी करना चाहती थी उसे समझ नहीं आ रहा था वो क्या करे। पाखी के मामाजी का लड़का(जीत) उसे अपनी बहन से ज्यादा बेटी मानता था वह चैन्नई में एयरफोर्स में अच्छे पद पर था उन्होंने एक बार पाखी को कहा था कि उसे जब भी जरूरत हो वह उन्हें बताएगी। पाखी ने जीत को फोन लगाया और रोने लगी जीत को समझ नहीं आया बहुत मुश्किल से जीत ने पाखी को चुप कराया और रोने का कारण पूछा। पाखी ने कहना शुरू किया भैया मैं आगे पढ़ना चाहती हूँ पर मम्मी पापा दोनों मेरी शादी करवाने में लगे हैं। भैया मैं अभी शादी के लिए तैयार नहीं हूँ। मुझे शादी नहीं करनी अगर मेरी शादी जबरदस्ती करवाई गई तो मैं घर छोड़कर भाग जाऊंगी। जीत सब समझ गया था उसने पाखी को यकीन दिलाया कि वह घर में सबको समझाएगा। जीत ने पाखी के पिता से बात कि पर वो कुछ सुनना नहीं चाहते थे।

जीत को कुछ समझ नहीं आ रहा था उसे लगा कि अगर फूफाजी ने जबरदस्ती पाखी कि शादी तय कि तो वो घर छोड़कर कर भाग जाएगी। जीत को ये भी पता था कि अगर पाखी को उनसे पूछकर चैन्नई बुलाया तो वो उसे नहीं भेजेंगे। जीत ने कुछ प्लान किया जीत ने पाखी कि चुपचाप चैन्नई कि टिकट बुक करवा दी। उन्होंने कहा तू सिर्फ तेरे डाक्यूमेंट्स और फोन लेकर आजा। बाकी देखते हैं बाद में। अगले दिन पाखी कि जल्दी सुबह कि ट्रेन थी पाखी ने अपने पर्स में सारे डाक्यूमेंट्स, फोन और कुछ पैसे एटीएम रख लिये और मौका देखकर घर से निकल गयी पीछे वो सबके लिए एक पत्र छोड़।पत्र में उसने अपने सपने घर छोड़ने की वजह और कहाँ जा रही है सब लिख दिया ताकि कोई परेशान ना हो। पहली बार इतनी दूर अकेले जा रही थी डर था पर आने वाले समय को सोच कर खुश भी बहुत थी। दो दिन का सफर था वह घरवालों के बारे में सोच ही रही थी कि पापा का फोन आ गया।पाखी ने फोन डरते हुए फोन उठाया। फोन उठाते ही पाखी ने माफी मांगी। लेकिन गुस्से में आगबबूला हुए पाखी के पापा ने फोन पर ही उससे सारे रिश्ते तोड़ दिए वापिस घर आने के लिए भी मना कर दिया और फोन काट दिया।पाखी के पास जीत का फोन आया उन्होंने बताया कि फूफाजी का फोन आया था वो अभी नाराज है हम उन्हें मना लेंगे तू टेंशन मत ले। मैं तुझे लेने स्टेशन पर आ जाउंगा। अगले दिन चैन्नई स्टेशन पर जीत पाखी का इंतजार कर रहा था पाखी ने स्टेशन पर भैया के पैर छुए और वह उसे घर ले आये। जीत कि पत्नी भावना ने बहुत अच्छा खाना बनाया था। पाखी बहुत थक गयी थी तो जीत ने उसे गेस्ट रूम में आराम करने को कहा। जीत ने कहा आज तुम आराम करो कल तुम्हें मैं शोपिंग करवा लाऊंगा। पाखी को बेड पर सोते ही नींद आ गयी। अगले दिन जीत और भावना पाखी को शोपिंग करवाने ले गए।पाखी ने खुब सारे कपड़े खरीदे। और जरूरत कि सभी चीजें खरीदी। उन तीनों ने खाना भी बाहर खाया। वो दिन भी निकल गया।अगले दिन जीत पाखी के लिए कालेज का फार्म ले आया और मार्क्स अच्छे होने कि वजह से पाखी का एडमिशन अच्छे कालेज में हो गया जीत ने उसकी पूरे साल कि फीस एकसाथ ही जमा करवा दी और बुक्स भी ला दी। भावना को बोलकर उसकी स्कुटी भी पाखी को कालेज जाने के लिए दे दी। एक महीने तक तो सब ठीक चल रहा था पर भावना को अब पाखी अखरने लगी थी।

एक दिन अचानक रात में जब पाखी खाना खा रही थी तो भावना ने पाखी को बोल दिया कि अब आप कोई होस्टल देख लो कितने दिन हो गए सभी बातें बनाते हैं आपकी। पाखी का खाना गले में ही अटक गया। जीत उस समय घर पर नहीं था रात के दस बज रहे थे। पाखी के स्वाभिमान को जैसे धक्का सा लगा उसने उसी वक्त सामान पैक किया और जीत का घर छोड़ दिया। उसके आत्मसम्मान को गहरी चोट लगी थी। उसे कुछ पता नहीं था वह कहाँ जाएगी क्या करेगी। अंजान शहर में रहने का कोई ठिकाना नहीं। इतनी रात को कहाँ जाएगी ये सोच कर वह स्टेशन चली गयी और वहाँ वेंटिग रुम में रुकने का सोचा। पाखी कुर्सी पर बैठी रो रही थी यहाँ वो जीत के अलावा किसी को भी तो नहीं जानती थी।

यहाँ से पाखी कि जिंदगी एक नया मोड़ लेने वाली थी। स्टेशन पर एक लड़की अपने मां पापा को ट्रेन में बैठाने आयी थी। उसने पाखी को रोते हुए देख लिया वह लड़की पाखी के पास गयी और उसके रोने का कारण पूछा। कुछ देर तो पाखी चुप रही पर अगले ही पल उसके गले लगकर रोने लगी और सारी कहानी बता दी।

उस लड़की ने कहा जो होता है अच्छे के लिए ही होता है आज ही मेरी रूम पार्टनर पी. जी खाली करके गयी है आप मेरे साथ चलो मेरे रूम पार्टनर बनकर रहना। ना जाने क्या बात थी उसमें जो पाखी उसके साथ जाने को तैयार हो गयी।पहली बार में ही वो उसे अपनी सी लगी। उसका नाम प्रेरणा था। जैसा नाम वैसा काम। प्रेरणा को भगवान ने ही पाखी कि जिंदगी में भेजा था। करीब पौने बारह बजे वो दोनों पी. जी पहुंचे। पी. जी कि जो केयर टेकर थी वो रूपा दीदी थी जिनके बारे में प्रेरणा ने रास्ते में पाखी को सब बता रखा दिया था। रूपा दीदी बिल्कुल नारियल कि तरह थी बाहर से सख्त और अंदर से नरम प्रेरणा ने रुपा दीदी से बात कर ली थी और उन्होंने उसे प्रेरणा के साथ रूम शेयर करने की इजाजत दे दी

।दूसरी तरफ जीत जब घर लौटा तो पाखी को घर में ना पाकर परेशान हो गया उसने भावना से पूछा तो भावना ने सब बता दिया और जीत से झगड़ने लगी कि मैंने आज जाने का नहीं कहा उन्हें। जीत ने पाखी को फोन लगाया पाखी ने फोन उठाया।फोन उठाते ही जीत घबराई हुई आवाज में बोला कहाँ हो पाखी? मैं अभी तुम्हें लेने आ रहा हूँ। पाखी ने कहा नहीं भैया अब मैं वहाँ नहीं आंऊगी। मैं पी. जी में शिफ्ट हो गयी हूँ और बहुत जल्दी कोई नौकरी भी ढूंढ लूंगी। जीत जिद्द करने लगा कि नहीं मैं लेने आ रहा हूँ तू पता बता मुझे। पाखी ने कहा मुझे किसी से कोई शिकायत नहीं भैया। भाभी अपनी जगह पर ठीक है उन्होंने कुछ गलत नहीं कहा और मैं यहाँ अच्छे से हूँ एक बहुत अच्छी सहेली मिल गयी है और यहाँ कि केयरटेकर रूपा दीदी भी बहुत अच्छी है। जीत ने समझाया कि इतनी जल्दी तुम किसी पर भी कैसे भरोसा कर सकती हो? पाखी ने कहा अपनों पर भरोसा करके देख लिया अब एक मौका बेगानों को भी मिलना चाहिए। नौकरी लग जाएगी तो आपको बता दूंगी। पाखी ने इतना बोलकर काॅल कट कर दिया। प्रेरणा ने पाखी को खाना खिलाया। और दोनों सो गये अगले दिन रूपा दीदी दोनों के लिए चाय लेकर आयी। प्रेरणा ने पाखी को उठाया। पाखी ने कहा गुड़ मोर्निग इतनी अच्छी और सुकून भरी नींद मुझे कभी नहीं आयी। प्रेरणा तो एक एम. एन. सी कम्पनी मे काम करती थी तो उसे ऑफिस जाना था तो वो तैयार होने लगी। पाखी ने प्रेरणा से कहा क्या तुम मेरा एक CV बनवाकर ला दोगी प्रेरणा ने कहा आप मुझे आपकी पूरी जानकारी दे दो मै खुद बना लांऊगी।

उसी दिन प्रेरणा पाखी का CV बनाकर ले आयी अब रोज अखबार में इश्तिहार देखकर पाखी काॅलेज से सीधा इंटरव्यू देने पहुंच जाती पर तेलुगु नहीं आने के कारण उसे नौकरी मिलने में बहुत परेशानी हो रही थी। तभी एक दिन एक बड़ी कंंपनी से पाखी को जाॅब का इंटरव्यू का काॅल आया। पाखी पहुंच गयी सही समय से।उसने इंटरव्यू में सब सवालों के जवाब दे दिये। कंपनी के मेनेजर ने थोड़ा समय इंतजार करने को कहा। पाखी मायूस होकर पी.जी लौट आई। 3-4 दिन बीत गये अचानक एक दिन एक फोन आया अगले दिन इंटरव्यू के लिए बुलाया गया। पाखी अगले दिन कंपनी में पहुंच गयी। उसे बाहर बैठकर इंतजार करने को कहा गया। 4-5 घंटे बीत गये पर पाखी के सिर पर शिकन नहीं थी उसे अंदर बुलाया गया और नौकरी का ऑफर लेटर उसके हाथ में देकर दो दिन बाद आने को कहा। पाखी समझ नहीं पाई कि बिना इंटरव्यू लिये कैसे कोई नौकरी दे सकता है उसने पूछा कि सर मेरा इंटरव्यू? सामने जो शख्स बैठा था वो बोला कि मैम आपका इंटरव्यू हो गया जब आप 4-5 घंटे इंतजार कर सकती है इस नौकरी के लिए तो आप इस कंपनी के लिए बहुत सही कर्मचारी हो आपके धैर्य कि परिक्षा थी और आप पास हो गई। पाखी कि खुशी का ठिकाना नहीं था वो पी. जी से पहले मंदिर गई गणपति को खुब धन्यवाद किया लड्डू का प्रसाद चढ़ाया और पी. जी में सबको ये खुशखबरी सुनायीं।

पाखी कि जिंदगी का नया अध्याय शुरू होने वाला था दो दिन बाद से। पाखी कि नौकरी से सबसे ज्यादा खुश प्रेरणा हुई। उसे मेनेजर कि पोस्ट मिली थी। सैलरी भी अच्छी थी। उस रात पाखी ने अपने घर फोन लगाया माँ- पापा से बात करने के लिए और पता चला कि भावना भाभी ने फोन करके पाखी के बारे में बहुत गलत बोला है पाखी को कुछ समझ नहीं आया कि उन्होंने क्यों ऐसा किया पाखी का मन तो किया कि अभी फोन करके पुछे लेकिन वो दर्द का घूंट पीकर रह गयी। सुबह से शाम ऑफिस और फिर शाम को काॅलेज पढ़ने जाती। उसकी दिनचर्या बहुत व्यस्त हो गयी थी वो प्रेरणा को भी समय नहीं दे पा रही थी।

पाखी काॅलेज में एक लड़का था पवन जो पाखी को बहुत पसंद करता था उसको नोट्स बनाकर देता था उसकी पढ़ाई में बहुत मदद करता था। पाखी सिर्फ उसे अपना दोस्त मानती थी। कुछ दिन बाद पाखी का जन्मदिन था। पवन ने सोच लिया था कि वो पाखी के जन्मदिन पर अपने प्यार का इजहार कर देगा। पाखी कि कंपनी के MD से पाखी कि फोन पर बातें होती रहती थी पर कभी मिले नहीं थे ये दोनों।एक दिन पाखी और प्रेरणा संडे को बाहर लंच करने गए वो जैसे ही रेस्टोरेंट में खाना खाने बैठे सामने एक आदमी पाखी को घूरे जा रहा था।

पाखी को अजीब सा लग रहा था वो उस आदमी के पास गयी और कहा कुछ समस्या है इतनी देर से टकटकी लगा कर देख रहे हो? कभी लड़की देखी नहीं है क्या? तभी उस शख्स ने कहा देखी तो है मिस पाखी पर आप जैसी नहीं देखी। पाखी हैरान थी कि उसे उसका नाम कैसे पता वो परेशान हो गयी वो शख्स पाखी कि घबराहट भांप गया था उसने कहा घबराइये नहीं मैं अपना परिचय खुद दे देता हूँ। मैं यश ग्रुप का MD समर खन्ना और मिस पाखी आप मेरी ही अस्टिटेंट है। पाखी कि समर से हमेशा फोन पर ही बात हुई थी। आज पहली बार वह अपने सर से मिल रही थी।उसने समर से माफी मांगी और समर को अपने और प्रेरणा के साथ लंच करने का आग्रह किया। लंच के दौरान बहुत सारी बातें हुई और पाखी और समर इस दौरान काफी घुल मिल गए थे।

समर का अब अक्सर चैन्नई आना जाना लगा रहता था। समर बैंगलोर में हेड आफिस में बैठता था। उसने पाखी को पूछा कि क्या तुम बैगंलोर ऑफिस में काम करना पसंद करोगी। रहना खाना सब कंपनी कि तरफ से होगा। पाखी को डील अच्छी लगी पर उसने सोचने के लिए थोड़ा वक्त मांगा वो प्रेरणा और पवन से सलाह मशवरा करना चाहती थी। पवन ने पाखी के लिए एक रेस्टोरेंट में बर्थडे सरप्राइज प्लान किया था। उसने प्रेरणा को भी अपने इस प्लान में शामिल किया था। उधर समर को पाखी पहली नजर में ही पसंद आ गयी थी। समर को जैसे उसकी सपनों कि रानी मिल गयी हो। समर ने अपने घर वालों को भी सब बता दिया था पाखी के बारे में। उधर पवन पाखी के लिए बर्थडे पार्टी प्लान कर रहा था उधर समर पाखी के लिए ऑफिस में स्पेशल केबिन बनवा रहा था। ना जाने क्यों वो मन ही मन सोच रहा था कि पाखी हां ही बोलेगी। बर्थडे के एक रात पहले पाखी ने पवन और प्रेरणा को डिनर पर इंनवाइट किया। पाखी ने डिनर पर दोनों को समर के आफर के बारे में बताया। प्रेरणा को बहुत ही खुशी हुई पर गम भी था कि वह पाखी से दूर हो जाएगी पर पवन का दिल टूट गया था अब वो कैसे अपने प्यार का इजहार पाखी से करेगा। पाखी के दूर जाने के ख्याल से ही वो घबरा गया। पवन कोई बहाना बनाकर वहाँ से चला गया।प्रेरणा कही ना कही पवन की आंखों में पाखी के लिए प्यार देख चूकी थी। पाखी ने प्रेरणा से पुछा पवन को क्या हो गया जो वो ऐसे बीच में उठकर चला गया। प्रेरणा ने बात टालते हुए कहा वो सब छोड़ ये बता तेरी पढ़ाई का क्या होगा फिर।पाखी ने कहा हां यार मैंने तो इस बारे में सोचा ही नहीं। अभी पढ़ाई पूरी होने से पहले मैं चैन्नई छोड़कर कहीं नहीं जा सकती। उसने उसी रात समर को फोन करके मना कर दिया और कारण भी बताया कि अभी छः महीने तक वो चैन्नई नहीं छोड़ सकती। समर समझ गया और छ: महीने बाद पाखी को बैंगलोर आने के लिए राजी कर लिया। उधर पवन बहुत उदास हो गया था तभी फोन की घंटी बजी प्रेरणा का काॅल था बिना मन से पवन ने फोन उठाया। प्रेरणा ने कहा अभी छ: महीने और है तुम अपने दिल की बात पाखी से कह दो। पवन के दिल में एक उम्मीद जगी कि वो अपने दिल कि बात कल ही पाखी को बोल देगा।पवन ने प्रेरणा कि मदद से समर को भी इंवाइट कर लिया। प्रेरणा पाखी को अगले दिन बहाना बनाकर रेस्टोरेंट ले गयी जहाँ सभी लोग पाखी का वेट कर रहे थे। पवन ने पाखी के माता-पिता उसके जीत भैया भाभी सबको बुलाया था। पाखी को इस बात का अंदाज़ा भी नहीं था कि वो सबसे मिल पाएगी। पवन के सरप्राइज से पाखी बहुत भावुक हो गयी थी। समर ने पाखी को प्रोमोशन लेटर और एक प्यारी सी घड़ी गिफ्ट की। प्रेरणा ने अपने हाथों से बनाई हुई पेंटिंग गिफ्ट की। सब कुछ ना कुछ उपहार लेकर आये थे। पाखी ने पवन को थैंक्स कहा और बोली ये सिर्फ तुम ही कर सकते हो।पवन पाखी के माता पिता से पाखी का हाथ मांग चूका था उन्हें पवन पसंद था। सब जानते थे कि पवन पाखी को पसंद करता है बस एक पाखी ही इस सच से अंजान थी। पार्टी के बाद पवन ने सबके सामने पाखी को शादी के लिए प्रपोज कर दिया।पाखी ये सब सुनकर चौंक गयी उसे इस बात का अंदाज़ा भी नहीं था। समर का दिल टूट गया था वो पार्टी के बीच ही वहाँ से सीधा एयरपोर्ट चला गया। पाखी ने पवन का प्रपोजल ठुकरा दिया क्योंकि वो समर से प्यार करने लगी थी। उसने सबके सामने कहा कि वह उससे नहीं समर से प्यार करती है। पवन के लिए उसके दिल में ऐसे कोई जज्बात नहीं है वो दौड़ती हुई समर कि गाड़ी के पीछे भागी उसे रेस्टोरेंट के सिक्योरिटी ने बताया कि वह एयरपोर्ट के लिए निकले हैं। पाखी ने अपनी स्कूटी स्टार्ट कि और लगा दी समर कि गाड़ी के पीछे। समर एयरपोर्ट पहुंच चूका था वो जैसे ही अंदर चैक इन करने वाला था एक अनाउंसमेंट हुआ। 

मिस्टर समर खन्ना आप जहाँ भी है एयरपोर्ट के एक्जिट गेट पर आ जाइये मिस पाखी आपका इंतजार कर रही है। समर एक पल रूका पर फिर उस आवाज को इग्नोर करके जैसे ही आगे बढ़ा पाखी कि आवाज उसके कानों में पड़ी। समर अपनी पाखी को यहाँ ऐसे अकेला छोड़ कर जा रहे हो? समर पलटा देखा सामने पाखी हड़बड़ाई सी खड़ी थी। क्या कहा तुमने? समर ने पूछा। पाखी ने कहा पता नहीं था ये बात आपको इस जगह इस तरह से कहूंगी पर अब देर नहीं करना चाहती। I LOVE YOU SAMAR. WILL YOU MARRY ME? समर ने दौड़ कर पाखी को अपनी बांहों में ले लिया और कहा YES I WILL.. LOVE YOU TOO MY DREAM GIRL. तब तक पाखी के सब रिश्तेदार वहाँ पहुँच चूके थे। पवन ने पाखी से माफी मांगी और कहा मुझे तुमसे पहले बात कर लेता तो इतना सब बखेड़ा नहीं होता। पाखी ने कहा मैं तुम्हारे प्यार की इज्जत करती हूँ पर मैं समर को पहली मुलाकात में ही पसंद करने लगी थी। तुम मेरे दोस्त हमेशा रहोगे। पाखी के माता पिता भी पाखी कि पसंद को रजामंदी दे चूके थे। छ: महीने कैसे बीत गये पता ही नहीं चला और समर ने पाखी से कहा कि हम शादी करके ही बैगंलोर चलते हैं। दोनों परिवार ने चैन्नई में ही शादी का अरेंजमेंट किया और दोनों कि शादी करवा दी। अब पाखी मिसेज पाखी समर खन्ना बन चूकी थी और धीरे धीरे उसने समर के बिजनेस को फैशन इंडस्ट्री में शोहरत दिलवा दी थी वो भी एक बिजनेस टाइकून बन चूकी थी। पाखी ने जो भी सपने देखे वो पूरे हो गये थे।


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