अमर प्रेम
अमर प्रेम
एक गाँव जहाँ गौरी अपने परिवार के साथ रहती थी।
परिवार में माँ और पापा के साथ एक छोटा भाई और एक बड़ी बहन थे। कहते है ना नियति अपना खेल कब खेल जाए पता ही नहीं चलता। हंसती खेलती गौरी कि जिंदगी कैसे बदलने वाली थी खुद गौरी को खबर नही थी। गौरी ने बारवीं की परिक्षा दी और अच्छे नंबरों से अव्वल भी आई। गौरी आगे पढ़ना चाहती थी लेकिन गाँव में आगे पढने के लिए स्कूल नहीं था। गौरी के माँ पापा उसे अपने से दूर शहर नहीं भेजना चाहते थे। पर गौरी को आगे की पढ़ाई करने शहर जाना था। उसने खाना पीना सब छोड़ दिया था। आखिर उसकी जिद्द के आगे परिवार वालो को झुकना पड़ा। गौरी कि बुआ शहर में रहती थी। गौरी के पिता ने अपनी बहन से बात कि तो वह गौरी को अपने पास रखने के लिए तैयार हो गयी। गौरी ने शहर जाने से पहले कई सपने सजा लिए थे वह फैशन डिजाइनर बनना चाहती थी।
गौरी कई सपने लिए शहर को रवाना हो गई उसके पापा उसे छोड़ने गए। गौरी की बुआ उन्हें देखकर बहुत खुश हुई। कुछ दिनों में गौरी का अच्छे से काॅलेज में दाखिला करवाकर उसके पापा गाँव लौट गए। गौरी बहुत समझदार थी वो बुआ के काम में हाथ भी बंटाती और मन लगाकर पढ़ाई भी करती। जब काॅलेज की छुट्टियां होती तो कुछ दिन गाँव हो आती थी।
दीवाली की पंद्रह दिन की छुट्टी में गौरी गाँव के लिए रवाना हुई। शहर से सीधी जाने वाली कोई बस नहीं थी गौरी को गाँव पहुँचने के लिए दो बसें बदलनी पड़ती थी। रात का सफर था गौरी की बगल में एक लड़के की सीट थी। गौरी ने कंडक्टर से बहुत कहा कि उसे कोई महिला के पास सीट दे दो पर किसी ने नहीं सुनी। गौरी डरी सहमी अपनी सीट पर जाकर बैठ गई। बगल वाले लड़के ने गौरी की हालत भांप ली थी। उसने गौरी से कहा "सुनिये मैं एक अच्छे परिवार से हूँ आपको डरने की जरूरत नहीं मैं उन लड़कों में से नहीं जो लड़कियों को अकेला देखकर उनका फायदा उठाये। आप बेफिक्र होकर सो जाइए। "गौरी को उसकी बात सुनकर थोड़ी तसल्ली तो हुई पर वो लापरवाह नहीं हो सकती थी। उसे नींद नहीं आ रही थी वह बेचैन हो रही थी। उस लड़के ने फिर से गौरी से बात करना शुरू किया उसने कहा "मेरा नाम शिव है मैं शहर में पढ़ता हूँ और दीवाली की छुट्टियों में अपने गाँव जा रहा हूँ और आपका नाम क्या है? गौरी खामोश रही उसने कोई उत्तर नहीं दिया फिर शिव ने बोलना शुरू किया आप बात कीजिये आपको अच्छा लगेगा और आपको ये डर भी नहीं रहेगा कि मैं आपके सोने के बाद आपके साथ कुछ गलत करूंगा। गौरी ने धीरे से कहाँ मेरा नाम गौरी है और मैं भी छुट्टियों में अपने गाँव जा रही हूँ बातों बातों में पता चला दोनों एक ही काॅलेज में पढ़ते हैं और दोनों के गाँव भी आसपास है। बातों बातों में रात से कब सुबह हो गई पता ही नही चला। गौरी का गाँव आ गया। दोनों ने वापसी का दिन भी तय किया और अलविदा कहा। गौरी बहुत खुश थी कि उसकी शिव जैसे इंसान से मुलाकात हुई। गौरी नेवोशनश् निराश होकर बस में बैठ गयी इस बार उसके बगल में एक अधेड़ उम्र की महिला बैठी पर गौरी को कुछ अच्छा नहीं लग रहा था उसके मन में बहुत सारे सवाल उठा रहे थे शिव के बारे में उसके पास शिव के नाम के सिवा कोई जानकारी नहीं थी पर दोनों का काॅलेज एक होने से उसे ढूँढने में ज्यादा परेशानी नहीं आएगी गौरी मन ही मन खुद से ही बात किये जा रही थी। घर पहुँचने के बाद भी गौरी खोई खोई सी रहने लगी। अगले दिन गौरी काॅलेज पहुँची आफिस में पहुँच कर शिव के बारे में पता करने लगी अब काॅलेज में शिव नाम के 300 से ऊपर लड़के इनमें से कौन सा शिव फोटो दिखाने को बोला तो साफ मना कर दिया स्टाफ़ ने, ये जानकारी नहीं दे सकते हम। गौरी समझ नहीं पा रही थी कि शिव को कैसे ढूंढे। अगले महीने काॅलेज का वार्षिकोत्सव आ रहा था। गौरी ने तय किया कि इस वार्षिकोत्सव में वो शिव को ढूंढ कर रहेगी। वो दिन भी आ गया जब काफी दिन बाद गौरी को शिव की झलक देखने को मिली वो काफी कमजोर दिख रहा था.. पर उसकी मुस्कान बरकरार थी वो काॅलेज के वार्षिकोत्सव पर स्टेज पर माइक हाथ में लिये कार्यक्रम कि शुरुआत कर रहा था पता लगा कि आज कि शाम का होस्ट शिव ही है कार्यक्रम के अंत में शिव ने काॅलेज के टोपरर्स के नामों कि घोषणा की जिन्हें पुरुस्कार मिलना था और इन नामों में एक नाम गौरी का भी था..जैसे ही गौरी स्टेज पर पहुंची शिव ने गौरी के गले लगकर उसे बधाई दी.. शिव के गले लगते ही गौरी का सारा गुस्सा गायब हो गया जिस सुकून की वो इतने दिन से ढूंढ रही थी वो सुकून उसको शिव की बांहों में मिल रहा था.. गौरी ने शिव के कानों में कैंटीन में मिलने को कहा और अपना पुरस्कार लेकर कैंटीन कि ओर चली गई कुछ देर बाद शिव कैंटीन में आया.. गौरी शिव को देख अपने आप को रोक नहीं पायी... शिव के गले लगकर खुब रोई गौरी के सवालों कि तो बरसात ही हो गयी.. तुम कहाँ रह गये थे? उस दिन बस स्टैंड पर क्यों नहीं आये? तुमने कोई मैसेज क्यों नहीं दिया? शिव ने गौरी के होठों पर अपना हाथ रख दिया गौरी चुप हो गयी।
शिव ने कहाँ बहन को लड़के वाले देखने आने वाले थे तो मुझे रुकना पड़ा उसने कहाँ बहन का रिश्ता पक्का हो गया है दो महीने बाद शादी है.. फिर शिव ने कहा तुम्हें कैसे मैसेज करता तुमने अपने नंबर दिये थे? फिर गौरी को समझ आया कि जल्दबाजी में नंबर देना तो भूल ही गये एक दूसरे को। गौरी ने अपने बर्ताव के लिए साॅरी कहा। शिव ने कहा क्या हुआ तुम मुझे इतने दिनों से बेचैन सी क्यों ढूंढ रही हो? सब ठीक है ना? गौरी थोड़ा सकपका गयी उसे अहसास हुआ कि उसने अब तक अपने प्यार का इजहार नहीं किया शिव के सामने कि वो उसे चाहने लगी है पर उसके मन में ये उलझन भी थी कि शिव के दिल में भी उसके लिए कुछ अहसास है भी या नहीं। अब हर रोज शिव और गौरी की मुलाकात होने लगी। गौरी का प्यार शिव के लिए बढ़ता ही जा रहा था लेकिन शिव के दिल में क्या है वो गौरी को नहीं समझ आ रहा था दो महीने बीत गये शिव ने अपनी बहन की शादी में गौरी को भी आमंत्रित किया, गौरी शादी में जाने को तैयार हो गयी उसने सोच लिया कि शादी में कोई अच्छा मौका देखकर वो अपने दिल की बात शिव को कह देगी शिव की तैयारियों के लिए कुछ दिन पहले गाँव चला गया गौरी भी शादी के दो दिन पहले शिव के गाँव पहुँच गयी। शिव का परिवार शिव कि तरह ही सीधा साधा था सबने गौरी को बहुत प्यार दिया। शादी के दिन शिव ने उमा से गौरी को मिलवाया। उमा शिव की मंगेतर थी ये सब जानकर गौरी के पैरो तले जमीन खिसक गयी वो अपने आपको संभाल ही नहीं पा रही थी उसने अपने आप को संभाला। बातों बातों में पता चला कि उमा शिव के पिता के सबसे अच्छे दोस्त की बेटी है जो बरसों पहले कार एक्सीडेंट में गुजर चूके थे और बचपन में ही उमा और शिव की सगाई हो गयी थी उमा शिव के परिवार के साथ ही रहती थी गौरी सब जानकर थोड़ा दुखी तो हुई पर शिव के लिए उसका गुस्सा अब गर्व में बदल गया था। शादी के सभी कार्यक्रम पूरे करके गौरी शहर लौट आई। गौरी के लिए शिव को भुला पाना बहुत मुश्किल हो रहा था। पर वक्त को कुछ और ही मंजूर था। गौरी ने शिव को अपने दिल की बात बताने के लिए एक प्रेम पत्र लिखा था जो वो गलती से वही भूल आई थी और अंजाने में वो पत्र उमा के हाथ लग गया और उमा ने शिव से सारी सच्चाई जाननी चाही शिव ने भी सब बता दिया कि कैसे ना चाहते हुए भी पहली मुलाकात में वो कैसे गौरी को पसंद करने लगा था उसने उमा से कुछ नहीं छुपाया। उमा ने सब सच्चाई जानकर शिव से अपनी सगाई तोड़ ली उमा ने कहा शिव तुम मेरे बचपन के दोस्त हो मैं तुम्हारी खुशियों के लिए कुछ भी कर सकती हूँ हमारी दोस्ती वैसे ही रहेगी चलो अब गौरी को ये खुशखबरी देते हैं उधर गौरी शिव के प्यार को भुलाने की कोशिश में लगी थी पर उसकी हर कोशिश नाकामयाब हो रही थी। गौरी अपने काॅलेज की लाइब्रेरी में बैठी किताब पढ़ रही थी तभी अचानक से सामने उमा और शिव आकर बैठ गए। गौरी हतप्रभ हो गयी उसे समझ नहीं आया कि सच है या सपना तभी उमा ने चुटकियां बजाते हुए गौरी का ध्यान भंग किया और कहाँ शादी में आमंत्रित करने आए हैं तुम्हें आना होगा और तुम्हारे बिना ये शादी नहीं होगी ये सुनकर गौरी ने किसी तरह अपने आंसू छिपा कर बनावटी मुस्कुराहट से कहा मैं जरूर आऊंगी...गौरी ने शादी का कार्ड उमा से लेकर अपने बैग में रख दिया.. उमा ने कहा देखो तो सही कैसा है कार्ड गौरी ने बात टालने की कोशिश कि पर उमा चाहती थी गौरी वो कार्ड देखे उमा के ज्यादा जोर देने पर गौरी ने कार्ड खोला और देखा वहाँ शिव के साथ गौरी का नाम लिखा है गौरी को विश्वास नहीं हुआ उसने बार बार पढ़ा गौरी कार्ड देखने के बाद शिव और उमा से पूछा ये क्या है अब? उमा ने कहा कि तुम जो खत शिव को देना चाहती थी वो मुझे मिल गया उमा कि आंखों में आंसू थे गौरी को डांटते हुए उमा ने कहा अगर शादी के बाद मुझे ये सब पता चलता तो मैं कभी अपने आप को माफ नहीं कर पाती। दो प्यार करने वालों को जुदा करने का पाप मुझे लग जाता। गौरी उमा के लगकर रोने लगी.. शिव ने दोनों को चुप कराया और गौरी से कहा हम कब तुम्हारे घर आकर तुम्हारा हाथ मांग सकते हैं। गौरी ने कहा पहले मैं जाकर माँ और पापा से बात करती हूँ और फिर तुम्हें बता दूंगी..। इसी बीच शिव और गौरी की आंखें आपस में मिलती है दोनों ने अपने प्यार का इजहार कहाँ किया था अभी तक उमा ने वक्त की नजाकत को समझकर शिव से कहा मुझे थोड़ी शोपिंग करनी है तो शाम को मिलते हैं सीधे बस स्टाॅप पर उमा ने टेक्सी बुलायी और उसमें बैठकर चली गयी। शिव गौरी के करीब आया और घुटनों के बल बैठकर कहा मिस गौरी I love you!will you marry me? गौरी ने love you too और शादी के लिए हामी भर दी। दोनों ने एक दूसरे को अपनी बांहों में ले लिया। शाम को जब शिव और उमा गाँव के लिए निकलने वाले थे उसी वक्त उमा चक्कर खाकर बेहोश हो कर गिर गयी शिव तुरंत उसे नजदीकी अस्पताल में ले गया। डॉक्टर ने कुछ जांचें कि और अगले दिन रिपोर्ट लेने आने को बोला। शिव ने गौरी को फोन करके सब बता दिया। गौरी ने बुआ से बात करके शिव और उमा को एक दिन के लिए बुआ के घर ही रूकने को मना लिया।
अगले दिन उमा कि रिपोर्ट आनी थी उमा का मन घबरा रहा था उमा ने गौरी से कहा कि तुम चलो मेरे साथ रिपोर्ट लाने पता नहीं क्या होगा रिपोर्ट में गौरी उमा को समझाती है मगर एक डर उमा को भी सता रहा था उमा किसी तरह शिव को मनाकर गौरी के साथ हास्पिटल पहुँचती है। डाॅक्टर गौरी को बाहर बैठने को कहते हैं और उमा से कहते हैं कि तुम्हारे दिल में छेद है और जल्दी अगर इलाज नहीं हुआ तो हम कुछ नहीं कर पाएंगे उमा किसी तरह अपने आप को संभालते हुए डाॅक्टर को ये बात किसी को बताने से रोक देती है पर गौरी ये सब सुन लेती है... उमा जब डाॅक्टर के केबिन से बाहर आती है गौरी उसे गले से लगा लेती है। उमा गौरी को कसम देती है कि ये बात वो किसी को नहीं बताएगी शिव को भी नहीं। गौरी उमा को समझाती है कि तुम्हारा इलाज हो सकता है, शिव से ये सब छुपाना ठीक नहीं होगा पर वो उमा कि कसम के आगे अपने आप को रोक लेती है। वो दोनों बुआ के घर पहुँचते हैं जहाँ शिव बेसब्री से उनका इंतजार कर रहा होता है वो पुछता है क्या कहा डाॅक्टर ने तो उमा कहती है बस थोड़ी कमजोरी है जो जल्दी ठीक हो जाएगी तुम गौरी और तुम्हारी शादी की तैयारी करो। शिव उमा कि बात पर विश्वास कर लेता है और शिव और उमा बुआ और गौरी से विदा लेकर गाँव के लिए रवाना हो जाते हैं।
कुछ दिन बाद दोनों ने अपने परिवार वालों से बात कि और थोड़ी बहस के बाद दोनों परिवार वालों ने अपने बच्चों की खुशी के लिए हां कर दी।
शादी कि तारीख तय हो गयी कार्ड भी बंट चूके। शादी शहर में एक मैरिज हाॅल में होनी तय हो गयी। शादी का दिन भी आ गया। सब तैयार हो कर मैरिज हाॅल पहुंच चूके थे बस दुल्हन का इंतजार हो रहा था। शिव ने गौरी को विडियो काॅल किया गौरी तैयार हो चुकी थी वो दुल्हन की पोशाक में बहुत सुन्दर लग रही थी शिव उसे निहारे जा रहा था,गौरी ने चुटकी बजाते हुए शिव का ध्यान भंग किया और कहा अब फोन रखोगे तभी वहाँ आ पाऊंगी ना शिव हंसते हुए कहता है मैंने कार भेज दी है तुम काॅल मत काटना ना जाने क्यों आज तुम्हें जी भरके देखना चाहता हूँ अपनी नजरें तुम्हारे चेहरे से नहीं हटाना
चाहता गौरी शरमा जाती है और कार में आकर बैठ जाती है रास्ते भर शिव गौरी को निहारे जा रहा था तभी अचानक एक जोरदार धमाका होता है कार एक टेंकर से टकराती है और शिव के हाथों से फोन गिर जाता है और शिव चिल्लाते हुए भागता है सभी घबरा जाते हैं और शिव के पीछे भागते है वहाँ गौरी बुरी तरह घायल हो जाती है वहाँ कि पब्लिक गौरी और कार चालक को नजदीकी अस्पताल में ले जाते हैं कार चालक की तो रास्ते में ही मौत हो जाती है पर गौरी कि सांसे शिव को देखने के लिए जैसे रूकी हो.. शिव और दोनों परिवार अस्पताल पहुँचते हैं तब तक गौरी आपरेशन थेटर में जा चूकी होती है कुछ समय बाद डाॅक्टर बाहर आकर बताते हैं कि कुछ नहीं कह सकते अभी भी इनकी जान खतरे में है डाॅक्टर पुछते है आप सब में शिव कौन है? शिव सामने आता है तो डाॅक्टर कहते हैं वो आपका नाम कबसे पुकार रही हैं आप उनसे मिल लीजिए शिव अंदर जाता है गौरी को इतनी बुरी हालत में देखकर घबरा जाता है, वह किसी तरह अपने आप को संभाल कर गौरी के नजदीक आकर कहता है तुम बहुत जल्दी ठीक हो जाओगी। गौरी शिव का हाथ अपने हाथों में लेकर कहती है कि तुम मेरी आखरी इच्छा पूरी करोगे? शिव गौरी के मुंह पर हाथ रख देता है गौरी उसका हाथ हटाते हुए कहती है कि मुझे पता है मैं अब नहीं बचूंगी लेकिन तुम्हें आज एक सच बताना चाहती हूँ उम्मीद है तुम समझोगे मैं उमा कि कसम तोड़ रही हूँ आज क्योंकि ये जरूरी है। शिव उमा को दिल कि बीमारी है अगर समय से उनको कोई दूसरा दिल नहीं लगाया गया तो वो नहीं बच पाएगी मैं जो तुमसे मांगने वाली हूँ मुझे पता है तुम्हारे लिए वो मुश्किल होगा पर तुम्हें मेरे लिए ये करना होगा। तुम्हें मेरी ये आखरी इच्छा पूरी करनी होगी। गौरी कि सांसे धीमी होती जा रही थी गौरी शिव से वादा लेती है गौरी कहती है मेरे मरने के बाद मैं चाहती हूँ मेरा दिल उमा को लगा दिया जाए मुझे मालूम है उमा तुम्हारा बहुत ख्याल रखेगी शिव ये सब सुनकर हैरान था शिव अभी भी यही कह रहा था तुम्हें कुछ नहीं होगा गौरी। गौरी कि सांसे थमने लगी थी शिव ने चिल्लाते हुए डाॅक्टर को आवाज लगायी सब घबराते हुए कमरे में आ गए। गौरी उमा को इशारे से अपने पास बुलाती है और उसका हाथ शिव में हाथ में दे देती है और दोनों से वादा लेती है कि उसके जाने के बाद वो दोनों शादी कर ले और उमा से उसका सच शिव को बताने के लिए माफी मांगती है शिव गौरी को अपनी बांहों में भर लेता है और गौरी शिव की बांहों में आखिरी सांस लेती है डाॅक्टर गौरी का दिल उमा के लगा देते हैं... कुछ समय बाद गौरी को दिए वादे के लिए दोनों शादी कर लेते हैं..
ये ही तो अमर प्रेम है गौरी मरकर भी उमा के अंदर धड़क रही थी और शिव को अपनी मौजूदगी का अहसास दिलाती रहती। गौरी और शिव एक तो ना हो सके पर कभी एक दूसरे से जुदा भी नहीं हुए.. और इस तरह उनका प्रेम अमर हो गया।
" समाप्त "

