Minhaj Abdullah

Abstract

5.0  

Minhaj Abdullah

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असल कमाई

असल कमाई

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      मरने से पहले तुलाराम ने अपने बेटे गठिया को इस्माइल चाय वाले के paas छोड़ गया। गठिया उस चाय की दुकान पर काम करने लगा था। बच्चा था ना समझ था. तो हरकते भी वैसी ही थी। ग्राहक तो उल्टे मुँह जवाब दे देना। कई बार तो ग्लास प्लेट तोड़ दिया करता। कभी भी गुस्सा हो जाता और किसी काम को माना कर देता था।  

इस्माइल जो कि दूकान का मालिक था। बच्चा समझ के उस की हरकतो को नज़र अंदाज़ कर देता था। लकिन एक दिन किसी ग्राहक से बदतमीज़ी करने पर इस्माइल ने ज़ोरसे चिल्ला दिया। इस बात पर गठिया को बोहोत बुरा लग गया वो उदास हो गया और के पहाड़ी पे जा बैठा। कुछ देर बाद इस्माइल उसे ढूँढ़ते हुए आया और घबरा गया।  

इस्माइल :"अररे इधर क्यों बैठा है। क्या हुआ। उधार ग्राहक को चाय कोण बटेगा" 

गठिया :"ग्राहक से बोलना खुद ले ले। मै ने ठेका नहीं ले रखखा चाय देने का।" 

"मेरा बाप ने जीवन भाई कुछ नहीं कमाया ऐसे ही मर गया। साला बोहोत जालिम था मुझे तेरे पास छोड़ के भाग गया। कही और जा के काम कर लूंगा।   

इस्माइल :"अच्छा। तो डांट की वजह से गुस्सा है। 

गठिया :" (गुस्से मे।)। नहीं। चवन्नी ढूंड्मे आया हूँ

इस्माइल :" चवन्नी से याद आया तेरे बाप ने मेरे पास एक सन्दूक रख्खा ता जिस। उस की जीवन भर की कमाई रखखी थी।  

गठिया :"।लो अब वो भी तुम्हें दे गया। ?? "

इस्माइल :"। नारी नाहि।बोला था की अगर तो महीभर खूब म्हणत से काम करेगा तो ये संदूक मैं तुझे दे दू।

गठिया कुछ गिनने लगता है" 

इस्माइल :" कया सोच रहा है।" 

गठिया :" अभी कितने दिन हो गए है मुझे" 

इस्माइल :" करी अभी तो बस १ हफ्ता ही हुआ है तुझे "

गठिया :" मतलब ३ हफ्ते बाद।"

गठिया :" अरी तो यहाँ पे टाइम क्यों ख़राब कर रहे हो चलो ने चाय पिलाने। "

(यहा पे एक गाना हो सकता है।) 

अगले दिन गठिया सुबह चाय की दूकान पे नहीं आया। इस्माइल चाय देते देते परेशान हो जाता है। वो एक दिन बाद आता है।

इस्माइल :(गुस्से मे) " कहा मार् गया था ब। पता है कितनी भीड थी कल। चाय देते देते साला कमर दुःख गई ओर लाड्स साफ अब आज रहे है कमर मटकते हुए“

गठिया रोने लगा।“ माँ बहुत बीमार हो गई है। “ 

इस्माइल :" तो तू क्या डाक्टारी कर रहा था क्य। "

गठिया:" चक्कर खा के गिर गई थी। मैं डर गया था भाग के डॉक्टर को बुला लाया।" 

इस्माइल :(थोड़े ठंडे दिमाग से) " ले बैठ चाय पीए। हां तो अब तो ठीक है ना तेरी माँ।"

गठिया:"डॉक्टर बोला अभी तो चल जाएगा पर उसे। कुछ कुछ बीमारी है। और ठीक करने मे ७ हज़ार रुपए लगेंगे। "

इस्माइल :" ७ हज़ार इतना पैस। कहा से लाएगा ? बैंक लूटेगा क्या ? "

गठिया:" गया तो था।  सोचा बैंक से चोरी कर लु। पर बोहोत भीड़ थी 

गठिया:" फिर सोचा रास्ते मे किसी से चीन लू 

इस्माइल :" फिर?? "

गठिया:" इतने पैसे ले के कोई चलता ही नहीं 

इस्माइल :" ही हे हे... अररे ये सब छोड़ म्हणत से काम ले 

गठिया:" झब तक इतने पैसे कमाउँगा तब तक तो माँ टपक ही जाएगी। "

इस्माइल :" तो फिर एक काम कर। लोन ले ले।  

लों "

गठिया थोड़ा हैरानी से इस्माइल को देखता है.. 

इस्माइल :" हा भाई लोन ले ले। और कमाई कमाई के चुका देना 

गठिया:" मुझे कौन लोन देगा "

इस्माइल :" हां वो भी एक समस्या है। " 

गठिया:" तो तू दे दे लोन। तू तो मुझे दे सकता है ना। मै तेरे यहां कमाई कमाई के लोटा दूंगा।" 

इस्माइल :" इतना भरोसा तुझ पे?? अगर तू भाग गया तो।

गठिया:" तो मेरे बाप का सन्दूक तू खोल लेण।" 

इस्माइल :" ह्म्म्म.. तेरे बाप के कारण एक बार तुझ पे भरोसा कर सकता हूँ.. और तू अपनी कमाई से चुकाते रहना। 

अगले दिन इस्माईल डॉक्टर को पैसे देता है.. इलाज शुरू होता है ओर गठिया की माँ ठीक हो जाती है।शाम के समय हॉस्पिटल के बाहर बैठी होती है। गठिया को देख के मुस्कुराती है। गठिया माँ को खुश देख के उस से लिपट जाता है। माँ की आँखों में आसू आज जाते है। माँ को इतना खुश देख के गठिया भी रोने लगता है ओर इस्माइल का हाथ पकड़ के रोने लगता है ओर के‍हता है 

"देख मेरी माँ कितनी खुश है। मै कभी नहीं भगुणग। और मन लगा के के काम करूंगा। " ओर इतना बोल के फूट फूट के रोने लगता है। 

एक महीने बाद 

इस्माइल गठिया को तनखा देता है 

गठिया उसे मे से आधे पैसे ले के बोलता है "ये पहली किस्त है काट लो।" 

इस्माइल :"अब संदूक खोलने का समय आज गया है।" 

 इस्माइल उसे संदूक दे देता है।पर उस सन्दूक में चाबी नहीं होती। 

इस्माइल :" चाबी?? वो तो नहीं दी तेरे बाप ने।" 

गठिया पत्थर का के संदूक का ताला तोड़ देता है। 

उस मे एक नारियल था। 

नारियल देख के गठिया का मुह छोटा सा हो गया। 

नारियल को भी ज़मीन दे मारा उस नारियल में से एक पर्ची ओर एक अंगूठी निकली।  

गठिया ने अंगूठी फ़ौरन झपट के पेहेन ली ओर पर्ची इस्लाइल को दे दी। बोला "पढ़ के बता क्या लिखा है।" 

इस्माइल ने पर ही पढ़ी ओर बोल।

"जीवन की असल कमाई विश्वास कमाने में है। जो मैं ने जीवन भर कमाया। और अब तुझे भी कामना है। बाकि सब अपने आप मिल जाता है।" 

थोड़ी देर के लिए दोनों खामोश हो जाते हैं। इस्माइल गठिया की तरफ देखता है ओर कहता है" अब तू ने भी कमाना सीख ही लिया।"


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