Minhaj Abdullah

Drama

2.5  

Minhaj Abdullah

Drama

दूसरी वाइफ दूसरी लाइफ

दूसरी वाइफ दूसरी लाइफ

8 mins
319


दिन भर कीच कीच लगी रे‍हती है तुम्हारी। सुबह उठने से ले कर जो शुरु होती हो तो दफ्तर में भी पीछा नही छोड़ थी।.बल्कि दिनभार के इतने काम दे देती हो कि रोज़ ऑफिस मे डांट पड़ती है। अब तो लेट होने की। साला  वार्निंग मिल गई है। इस पर ये बोलती है कि एक दो दिन ऑफिस नहीं जाओगे तो कोंसा तूफान आ जाएगा। अरी तूफान तो मेरी ज़िन्दगी में है। 

ओर क्या। हर बात पे. "तुम ने ऐसा क्यू किय वैसा क्यू किया"। अभी कहा हो किस के साथ बैठे हो। फोन क्यू नहीं उठाते। कॉल क्यू नहीं करते।दिन भर ऑनलाइन दिखते हो। फोन फेक दो तोड़ दो।पता नहीं किस किस से चेते करे रे‍हते हो। मुझे तो सांस भी नहीं लेने देती हो इतना शक कर ती रहती हो अररे यार मैं कभी मीटिंग में तो कभी बॉस के पास बज़ी रहता हूँं तो कभी क्लाइंट सामने होता है,, पर तुमे तो बस लगता है कि में जानबूझ के तुम्हारा फोन नहीं उठाता हू। और तो और तुम्हे ये भी शक है कि मेरा ऑफिस में कोई अफेयर है। हे भगवान। ये तो हद हो गई। ऐसी उतरी हूँई साड़ी हूँई टेंशन वाली शकल पे साला कोण ध्यान देगा। एक बार तो ऑफिस की सुसमा को उल्टी आज गई थी पूछा तो बोली। मेरी शकल देख के आज गई। 

ऐश तो साले अर्जुन के है ध्यान तो सब का अर्जुन ही पे होता है। साला क्या जिंदगी है। स्वर्ग में जी यहा है। घर पे इतनी सुन्दर अप्सरा सामान बीवी। एक दम चुपचाप शांत। हमेश मुस्कुराती और हमेशा खुश रेहती। न कोई शक करती न ही कोई डिमांड करती।ओर कभी ऑफिस फ़ोन कर के परेशान भी नहीं करती। इस लिए तो ऑफिस में भी हर कोई अर्जुन को ही पूछता है। कभी कभी तो ओवरटाइम टाइम भी कर लेता है। और मै तो यहाँ ओवर टाइम का सोच भी नहीं सकता। अगर ५ मिनट भी लेट हूँआ तो समझो घर मे आतंक मच जाता है मेरी जिंदगी में भूचाल आ जाता है।जिंदगी नर्क से भी बदतर हो गई है।इस लिए आज मैं ने ठान लिए की ऐसे घुट घुट के जीने से तो मरजाना ही बेहतर है। आखिर मैं ने कोंसे से पाप किए थे कि भगवान ने मेरे ही साथ ऐसा अनन्य किया। क्या मुझे अर्जुन के जैस लाइफ जीने का कोई अधिकार नहीं है। इतना केह के राजू शांत हो जाता है। 

राजू एक गहरी खाई के सामने ऐसी बाते कर रहा था। बगल में बैठा एक भीकारी उस की बात सुन रहा त। 

इस सन्नाटे में भीकारी बोलता है “बस ?“

राजू: "क्या मतलब बस।" 

भीकारी: "नई बस इतनी सी बात पे तुम जीवन ख़तम कर रहे हो" 

राजू :"तूझे ये सब इतनी सी बात लगती है। एक दिन। बीएस एक दिन तो मेरी जिंदगी जी के देख। तेरा भी इस जीवन से विश्वास उठ जाएगा।" 

भीकारी: "नहीं मैं अपने जीवन में खुश हूँ। पर मैं अपनी ज़िम्मेदारी से भागता नहीं हूँ। इन से लड़ता हूँई ओर उसपे जीत हासिल करता हू। 

राजू : "चल बे। तेरे पे क्या ज़िम्मेदारी है। भिकारी। और तू कब से ज्ञान बात झाड़ने लाग। वो सब छोड़। मै तेरी बात क्यों मानु। हा अगर अर्जुन जैसा कोई।कुछ जादू टोना बताता को बात समझ आए। की साला वो अपनी बीवी को कैसे वश में रखते है। लाइफ हो तो उसके जैसे नहीं तो मरजाना ही बेहतर है।" 

भीकारी:" जीवन में मोह में मत है जो दिखता है वो हमेशा सच नहीं होता। "

राजू :" वैसे भी में सब बाटे मैं तुझ से क्यों कर रहा हूँं मैं तो मारने आया था।"

ताभी राजू की फ़ोन की रिंग बजती है। 

राजू :" लो ये देख। साली सुकून से मरने भी नहीं देती। आज गया उस चाण्डाल का फोन। अभी तक घर नहीं पोहोचा हूँं न। अब १०० ५० गलिया सुना सुना के मारे गि। इस से तो अच्छा है यही से कूद के मार जाऊ।"

भिकारी:" एक मिनट। अगर तुम अर्जुन से अपनी जिंदगी अदला बदली कर लो तो कैसा रहेगा।"

Raju:" ओए तू अपना मुगलः बंद राख। जो हो नहीं सकता उस की वास क्यों दीखता है। मै भी किस पागल की बातो में आ गया।" 

भिकारी:"मै कर सकता हूँं न।"

अच्छा?? बता कैसे। 

भिकारी:"ऐसे.। . "भिकारी उसे जोर से लात मार के खाई में गिरा देता है।

राजु चिल्लाते हूँए खाई में गिर जाता है।

ओर एकदम से बिस्तर से उठ जाता है। मानो कोई सपना देख रहा हो। 

अपने हाथ पैर सही सलामत देख के हैरान हो जाता है।घार भी उसे कुछ नया नया लगता है। किचिन में बर्तन की आवाज़ आती है। समय देखता है तो उठने में लेट हो चुका था 

तभी उस की बीवी की चिल्लाने की आवाज़ आती है। "कब तक घोड़े बेच के सोते राहोगे। चुन्नू की पोट्टी कोन धुलाएगा। बाथरूम कोन साफ़ करेग। उठते हो कि नहीं।'  

राजु खिड़की से बाहर झांक के देखता है तो बगैर वाले घर से आवाज़ आज रही होती है। जो कि उस का खुद का घर होता है ओर। अर्जुन आँख मेल हूँए घर से भर आता है और चुन्नू की पोट्टी धुलाने बाथरूम में घुस जाता है। 

राजु हैरान हो जाता है कि। अर्जुन उस के घर मे क्या कर रहे है ओर मैं किस के घर में हू। 

तभी अर्जुन की खुबसूरत बीवी राजू के लिए ब्रेकफास्ट ले के अति है। राजू को देख के बोलती है "अरे आप जल्दी उठ गए। बताया भी नहीं। लीजिए आप का favourate। डोसा बनाया है में ने। ऑफिस के लिए लेट हो रहे होंगे न।" 

मै इतना हैरान था कि मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था की हो क्या रहा है कही मैं सपना तो नहीं है देख रहा हू। मै ने एक दो लप्पड़ अपने गाल पे मारे ओर गिर ग्य। अर्जुन की वाइफ आई उस में मुझे उठा के बिठाया और मारहम पट्टी भी की। और बोली की!" चलो आज मैं ड्रावे कर के तुम्हे ऑफिस ड्राप करुँगी।" 

"अब समझ आया। वो भीकारी नहीं कोई भगवान का रूप था। जिस ने मेरी मनोकामना पूरी कर दी।

"भगवान तुम सच मे महान हो।" 

अब राजू ख़ुशी ऑफिस में उतरा। बीवी को फ्लाइंग किश दिया और शान से ऑफिस गया। दिन भर दोस्तों के साथ मटरगश्ती की। कॉफ़ी पी, मूवी देखि। एक दिन बिना टेंशन के लाइफ मे माज़ज़ा गया। दूसरे दिन भी ऐसा हूँआ। ऑफिस आया और टेंशन फ्री काम। खूव ऐश किए घूमा फिरा। 

 और रात के १२, १ बज गए कोई घर से फ़ोन नहीं। कोई पूछने वाला नहीं कोई फिक्र करने वाला नहीं। 

एक मिनट। कोई पूछने वाला नहीं है?? फिक्र करने वाला नहीं।??? 

क्या मेरी बीवी को मेरी याद नहीं आती।? क्या उसे मेरे बिना अकेला पन महसूस नहीं होता। 

मेरे बहार रहने से और लेट आने से उन की लाइफ अधूरी नहीं लगती। 

कयूं की दो दिन में मुझे मेरी लाइफ अकेली सी अधूरी से लगने लगी। 

एक पहली वाली लाइफ थी जिस में हर पल में एक बीवी थी ओर अब हर पर अकेला पां। 

कल दिन में ने बीवी से बोला। आज ऑफिस जाने का मन नहीं कर रह। 

तो उसका मुँह ग़ुस्से में हो ग्य। बोली। ऐसे कैसे हो सकता है। मेरे भी आज कुछ ज़रूरी काम है। मुझे भी कही जाना है। 

मै ने कहाँ ठीक है तुम जाव। मै घर में ही आराम करता हू। 

वो और घबरा गई। मानो कोई चोरी पकड़ में ा गई हो। 

नहीं नहीं। तुम्हारे उप्पर बोहोत ज़ी। मेदारी होगी ऑफिस की और ऐसे बॉस को बिना बताए छुट्टी मारे से इमेज खराब हो सकती है। आज चले जाओ। और परमिशन ले के काल ऑफ कर लेण। 

मुझे कुछ अतपटा सा लगा। खैर मे तय्यार हो के ऑफिस आ गया। लेकिन इस बार मेरा मन ऑफिस मे नही लग रहा था। मुझे बार बार उस की सूरत याद ा रही थी की उस ने मुझे ऑफिस जाने के लिए इतना फाॅर्स क्यों किया। 

तभी फ़ौरन मेरे दिमाग की घंटी जाली। मै ने गाड़ी उठै और घर निकल ज्ञ। घर से थोड़ी दूर गाड़ी खड़ी कर दी। ओर चुप के से घर के दरवाज़े पर गया। देखा दरवाज़ा अंदर से लॉक था लगा हूँआ था। हिम्मत कर के मैं ने बेल बजाई।ओर दरवाज़ा खुला तो मैं फीर से चौक गया 

एक हैंडसम लड़का बिना टी शर्ट के मेरा कच्चा पेहेन के दरवाज़ा खोल के मुझ से पूछता है। जी बोलिए क्या काम है। अगर कुछ बेचने सुनाने आए हो तो सोर्री।

इस से पहले की मैं कुछ केहट। अंदर से बाल सुखाते हूँए मेरी वाइफ आज गई। 

वाइफ :"अरे आप। इस टाइम घर पे ? अचानक।" 

मैंने पुछा ये कोन है। 

उस ने कह्। ये। ये। ये मेरी फ्रीडम है। आज़ादी। 

राजू :"मै समझा नहीं।" 

वाइफ: "तुम भूल गए २ साल पहले तुम ने कहा था न। की तुम्हे फ्रीडम चाहिए। तुम्हें पसंद नहीं की कोई तुम्हारे काम मे इंटरफआर करे। और तुम्हारे काम काज के बारे मे पूछे। तो बस अगर तुम अपनी फ्रीडम एंजॉय कर रहे हो तो मुझे भी हक़ है अपनी फ्रीडम का।"

मैं शांत हो गया। मुझे उस भीकारी की बात याद आ रही थी "जो दिखता है वो हमेशा सच नहीं होता"। अब मै सचमुच अकेला हो ज्ञ। मै फ़ौरन भाग के अपने असली वाले घर गया तो देख। अर्जुन मतलब मेरी वाइफ फ़ोन पे बात कर रहे थी।

" कहा हो क्या कर रहे हो। घर जल्दी आना। कही रुकना मत। मुझे सब्जी लेने जाना है।" 

एक बार के लिए ऐसा लगा कि सच मे मुझ से बात कर रही है। मेरे आँखों में आंसू ा गए। 

मै रोते हूँए बीच सड़क पर आ गया अब ना में इस घर का था ना उस घर का।जब कोई फिक्र करती थी तो मै उसे बोझ समझता था ओर अब कोई पूछने वाली भी नहीं है तो दुनिया बोझ लग रही है। अब मै सच मे पूरी तरह अकेला हो ज्ञ। मेरी पूरी दुनिया ही खयाम हो गै। 

तभी सामने से एक गाड़ी आती है और ज़ोर से मुझ में टक्कर मार देती है। मै हवा में उछाल के ज़मीन पर गिरता हू। मेरी आँखे बंद होने लगती है।

ओर अचानक मेरी कान में मेरी बिवी की आवज़ आती है।" उठना नहीं है क्या। चुन्नू की पॉटी कोन धुलाएगा"। मैं झटक से उठ गया। और ज़ोर से बोल।"अरी मैं धुलाऊँगा न।"


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