अपनों का खौफनाक चेहरा
अपनों का खौफनाक चेहरा
ब्याह हो कर ससुराल पहुंची जैसे सपनों को रंगत मिल गई थी, नवाब मेरा बहुत ध्यान रखते ऐसे ही उनके परिवार वाले भी बहुत प्यार करते।
वक्त बीत रहा था, खुशखबरी मिलती है कि हम मां पापा बन ने जा रहे हैं। हर दिन परिवार में एक बात जरूर होती की नवाब का बेटा होगा तो ये करेंगे वो करेंगे।
मुझे भय बैठने लगा कि क्या अगर बेटी हुई तो ? उनकी बातों से मेरा मन डरने लगा।
वक्त आ गया, भगवान की कृपा से एक प्यारी सी बिटिया हमारी गोद में आ गई। हॉस्पिटल से घर पहुंचे तो सब लोग अलग ही अंदाज में नजर आ रहे मुझे, सासू जी तो बात ही नहीं कर रही, एक तो डिलीवरी के बाद आप इमोशनली बहुत कमज़ोर होते हो ऊपर से ये व्यवहार।
मैं अपने पापा के बेहद करीब हूं, मैंने पापा को फोन किया कि आप आ जाओ मुझसे मिलने जल्दी, पापा ने ज्यादा सवाल नहीं किए और वो आ गए।
आते ही उनके मेरी सासू जी बोली, अपनी बेटी को ले जाओ, बेटी पैदा कर दी हमे तो बेटा चाहिए था। मेरे पापा बोले जो आपने पैदा कर रखी है बेटी उसको कहां फेंकेंगे आप लोग ? जिस तरीके से बेटा होता उसी तरीके से बेटी हुई है और इसमें भी अगर मानो तो कसूर आपके बेटे का मेरी बेटी का नहीं, साइंस आपको समझ नहीं आएगी।
अपनी बेटी की इज्जत बहुत प्यारी है मुझे, मुझे बोले पापा को बेटा पैकिंग करो हम घर चलते हैं। नवाब चुपचाप खड़े देखते रहे और पापा मुझे और गुड़िया को लेके घर आ गए।
एक एक करके ६ महीने बीत गए ना वहां से कोई लेने आया ना मिलने। मुझे नवाब का इंतजार था कि वो आएंगे लेने पर वो नहीं आए।
ये कैसा चेहरा देख लिया मैंने मेरे अपनों का और ये छोटी सी जान, आते ही किन बातों में उलझ गई।
मैंने गुड़िया का चेहरा देखा और हिम्मत बटोर कर पापा को कहा पापा तलाक का नोटिस भेज दो ऐसे लोगो को मुझे वापिस नहीं जाना और मुझे अब नौकरी करनी है और अपनी गुड़िया को अकेले अपने दम पर पालना है।