अपने किसी नजदीकी को खोना
अपने किसी नजदीकी को खोना
मृत्यु एक सार्वभौमिक सत्य है, फिर भी उसे स्वीकार करना सहज या सरल बिल्कुल नहीं है। यदि मृत्यु असमय हो ,तो अकाल मृत्यु को सहन करना अत्यंत पीड़ादायक होता है।
मेरे एक बहुत ही करीबी परिवार पर एक के बाद एकविपदाएं आन पड़ीं।इससे पहले वह एक खुशहाल परिवार था। दो बेटियां, दो बेटे, पति- पत्नी, शानदार व्यवसाय और उससे भी शानदार घर। हम अक्सर उनके घर जाते और दिल खोलकर उनके घर की तारीफ करते।
वे बहुत ही मिलनसार व्यक्तित्व के धनी लोग हैं। धीरे- धीरे उस परिवार को मानो नज़र लग गई। पहले घर के मुखिया को मधुमेह ने घेर लिया और उनकी किडनी फेल होने से वे असमय दुनिया छोड़ गए।
दिल पर पत्थर रखकर परिवार ने बड़े पुत्र का विवाह किया। कुछ ही दिनों बाद पुत्र की लीवर फेलियर से मौत हो गई। दोनों बेटियां विवाह के बाद अपने घर चली गईं। अब उस बड़े से घर में मां और छोटा बेटा रह गए। धीरे- धीरे उस बेटे ने घर की जिम्मेदारी संभाली। घर की खुशियां उस दिन फिर लौट आईं, जब उसका विवाह एक सुंदर, समझदार लड़की से हो गया । मृदुभाषी, व्यवहार कुशल और सबको एक डोर में बांधकर चलने वाली लड़की। मैं अक्सर उनकी फेसबुक पर फोटो देखा करती, दोनों बेहद खुश कपल थे।
कल ही मुझे उनकी बड़ी बहन से यह सूचना मिली उस बेटे की एक्सीडेंट में एक माह पूर्व मौत हो गई। मैं क्योंकि शहर से बाहर थी मुझे इसकी जानकारी नहीं थी।
एक हंसता खेलता परिवार बिखर गया।इतनी संपत्ति का अकेला वारिस वारिस मगर कोई ग़लत शौक़ नहीं।वह रात के वक्त मोटरसाइकिल से लौट रहा था कि पीछे से किसी ने उसकी मोटर साइकिल में टक्कर मार दी। अस्पताल लाए जाने तक उसकी जीवन की डोर टूट चुकी थी, उसकी सांसें थम चुकी थीं।
कल से उस घटना के बारे में सुनकर, उसका चेहरा बार-बार आंखों के सामने आरहा है और मैं उसको भूल नहीं पा रही।उस परिवार पर क्या बीत रही होगी, उनके गम के आगे मेरा गम कुछ भी नहीं।
