STORYMIRROR

Manchikanti Smitha

Classics

3  

Manchikanti Smitha

Classics

अपना अस्तित्व

अपना अस्तित्व

3 mins
535

मैं अपने बिस्तर से उठा नित्य कर्म कर नहा धोकर पूजा पाठ किया फिर डाइनिंग टेबल पर आकर देखा तो मेरा नाश्ता तैयार था। बहू ने नरम नरम सफेद इडली और खोपरे की चटनी बना रखी थी। पास मे फ्लास्क था जिसमें गरमा गरम चाय बना रखी थी। अरे बताना तो भूल ही गया। मेरी पत्नी के निधन के बाद मेरी बहू और बेटे ने मुझे गाँव से शहर अपने घर लाये।

दोनों काम काजी होने के कारण सवेरे सवेरे ही ऑफिस निकल जाते थे। मेरा पोता स्कूल जाता था। बहू खाना पकाकर टेबल पर रख जाती थी। वह मेरा ध्यान अच्छे से रखती थी। किसी चीज की कमी महसूस होने नहीं देती थी। बेटा और बहू दोनों मेरा ध्यान अच्छे से रखते थे। बहू सवेरे नौ बजे जाकर शाम के छह बजे आती थी। बेटा सवेरे आठ बजे घर से निकलकर रात के आठ बजे आता था। बस दिन भर मैं अकेला घर बैठा रहता था। कुछ देर टीवी देखना बाद में कमरे की बालकनी मे बैठकर थोड़ी देर बाजार का दृश्य देखना यही मेरी दिनचर्या थी। कामवाली आकर सारा काम कर जाती थी। 

रोज की तरह आज भी मेरी दिनचर्या आरंभ हुई। नाश्ता किया चाय पी और टीवी देखने लगा। कामवाली आकर काम करने लगी। अचानक मेरा सर चकराता हुआ प्रतीत हुआ। जैसे ही आँख खुली तो मैंने देखा कि मेरा बेटा घबराया हुआ डॉक्टर से बात करता हुआ दिखा और बहू रोती हुई दिखी। मैं कैसे यहाँ पहुँचा इसका कोई पता मुझे न था। बस यह समझ मे आया कि तीन दिन बाद मेरी आँख खुली हैं। डॉक्टर के बताये अनुसार बेटे ने मेरी सेवा खुब की। बेटा और बहू दोनों ने भी अपने काम से छुट्टी लेकर मेरी खूब सेवा की।

तीन दिन बाद अब मेरा स्वास्थ्य ठीक हो गया तब बेटा और बहू दोनों ने कार में मुझे घर ले जाने की तैयारी में मुझे हाथ पकड़कर कार में बिठाया और गाड़ी लंबी सड़कों पर दौड़ने लगी। जब मैंने आँखें खोल कर देखा तो मेरे आश्चर्य का ठिकाना न था। क्योंकि मैं शहर के बेटे के घर नहीं बल्कि गाँव के अपने घर आया हुआ था। दोनों ने मुझे अंदर ले गए। जब मैं अपने घर का निरीक्षण करने लगा तब मैंने देखा वह घर बहू तो साफ सुथरा मनमोहक लगा। गाँव के सभी मित्र मुझसे मिलने आते और मेरा हाल पूछते।

मुझे बहुत सुकून मिल रहा था। तभी मैंने अपने बेटे को अपने मित्र से बात करते सुना था कि मैं जब अस्पताल में था तब मैंने अपने इस घर से जुड़ी यादों को और अपने बीते क्षणों को याद करते बड़बड़ा रहा था। तब मेरा बेटा और बहू ने यह निर्णय लिया कि वे मुझे इसी घर में सभी सुविधाओं के साथ यही रखेंगे। यह बात सुन मैं बहुत प्रसन्न हुआ और उसकी कोई सीमा न थी। मेरे मित्र ने भी मेरे बेटे को आश्वासन देते हुए कहा कि इधर की चिंता न करें और हम सब लोग साथ रहेंगे। इस प्रकार मेरी सारी चिंता दूर हो गई और मैं निश्चित मन से अपने गाँव वाले घर में रहने लगा।


ଏହି ବିଷୟବସ୍ତୁକୁ ମୂଲ୍ୟାଙ୍କନ କରନ୍ତୁ
ଲଗ୍ ଇନ୍

Similar hindi story from Classics