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Manju Saraf

Drama Inspirational

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Manju Saraf

Drama Inspirational

अनुभव

अनुभव

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इंसान के जीवन में दुख-सुख लगे रहते है, पर सुख का समय आसानी से कट जाता है लेकिन दुख का समय एक एक मिनट भारी पड़ता है। आज अक्षरा के जीवन में भी ऐसा ही समय आया है। प्रेम विवाह किया था उसने, पर माँ-पापा ने उसे स्वीकार नहीं किया, घर से बेइज्जत कर निकाल दिया। उस समय वह नीरज के प्रेम में इस कदर डूबी थी कि उसने ध्यान ही नहीं दिया। सोचा प्रेम के सहारे ज़िन्दगी आसानी से कट जाएगी, दुख बहुत हुआ घरवालों के ना अपनाने पर, वह कुछ ना कर पाई पापा के आगे एक ना चली उसकी।


खैर नीरज के साथ नई जिंदगी की शुरुआत की, नीरज के परिवार में कोई नहीं था। लेकिन नीरज इंजीनियर था, अच्छी कम्पनी में जॉब थी उसकी। अपने फ्लैट को सजाने में कोई कसर नहीं छोड़ी उसने।ज़िन्दगी बहुत आराम से गुजरने लगी, कभी कभी माँ-पापा की याद आती फ़ोन लगाती बात करने उनसे, पर निराशा हाथ लगती।

सब कुछ अच्छा चल रहा था लेकिन शायद ईश्वर को कुछ और मंज़ूर था और अब जो हुआ उससे उसकी खुशहाल ज़िन्दगी में तूफान ही आ गया।


एक रोज ऑफिस से लौटते वक्त नीरज की कार का एक्सीडेंट हो गया और वापिस घर उसका मृत शरीर ही आया, वह कांप गई देख कर। अब उसकी दुनिया ही उजड़ गई, मित्रो की मदद से नीरज का अंतिम संस्कार किया। दिन रात अब उसके सूने हो गए।

आज उसकी सखी रीमा आई है उसके पास, “अक्षरा एक बार अपने माँ-पापा से बात कर ले, उनके पास चली जा, अकेले अब तू ना रह पाएगी।”

“नहीं रीमा कोई फायदा नहीं," अक्षरा बोली।

“देख पहले की बात और थी अब शायद तेरी हालत देख उनका दिल पिघल जाए।”


रीमा के कहने पर अक्षरा ने एक बार फिर पापा को फ़ोन लगाया पर उसकी बात सुन उन्होंने स्पष्ट कह दिया, “वो तुम्हारा निर्णय था नीरज के साथ विवाह का अब तुम

खुद भुगतो।"

कोई इतना कट्टर दिल भी हो सकता है, ये रीमा भी न सोच सकी।

"अब क्या करना है बता?"

"तू बता क्या करूँ?”

"हार नहीं माननी है, एक नई शुरुआत कर तू।”


अक्षरा को भी समझ आ गया अब कोई नहीं आएगा मदद करने या सहारा बनने, कुछ करना होगा।

आज सुबह अक्षरा उठते ही ईश्वर का ध्यान करती है और प्रार्थना करती है मुझे शक्ति देना भगवान। 15 दिन ढूंढ़ने के बाद अच्छी कंपनी में जॉब लग गई है उसकी, बहुत खुश है वह आज।

दिन, महीने, साल गुजर गए आज बहुत अच्छी पोस्ट पर है वह। समय भी बहुत अच्छा गुजर गया। रीमा उसकी प्यारी सखी ने साथ नहीं छोड़ा उसका, दोनों साथ में काफी वक्त गुजारती है।


"तू नहीं होती तो मेरी ज़िंदगी की नाव अब तक डूब चुकी होती!”अक्षरा।

"नहीं यार मैं नहीं तेरा आत्मविश्वास था वो और भगवान पर अटूट विश्वास।"

"हाँ रीमा बहुत कठिन समय गुजारा मैंने... नीरज का जाना मेरे लिए एक सदमा था उससे उबरना बहुत मुश्किल था, पर ईश्वर पर भरोसा और तेरा साथ मेरी ताकत बने जीवन में! ज़िन्दगी जीना आ गया अब मुझे।"

"अब मेरी कमजोरी ही मेरी ताकत बन गई है, मैं ईश्वर की शुक्रगुजार हूं।"

अक्षरा और रीमा ईश्वर का धन्यवाद करते कहती है, बुरा वक्त भी एक अच्छा अनुभव देकर जाता है।


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