minni mishra

Inspirational

4.2  

minni mishra

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अंतर्जातीय विवाह

अंतर्जातीय विवाह

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“बहु....." आवाज सुनते ही, सौम्या मशीन से कपड़ा निकलाना छोड़, दौड़ते हुए ससुर के कमरे में प्रवेश करती है । बदहवास, बिछावन पर लेटे ससुर को देख, घबड़ाकर वह पति को फ़ोन से सूचित करती है, ” सुनिये, बाबूजी की हालत ठीक नहीं है,पसीने से तर-बतर, बहुत हांफ रहे हैं ! आप जल्दी से आ जाइए ।” 

“ ओह! आज,ऑफिस में एक के बाद एक कई अर्जेंट मिटिंग है । शायद ही छुट्टी मिले ...! ठीक है, बाॅस के पास जाकर अभी गुहार लगाता हूँ । तुम, जल्दी से पास वाले नर्सिंग-होम में बाबूजी को ले जाओ ।” 

कैब में ससुर को अपने साथ लेकर ,वह नर्सिंग होम पहुँच उन्हें एडमिट कराती है । सारे चेक अप हो जाने के बाद ,उनकी तिमारदारी में खड़ी सौम्या , रूमाल को भींगा कर कभी उनके होंठ को पोंछती, तो कभी चम्मच से पानी पिलाती । तन्मयता से जुटी बहू का ध्यान अपने विधुर ससुर पर ही टिका था । एकाएक रोहित को अपने करीब आते देख, उसे जान में जान आ गयी..। " बाबूजी, रोहित आ गये।" ससुर के बदन को हिलाते हुए वह आहिस्ते से बोली। 

तभी डॉक्टर साहब राउंड पर कमरे में आये । आला लगा कर चेकअप करते समय उन्होंने कहा , “बाबूजी, आप सच में बहुत भाग्यशाली हैं, इसलिए ऐसी समझदार, नेक बहु मिली । सही समय पर इलाज होने के कारण आप बचे , वरना नहीं बचा पाते ! सिवियर हर्ट-अटेक हुआ था आपको।” आला गर्दन पर लटका कर डाक्टर बाहर निकल गये। 

बाबूजी ने तुरंत इशारे से बहु और बेटे को अपने पास बुलाया । दोनों के सर पर हाथ रखते हुए वह बोले , “माफ़ कर दो मुझे । अंतर्जातीय विवाह को लेकर, बहु के साथ मैंने हमेशा बुरा बरताव किया। कभी उसे दिल से नहीं स्वीकारा । ऐसी धारणा घर कर गई थी कि एक पढी , चालाक लड़की ने प्रेम जाल में मेरे भोले बेटे को फंसा लिया । ” 

बेड पर रखे तौलिये को पगड़ी की तरह अपने सर पर बाँध , उन्होंने प्यार से कहा , “बहुरिया , हम तीनों का सेल्फी लेकर, सभी सगे-सम्बन्धियों को तुरंत भेजो। मेरी तरफ से एक संवाद लिख देना--- ‘बच्चों को बढिया तालीम देना हर माँ-बाप का कर्तव्य होता है, पर उनके विवाह का अंतिम निर्णय, बच्चों को स्वयं लेने दें..। ’ 

कहने के साथ ही वृद्ध ,विधुर की आँखों से पश्चाताप मिश्रित खुशी के सैलाब बहने लगे ।” 


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